Day: February 25, 2021
Maula Ali AlaihisSalam ke Mushware
Azmat e Hazrat Abu Talib Radiallahu anhoo
Munkir e Wilayat e Maula Ali ka Anjam
बिदअते __मुआविया बहवाला तारीख अल खुलफ़ा अल्लामा जलालुद्दीन सियुती
॥बिदअते #मुआविया बहवाला तारीख अल खुलफ़ा अल्लामा जलालुद्दीन सियुती॥
- बैठकर खुतबा देना।
- नमाज़े ईद से पहले खुतबा देना (क्योंकि खुतबे में मौला अली को गालियां दी जाती थीं और अक्सर लोग खुतबा सुने बगैर ही जाने लगते थे, लिहाज़ा मुआविया इब्ने हिन्दा ने बुगज़े अली की वजह से नमाज़े ईद से पहले खुतबा देना शुरू किया ताकि कोई भी बिना खुतबा सुने बगैर जा न सके।
- ईदेन की नमाज़ में अज़ान दिलाना।
- तकबीरात में कमी करना।
- अपनी खिदमत के लिये ख्वाजासरा (मुखन्नस) रखना।
- सालाना काबे का गिलाफ़ उतारना।
- बैत लेते वक़्त कसम खिलाना।
- सलाम के कालिमात बदलना।
- मस्जिदों में कमरे बनवाना।
वगैरह-वगैरह
इसके अलावा दीगर अहादीस की कुतुब के मुताबिक हज की तसबीहात बदलना, ज़कात के पैमाने बदलना, सोना पहनना, तोहफे की शक्ल में रिश्वत देना, दरिंदों की खालों का इस्तेमान, वगैरह सैंकड़ों बिदअत ईजाद करना मुआविया इब्ने हिन्दा के काले कुकर्मों में से हैं।
मज़ेदार बात यह है कि लाल रुमाल वाली आंटियाँ अब आप को यह हदीस बयान करती हुई नज़र नहीं आएंगी कि “हौज़े कौसर से फरिश्ते कुछ लोगों को घसीट कर ले जाने लगेंगे तो हुज़ूर पुकारेंगे यह तो मेरे सहाबी हैं, इस पर फरिश्ते जवाब देंगे कि आपको नहीं मालूम इन्होने आपके बाद आपके दीन में क्या क्या बिदअते ईजाद कर ली थीं, इस पर हुज़ूर फरमाएंगे दूर करो दूर करो।”
हालांकि इससे पहले इल्मे गैब और बिदअत के खिलाफ अक्सर लाल रुमाल वाली आंटियाँ और दुपल्ली टोपी वाले चच्चा इस रिवायत वो हर जुमे के खुतबे में दोहराते थे।