
वसीले का इन्कार न करो
हदीसों की रौशनी, हज़रते उमैय्यह बिन ख़ालिद से मरवी है के रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम मुहाजिरिन दरवेशों के वसीले से जंगों में फ़तह की दोआ माँगते थे
मिश्कात शतिफ सफ़्हा 443
प्यारे नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इस अंदाज़ में दोआ कर के अपनी पूरी उम्मत को ये बता दिया के जो हुस्नो खूबी के साथ मेरे दामन से वाबस्तह हो जाए उस्के वसीले से भी दोआ मांगी जा सकती है
हज़रते अनस से मर’वी है के रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया के अल्लाह के कुछ बन्दे ऐसे हैं के अगर वह अल्लाह तआला पर क़सम खाजाएँ तो अल्लाह तआला उनकी बात पूरी फरमा देता है,
बुखारी जिल्द 1 सफ्हा 394
जब उम्मत में ऐसे कुछ बन्दगाने खुदा हैं के खुदाए तआला उनकी बात पूरी फरमाता है तो जो उसके खास महबूब हैं तो उनका चाहा हुआ क्यों नहीं होगा,
रसूलुल्लाहि सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया के मेरी शफ़ाअत से कुछ लोग जहन्नम से निकाले जाएँगे और जन्नत में दाख़िल किए जाएंगे और जन्नत में उनका नाम जहन्नम वाले होगा[यानी जहन्नम से आने वाले]
बुख़ारी शरीफ़ जिल्द 2 सफ़्हा 971