
दीवाना ऊंट
बनी नज्जार के एक बाग में एक दीवाना ऊंट घुस आया। जो शख्स भी उस बाग में जाता वह ऊंट उसे काटने दौड़ता था। लोग बड़े परेशान थे। हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की ख़िदमत में हाज़िर हुए और सारा किस्सा अर्ज़ किया। हुजूर ने फ़रमाया : चलो! मैं चलता हूं चुनांचे उस बाग में तशरीफ ले गये और उस ऊंट से फरमाया : इधर आओ। उस ऊंट ने जब रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का हुक्म सुना तो दौड़ता हुआ हाज़िर हुआ। अपना सर हुजूर के कदमों में डाल दिया। हुजूर ने फरमायाःइसकी नकील लाओ नकील लाई गई । हुजूर ने नकील डालकर उसके मालिक के हवाले कर दिया। वह आराम से चला गया। हुजूर ने फिर सहाबा से फ़रमाया काफिरों के सिवा मुझे ज़मीन व आसमान वाले सब जानते हैं कि मैं अल्लाह का रसूल हूं। (हुज्जतुल्लाह अलल-आलमीन सफा ४५८)
सबक : हमारे हुजूर का हुक्म जानवरों पर भी जारी है और काइनात की हर शय बजुज काफिरों के हमारे हुजूर की रिसालत व सदकात को जानती है।

