
—– हजरत अली रजि. फरमाते हैं —-
१)जब गुनाहों के बावजूद रब्बुल इज्जत की नेअमतें मुसलसल मिलती रहे तो होशियार हो जाओ कि,हमारा हिसाब करीब और सख्त तरीन है।
२) तनहाई में गुनाहों से बचो क्योंकि उसका गवाह अल्लाह तआला खुद हैं।
३)अगर तुम किसी को धोका देने में कामयाब हो जाते हो तो यह ना समझना कि वह कितना बेवकूफ है,बल्कि यह सोचना कि उसको तुम पर एअतबार कितना था।
४) बेहतरीन आंख वह है जो हकीकत का सामना करें।

