रिज्क

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अल्लाह के नबी सल्ललाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया :- बिला -शुबा बन्दे को उसका रिज्क मिलता है ! अगर इन्सान और जिन्नात इकट्टे हो जाए की किसी बन्दे की रोजी रोके तो कामयाब नही हो सकते !

हमारे मआशरे में कारोबारी लोग है , वो होड़ में पड़ जाते है ! सोचते है अगर फलां कॉन्टेक्ट मुझे मिल गया तो में कामयाब हो जाऊंगा , और दूसरा बर्बाद हो जाएगा , बदले में मेरी दौलत में इजाफा होगा और दूसरे की दौलत में कमी – वाकी होगी ! मेरी गाडी उससे बेहतर होगी , मेरा बंगला फलां से बड़ा होगा !

इन मक़ासिद से दुश्मनी बढ़ती है , नफ़रतें पैदा हो जाती है ! हमारी रातों की नींदे हराम हो जाती है !
हम सोचते है कि हमारी मेहनत से , जद्दोजहद से फलां को नुकसान हुआ है !

नबी ए अकरम मुहम्मद सल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया ” अगर तमाम जिन्नात और इंसान किसी एक बन्दे की रोजी रोकना चाहे तो कामयाब नही हो सकते ”

दौलत के लालच में , जहों हसमत में लोग एक दूसरे को निचा दिखाने में अपना दीन भी बर्बाद कर देते है ! 😢😢

इसीलिये नबी अकरम सल्लाहु अलैहि वसल्लम ने हजरत हब्बाब और हजरते सवा रज़ियल्लाहु अन्हुमा से इरशाद फ़रमाया :- रिज्क के मुआमले में किसी से मुकाबला ना करना ,
दो भूखे भेड़िये बकरियों के बीच छोड़ दिए जाए तो वो इतनी तबाही नही मचा सकते जितना
आदमी की माल ओ जाह की हवस तबाकुन है !

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