
तरजमा : हजरत अली बिन अबी तालिब रज़ि अल्लाहु अन्हु बयान करते हैं कि हुजूर नबी अकरम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने हसन
हसैन रजि अल्लाहु अन्हुमा का हाथ पकड़ा और फरमाया : जिसने मुझ सेर इन दोनों से मुहब्बत की और उनके वालिद से और उनकी
वालिदा से मुहब्बत की वह क्यामत के दिन मेरे साथ मेरे ही ठिकाना पर होगा। इस हदीस को इमाम तिर्मिज़ी और अहमद ने रिवायत किया है ९ इमाम तिर्मिज़ी ने फरमाया कि यह हदीस हसन है
तरजमा : हज़रत जैद बिन अरकम रजि अल्लाहु अन्हु से मरवी है कि हुजूर नबी अकरम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने हज़रत अली, हज़रत फातिमा, हज़रत हसन और हज़रत हुसैन रजि अल्लाहु अन्हुम से फरमाया : जिस से तुम लड़ोगे मेरी भी उससे लड़ाई होगी, और जिससे तुम सुलह करोगे मेरी भी इससे सुलह होगी। इस हदीस को इमाम तिर्मिज़ी और इमाम इब्ने माजा ने रिवायत किया है।
एक और रिवायत में हज़रत अबू हुरैरह रज़ि अल्लाहु अन्हु से मरवी है कि हुजूर नबी अकरम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने हज़रत अली, हज़रत फातिमा, हज़रत हसन और हज़रत हुसैन रज़ि अल्लाहु अन्हुम की तरफ देखा और फरमाया : जो तुमसे लड़ेगा मैं उससे, लडूंगा, जो तुम से सुलह करेगा मैं उससे सुलह करूंगा (यानी जो तुम्हारा दुश्मन है वह मेरा दुश्मन है और जो तुम्हारा दोस्त है वह मेरा भी दोस्त है) इस हदीस को इमाम अहमद बिन हंबल ने रिवायत किया है।
तरजमा : हज़रत अबू हुरैरह रज़ि अल्लाहु अन्हु से मरवी है कि हुजूर नबी अकरम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : जिस ने हसन और हुसैन रज़ि अल्लाहु अन्हुमा से मुहब्बत की, उसने दर हकीकत मुझ ही से मुहब्बत की और जिस ने हसन और हुसैन से बुग्ज़ रखा उसने मुझ से बुग्ज़ रखा। इस हदीस को इमाम इने माजा, निसई और अहमद ने रिवायत किया है।
तरजमा : हज़रत अब्दुल्लाह बिन मस्ऊद रज़ि अल्लाहु अन्हु रिवायत करते हैं कि हुजूर नबी अकरम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : जिसने मुझ से मुहब्बत की, उस पर लाज़िम है कि वह उन दोनों से मुहब्बत करे। उस हदीस को इमाम निसई और इने खुजैमा ने रिवायत किया है।

