
#अक़ीदत_के_फूल नूरे आक़ा से बनी ये सारी ख़लकत देख ली, इस जहां में आक़ा पर खत्मे नबुव्वत देख ली। खाया जब आदम ने गंदुम छोड़नी जन्नत पड़ी, वास्ते आक़ा के रब की फिर इनायत देख ली। हज़रते इदरीस ने की मौत से भी दोस्ती, मौत के बिन कब्ज़ रूह करने की हिकमत देख ली। जब बची कश्ती पहाड़ी जूदी पर तूफान में, नूह बोले नामे अहमद की ये बरकत देख ली। पेट से मछली के निकले खैर से यूनुस नबी, शुक्रे रब करने लगे जब अपनी सेहत देख ली। अय्यूब से औलाद दौलत मुल्क सेहत सब छिने, सब्र के पैकर रहे फिर मिलती अज़मत देख ली। क़त्ल ने जालूत के दाऊद को दी सल्तनत, हाथ में आते ही लोहा मोम ख़सलत देख ली। बन गये हज़रत सुलेमां कमसिनी में बादशाह, हुक्म से चलती हवा जिन्नाती खिदमत देख ली। हल्क़ पर रख दी छुरी बेटे के इब्राहीम ने, था ख़लीली इम्तहां रब की इताअत देख ली। हुस्ने यूसुफ भी हुआ नीलाम पहले मिस्र में, ख़्वाब जब सच्चे हुए मिलती हुकूमत देख ली। क़ौम और मूसा को दरिया नील ने रस्ता दिया, फिरौनो लश्कर की सभी ने फिर हलाकत देख ली।

