नमाज़ की शर्ते
नमाज़ की कुछ शर्ते हैं. जिनका पूरा किये बिना नमाज़ नहीं हो सकती या सही नहीं मानी जा सकती. कुछ शर्तो का नमाज़ के लिए होना ज़रूरी है, तो कुछ शर्तो का नमाज़ के लिए पूरा किया जाना ज़रूरी है. तो कुछ शर्तो का नमाज़ पढ़ते वक्त होना ज़रूरी है, नमाज़ की कुल शर्ते कुछ इस तरह से है.
- बदन का पाक होना
- कपड़ो का पाक होना
- नमाज़ पढने की जगह का पाक होना
- बदन के सतर का छुपा हुआ होना
- नमाज़ का वक्त होना
- किबले की तरफ मुह होना
- नमाज़ की नियत यानि इरादा करना
ख़याल रहे की पाक होना और साफ होना दोनों अलग अलग चीज़े है. पाक होना शर्त है. साफ होना शर्त नहीं है. जैसे बदन, कपडा या जमीन नापाक चीजों से भरी हुवी ना हो. धुल मिट्टी की वजह से कहा जा सकता है की साफ़ नहीं है, लेकिन पाक तो बहरहाल है.
१. बदन का पाक होना
– नमाज़ पढने के लिए बदन पूरी तरह से पाक होना ज़रूरी है. बदन पर कोई नापाकी लगी नहीं होनी चाहिए. बदन पर कोई गंदगी लगी हो या नापाकी लगी हो तो वजू या गुस्ल कर के नमाज़ पढनी चाहिए.
२. कपड़ो का पाक होना
– नमाज़ पढने के लिए बदन पर पहना हुआ कपडा पूरी तरह से पाक होना ज़रूरी है. कपडे पर कोई नापाकी लगी नहीं होनी चाहिए. कपडे पर कोई गंदगी लगी हो या नापाकी लगी हो तो कपडा धो लेना चाहिए या दूसरा कपडा पहन कर नमाज़ पढ़ लेनी चाहिए.
३. नमाज़ पढने की जगह का पाक होना
– नमाज़ पढने के लिए जिस जगह पर नमाज पढ़ी जा रही हो वो जगह पूरी तरह से पाक होना ज़रूरी है. जगह पर अगर कोई गंदगी लगी हो या नापाकी लगी हो तो जगहधो लेनी चाहिए या दूसरी जगह नमाज़ पढ़ लेनी चाहिए.
४. बदन के सतर का छुपा हुआ होना
– नाफ़ के निचे से लेकर घुटनों तक के हिस्से को मर्द का सतर कहा जाता है. नमाज़ में मर्द का यह हिस्सा अगर दिख जाये तो नमाज़ सही नहीं मानी जा सकती.
५. नमाज़ का वक्त होना
– कोई भी नमाज़ पढने के लिए नमाज़ का वक़्त होना ज़रूरी है. वक्त से पहले कोई भी नमाज़ नहीं पढ़ी जा सकती. और वक़्त के बाद पढ़ी गयी नमाज़ कज़ा नमाज़ मानी जाएगी.
६. किबले की तरफ मुह होना
– नमाज़ क़िबला रुख होकर पढ़नी चाहिए. मस्जिद में तो इस बारे में फिकर करने की कोई बात नहीं होती, लेकिन अगर कहीं अकेले नमाज़ पढ़ रहे हो तो क़िबले की तरफ मुह करना याद रखे
७. नमाज़ की नियत यानि इरादा करना
– नमाज पढ़ते वक़्त नमाज़ पढ़ें का इरादा करना चाहिए.
✦ वजू का तरीका
नमाज़ के लिए वजू शर्त है. वजू के बिना आप नमाज़ नहीं पढ़ सकते. अगर पढेंगे तो वो सही नहीं मानी जाएगी. वजू का तरीका यह है की आप नमाज़ की लिए वजू का इरादा करे. और वजू शुरू करने से पहले बिस्मिल्लाह कहें. और इस तरह से वजू करे.
- कलाहियों तक हाथ धोंये
- कुल्ली करे
- नाक में पानी चढ़ाये
- चेहरा धोंये
- दाढ़ी में खिलाल करें
- दोनों हाथ कुहनियों तक धोंये
- एक बार सर का और कानों का मसाह करें
(मसह का तरीका यह है की आप अपने हाथों को गिला कर के एक बार सर और दोनों कानों पर फेर लें. कानों को अंदर बाहर से अच्छी तरह साफ़ करे.) - दोनों पांव टखनों तक धोंये.
यह वजू का तरीका है. इस तरीके से वजू करते वक्त हर हिस्सा कम से कम एक बार या ज़्यादा से ज़्यादा तीन बार धोया जा सकता है. लेकिन मसाह सिर्फ एक ही बार करना है. इस से ज़्यादा बार किसी अज़ाको धोने की इजाज़त नहीं है, क्योंकि वह पानी की बर्बादी मानी जाएगी और पानी की बर्बादी करने से अल्लाह के रसूल ने मना किया है.
✦ गुस्ल का तरीका
अगर आपने अपने बीवी से सोहबत की है, या फिर रात में आपको अहेतलाम हुआ है, या आपने लम्बे अरसे से नहाया नहीं है तो आप को गुस्ल करना ज़रूरी है. ऐसी हालत में गुस्ल के बिना वजू नहीं किया सकता. गुस्ल का तरीका कुछ इस तरह है.
- दोनों हाथ कलाहियो तक धो लीजिये
- शर्मगाह पर पानी डाल कर धो लीजिये
- ठीक उसी तरह सारी चीज़ें कीजिये जैसे वजू में करते हैं
- कुल्ली कीजिये
- नाक में पानी डालिए
- और पुरे बदन पर सीधे और उलटे जानिब पानी डालिए
- सर धो लीजिये
- हाथ पांव धो लीजिये.
यह गुस्ल का तरीका है. याद रहे ठीक वजू की तरह गुस्ल में भी बदन के किसी भी हिस्से को ज़्यादा से ज़्यादा ३ ही बार धोया जा सकता है. क्योंकि पानी का ज़रूरत से ज़्यादा इस्तेमाल इस्लाम में गैर पसंदीदा अमल माना गया है.
✦ नमाज़ का तरीका
नमाज़ का तरीका बहोत आसान है. नमाज़ या तो २ रक’आत की होती है, या ३, या ४ रक’आत की. एक रक’आत में एक क़याम, एक रुकू और दो सजदे होते है. नमाज़ का तरीका कुछ इस तरह है –
- नमाज़ के लिए क़िबला रुख होकर नमाज़ के इरादे के साथ अल्लाहु अकबर कहें कर (तकबीर ) हाथ बांध लीजिये.
- हाथ बाँधने के बाद सना पढ़िए. आपको जो भी सना आता हो वो सना आप पढ़ सकते है. सना के मशहूर अल्फाज़ इस तरह है “सुबहानका अल्लाहुम्मा व बिहम्दीका व तबारका इस्मुका व त’आला जद्दुका वाला इलाहा गैरुका”
✦ Sana :
Subhanaka Allahumma Wabi Hamdika Wa Tabarak Kasmuka Wata\’ala Jadduka Wa Laa Ilaha Gairuka.
✦ Tarjuma / Translation:
» Aye Allah! Mai teri paaki bayan karta hoon aur teri taarif karta hoon aur tera naam barkatwaala hai, buland hai teri shaan, aur nahi hai ma’bud tere siwa koi.
» ए अल्लाह मैं तेरी पाकि बयां करता हु और तेरी तारीफ करता हूँ और तेरा नाम बरकतवाला है, बुलंद है तेरी शान और नहीं है माबूद तेरे सिवा कोई।
- इसके बाद त’अव्वुज पढ़े. त’अव्वुज के अल्फाज़ यह है “अउजू बिल्लाहि मिनश शैतान निर्रजिम. बिस्मिल्लाही र्रहमानिर रहीम.”
- इसके बाद सुरे फातिहा पढ़े.
- सुरे फ़ातिहा के बाद कोई एक सूरा और पढ़े.
- इसके बाद अल्लाहु अकबर (तकबीर) कह कर रुकू में जायें.
- रुकू में जाने के बाद अल्लाह की तस्बीह बयान करे. आप जो अल्फाज़ में चाहे अल्लाह की तस्बीह बयान कर सकते हैं. तस्बीह के मशहूर अल्फाज़ यह है, “सुबहान रब्बी अल अज़ीम”
- इसके बाद ‘समीअल्लाहु लिमन हमीदा’ कहते हुवे रुकू से खड़े हो जाये.
- खड़े होने के बाद ‘रब्बना व लकल हम्द , हम्दन कसीरन मुबारकन फिही’ जरुर कहें.
- इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुवे सज्दे में जायें.
- सज्दे में फिर से अल्लाह की तस्बीह बयान करे. आप जो अल्फाज़ में चाहे अल्लाह की तस्बीह बयान कर सकते हैं. तस्बीह के मशहूर अल्फाज़ यह है ‘सुबहान रब्बी अल आला’
- इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुवे सज्दे से उठकर बैठे.
- फिर दोबारा अल्लाहु अकबर कहते हुवे सज्दे में जायें.
- सज्दे में फिर से अल्लाह की तस्बीह करे. आप जो अल्फाज़ में चाहे अल्लाह की तस्बीह बयान कर सकते हैं. या फिर वही कहें जो आम तौर पर सभी कहते हें, ‘सुबहान रब्बी अल आला’
यह हो गई नमाज़ की एक रक’आत. इसी तरह उठ कर आप दूसरी रक’अत पढ़ सकते हैं. दो रक’आत वाली नमाज़ में सज्दे के बाद तशहुद में बैठिये.
१५. तशहुद में बैठ कर सबसे पहले अत्तहिय्यात पढ़िए. अत्तहिय्यात के अल्लाह के रसूल ने सिखाये हुवे अल्फाज़ यह है,
‘अत्ताहियातु लिल्लाहि वस्सलवातु वत्तैयिबातू अस्सलामु अलैका अय्युहन नाबिय्यु रहमतुल्लाही व बरकताहू अस्सलामु अलैना व आला इबादिल्लाहिस सालिहीन अशहदु अल्ला इलाहा इल्ललाहू व अशहदु अन्न मुहम्मदन अब्दुहु व रसुलहू’
१६. इसके बाद दरूद पढ़े. दरूद के अल्फाज़ यह है,
‘अल्लाहुम्मा सल्ली अला मुहम्मद व आला आली मुहम्मद कमा सल्लैता आला इब्राहिम वा आला आली इब्राहिमा इन्नका हमिदुम माजिद. अल्लाहुम्मा बारीक़ अला मुहम्मद व आला आली मुहम्मद कमा बारकता आला इब्राहिम वा आला आली इब्राहिमा इन्नका हमिदुम माजिद’
१७. इसके बाद दुआ ए मसुरा पढ़े. मतलब कोई भी ऐसी दुआ जो कुर’आनी सुरों से हट कर हो. वो दुआ कुर’आन में से ना हो. साफ साफ अल्फाज़ में आपको अपने लिए जो चाहिए वो मांग लीजिये. दुआ के अल्फाज़ मगर अरबी ही होने चाहिए.
१८. आज के मुस्लिम नौजवानों के हालत देखते हुवे उन्हें यह दुआ नमाज़ के आखिर में पढनी चाहिए. ‘अल्लाहुम्मा इन्नी अस’अलुका इलमन नाफिया व रिज्क़न तैय्यिबा व अमलम मुतक़ब्बला.’
– जिसका मतलब है, ‘ऐ अल्लाह मैं तुझसे इसे इल्म का सवाल करता हु जो फायदेमंद हो, ऐसे रिज्क़ का सवाल करता हु तो तय्यिब हो और ऐसे अमल का सवाल करता हु जिसे तू कबूल करे.’
१९. इस तरह से दो रक’अत नमाज़ पढ़ कर आप सलाम फेर सकते हैं. ‘अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह’ कहकर आप सीधे और उलटे जानिब सलाम फेरें.
✦ तीन रक’आत नमाज़ का तरीका:
दो रक’आत नमाज़ पढने के बाद तशहुद में सिर्फ अत्तहियात पढ़ ले. और फिर तीसरे रक’आत पढ़ें के लिए उठ कर खड़े हो जाये. इस रक’अत में सिर्फ सुरे फातिहा पढ़े और रुकू के बाद दो सज्दे कर के तशहुद में बैठें. तशहुद उसी तरह पढ़े जैसे उपर सिखाया गया है और अत्ताहियात, दरूद और दुआ ए मसुरा पढने के बाद सलाम फेर दें.
✦ चार रक’आत नमाज़ का तरीका:
दो रक’आत नमाज़ पढने के बाद तशहुद में सिर्फ अत्तहियात पढ़ ले. और फिर तीसरे रक’अत पढने के लिए उठ कर खड़े हो जाये. इस रक’अत में सिर्फ सुरे फातिहा पढ़े और रुकू के बाद दो सज्दे कर के चौथी रक’आत के लिए खड़े हो जाये. चौथी रक’अत भी वैसे ही पढ़े जैसे तीसरी रक’आत पढ़ी गई है. चौथी रक’अत पढने के बाद तशहुद में बैठें. तशहुद उसी तरह पढ़े जैसे उपर सिखाया गया है और अत्ताहियात, दरूद और दुआ ए मसुरा पढने के बाद सलाम फेर दें.