गुमशुदा ऊंटनी

गुमशुदा ऊंटनी

जंगे तबूक में हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की ऊंटनी गुम हो गई तो एक मुनाफ़िक ने मुसलमानों से कहा कि तुम्हारा मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम तो नबी होने का मुद्दई है और तुम्हें आसमान की बातें सुनाता है फिर इसे अपनी ऊंटनी का पता क्यों नहीं चलता कि वह कहां है? हुजूर ने जब मुनाफ़िक की यह बात सुनी तो फ़रमाया : बेशक मैं नबी हूं और मेरा इल्म अल्लाह ही का अता फरमूदा है। लो सुनो! मेरी ऊंटनी फलां जगह खड़ी है। एक दरख्त ने उसकी नकील को रोक रखा है। जाओ, वहां जाओ। वहां से उस ऊंटनी को ले आओ | चुनांचे सहाबा किराम गये तो वाक़ई ऊंटनी उसी जगह खड़ी थी और उसकी नकील एक दरख्त से अटकी हुई थी। (जादुल-मआद जिल्द ३, सफा ३) सबकः हमारे हुजूर को अल्लाह ने इस क़दर इल्मे गैब अता फरमाया है कि कोई बात आपसे छुपी हुई नहीं। मगर मुनाफ़िक इस इल्मे गैब के
मोतरिफ नहीं।

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