मैं अबु तालिब हूँ मैं अबु तालिब हूँ

मैं अबु तालिब हूँ मैं अबु तालिब हूँ

भतीजा मेरा महबूब ए हक़ ए बारी है
एक बेटा मेरा ग़ालिब ए कुल्ले ग़ालिब है

ज़ुल्मते कुफ़्र को घर घर से निकला मैंने
लड़खड़ाता हुआ इस्लाम संभाला मैन

मेरे होते हुए इस्लाम को ख़तरा तो नही
कहीं क़ुरआन से हट कर मेरा शजरा तो नही

मेरे किरदार का दामन कहीं मैला तो नही
कोई बच्चा मेरा मैदान से भाग तो नही

फिर भी तुमने मेरे ईमां की सनद मांगी है
जबकि इस्लाम ने ख़ुद मुझसे मदद मांगी है

मैं अबु तालिब हूँ मैं अबु तालिब हूँ

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