
तरजमा : हज़रत अबू राफे बयान करते हैं कि हुजूर नबी अकरम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने हज़रत अली से फरमाया : बेशक पहले चार अश्खास जो जन्नत में दाखिल होंगे वह मैं, तुम, हसन और हुसैन होंगे और हमारी औलाद हमारे पीछे होगी (यानी हमारे बाद वह दाखिल होगी) और हमारी बीवियां हमारी औलाद के पीछे होंगी (यानी उनके बाद जन्नत में दाखिल होंगी) और हमारे चाहने वाले (हमारे मददगार) हमारी दाएं जानिब और बाएं जानिब होंगे। इस हदीस को इमाम तबरानी ने रिवायत किया है।
तरजमा : हज़रत अबान बिन उस्मान रज़ि अल्लाहु अन्हु बयान करते हैं कि मैंने हज़रत उस्मान बिन अफ्फ़ान रज़ि अल्लाहु अन्हु को फरमाते हुए सुना कि हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : जिस शख्स ने औलादे अब्दुल-मुत्तलिब में से किसी के साथ कोई भलाई की और वह उसका बदला इस दुनिया में न चुका सका तो उसका बदला चुकाना कल (क्यामत के रोज़) मेरे ज़िम्मे है जब वह मुझ से मुलाकात करेगा। इस हदीस को इमाम तबरानी ने रिवायत किया।
तरजमा : हज़रत अली बिन हुसैन रज़ि अल्लाहु अन्हुमा बयान करते हैं कि हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : ऐ अली! बेशक अल्लाह तआला ने तुझे और तेरी औलाद को और तेरे घर वालों को और तेरे मददगारों को और तेरे मददगारों के चाहने वाले को बख़्श दिया है पस तुझे यह खुशख़बरी मुबारक हो। इस हदीस को इमाम दैलमी ने रिवायत किया है।

