
तरजमा : हज़रत आइशा सिद्दीका रज़ि अल्लाहु अन्हा बयान करती हैं कि हुजूर नबी अकरम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम सुबह के वक़्त एक अदना मुनक्कश चादर ओढ़े हुए बाहर तशरीफ लाए तो आपके पास हज़रत हसन बिन अली रज़ि अल्लाहु अन्हुमा आए तो आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने उन्हें उस चादर में दाखिल कर लिया, फिर हज़रत हुसैन रजि अल्लाहु अन्हु आए और वह भी उनके हमराह चादर में दाखिल हो गये, फिर सैय्यदा फातिमा रज़ि अल्लाहु अन्हा आई और आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने उन्हें भी उस चादर में दाखिल कर लिया, फिर हज़रत अली कर्रमल्लाहु वज्हहू आए तो आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने उन्हें भी चादर में ले लिया। फिर आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने यह आयते मुबारका पढ़ीः ‘ऐ अहले बैत! अल्लाह तआला तो यही चाहता है कि तुम से (हर तरह की) आलूदगी दूर कर दे और तुम को (गुनाहों से) खूब पाक व साफ कर दे। इसे इमाम मुस्लिम और हाकिम ने रिवायत किया है।
तरजमा : हज़रत अली रज़ि अल्लाहु अन्हु बयान करते हैं कि हुजूर नबी अकरम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : जो शख़्स मेरे अहले बैत और अन्सार और अरब का हक नहीं पहचानता तो उसमें तीन चीजों में से एक पाई जाती है। या तो वह मुनाफ़िक है या वह हरामी है या वह ऐसा आदमी है जिसकी मां बेगैर तुहुर के उस से हामिला हुई। इस हदीस को इमाम दैलमी ने अपनी मुसनद में रिवायत किया है।
तरजमा : हज़रत अली बिन अबी तालिब रज़ि अल्लाहु अन्हु बयान करते हैं कि हुजूर नबी अकरम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : ऐ अल्लाह जो मुझ से और मेरे अहले बैत से बुग्ज़ रखता है
उसे कसरते माल और कसरते औलाद से नवाज़। यह उनकी गुमराही के लिए काफी है कि उनका माल कसीर हो जाए पस (इस कसरते माल की वजह से) उनका हिसाब तवील हो जाए और यह कि उनकी वज्दानियात (जज़्बाती चीजे) कसीर हो जाएं ताकि उनके शयातीन कसरत से हो जाएं। इसको इमाम दैलमी ने रिवायत किया है।
हज़रत अब्दुल्लाह इने अब्बास रज़ि अल्लाहु अन्हुमा बयान करते हैं कि हुजूर नबी अकरम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : ऐ बनू अब्दुल-मुत्तलिब बेशक मैंने तुम्हारे लिए अल्लाह तआला से दस चीजें मांगी हैं पहली यह कि वह तुम्हारे क्याम करने वाले को साबित कदम रखे और दूसरी यह कि वह तुम्हारे गुमराह को हिदायत दे और तीसरी यह कि वह तुम्हारे जाहिल को इल्म अता करे और मैंने तुम्हारे लिए अल्लाह तआला से यह भी मांगा है कि वह तुम्हें सखावत करने वाला और दूसरों की मदद करने वाला और दूसरों पर रहम करने वाला बनाए पंस अगर कोई रुक्न और मकाम के दर्मियान दोनों पांव कतार में रख कर खड़ा हो जाए और नमाज़ पढ़े और रोज़ा रखे और फिर (विसाल की शक्ल में) अल्लाह से मिले यहां तक कि वह अहले बैत से बुग्ज़ रखने वाला हो तो वह दोज़ख़ में दाखिल होगा। इस हदीस को इमाम हाकिम और तबरानी ने रिवायत किया है नीज़ इमाम हाकिम ने फरमाया कि यह हदीस हसन सही है। ।
हज़रत अब्दुल्लाह बिन अब्बास रज़ि अल्लाहु अन्हुमा बयान करते हैं कि हुजूर नबी अकरम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : बनू हाशिम और अंसार से बुग्ज़ रखना कुफ्र है और अहले अरब से बुग्ज़ रखना मुनाफ़िक़त है। इस हदीस को इमाम तबरानी ने रिवायत किया है।
तरजमा : हज़रत अबू सईद खुद्री रज़ि अल्लाहु अन्हु बयान करते हैं कि हुजूर नबी अकरम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : बेशक
मुआमलात की । अल्लाह तआला की तीन हुरमात हैं जो उनकी हिफाज़त करता है अल्लाह तआला उसके लिए उसके दीन व दुनिया के म हिफाजत फरमाता है और जो इन तीन को जाए कर देता है अल्लाह तआला उसकी किसी चीज की हिफाजत नहीं फरमाता। सो अर्ज किया गया या रसूलुल्लाह! वह कौन सी तीन हुरमात हैं? आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : इस्लाम की हुरमत, मेरी हुरमत और मेरे नसब की हुरमत। इस हदीस को इमाम तबरानी ने रिवायत किया है।
तरजमा : हज़रत अब्दुल्लाह बिन अब्बास रज़ि अल्लाहु अन्हुमा बयान करते हैं कि हुजूर नबी अकरम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : सितारे अहले ज़मीन को गर्क होने से बचाने वाले हैं और मेरे अहले बैत मेरी उम्मत को इख़्तिलाफ़ से बचाने वाले हैं और जब कोई कबीला उनकी मुखालिफ़त करता है तो उसमें इख़्तिलाफ़ पड़ जाता है यहां तक कि वह शैतान की जमाअत में से हो जाता है। रिवायत किया इसको हाकिम ने इस हदीस की सनद सही है।
तरजमा : हज़रत अनस रज़ि अल्लाहु अन्हु बयान करते हैं कि हुजूर नबी अकरम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : मेरे रब ने मुझ से मेरे अहले बैत के बारे में वादा किया है कि उनमें से जो भी मेरी तौहीद का इकरार करेगा उसे यह बात पहुंचा दी जाए कि अल्लाह तआला उसे अज़ाब नहीं देगा। इस हदीस को इमाम हाकिम ने रिवायत किया और कहा कि इस हदीस की सनद सही है।

