
कबूतर के बच्चे
एक आराबी अपनी आस्तीन में कुछ छुपाये हुए हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की ख़िदमत में हाज़िर हुआ और कहने लगा ऐ मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम)! अगर तू बता दे कि मेरी आस्तीन के अंदर क्या है? तो मैं मान लूंगा कि वाकई तू सच्चा नबी है। हुजूर ने फ़रमाया : वाक़ई ईमान ले आओगे? उसने कहा : हां वाकई ईमान ले आऊंगा। फ़रमाया : तो सुनो, तुम एक जंगल से गुज़र रहे थे। तुमने एक दरख्त देखा जिस पर कबूतर का एक घोंसला था। उस घोंसले में कबूतर के दो बच्चे थे। तुमने इन दोनों बच्चों को पकड़ लिया। बच्चों की मां ने जब देखा तो वह मां अपने बच्चों पर गिरी तो तुमने उसे भी पकड़ लिया। वह दोनों बच्चे और उनकी मां इस वक्त भी तुम्हारे पास हैं और इस आस्तीन के अंदर हैं
आराबी यह सुनकर हैरान रह गया और झट पुकार उठा
अशहदु अल-ला इला ह इल्लल्लाह व अशहदु अन न क रसूलुल्लाह (जामिउल-मुजिज़ात सफा २१) सबक : हमारे हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से कोई चीज़ पिनहा न थी। एक आराबी भी इस हकीकत को जानता था कि जो नबी हो वह गैब जान लेता है। फिर जो बराए नाम पढ़ा लिखा होकर हुजूर के इल्म को तस्लीम न करे वह उज्जड और गंवार से भी ज़्यादा उज्जड और गंवार हुआ या नहीं? –

