Barkat us Sadaat part 19:: बलख की शहजादी का रक्त अंगेज़ वाकिआ

बलख की शहजादी का रक्त अंगेज़ वाकिआ ः शैख अद्दी ने अपनी किताब मशारिकुल अनवार में इब्ने जोज़ी की तसनीफ़ “मुलतकित” से नक्ल किया कि बलख़ में एक अल्वी कृयाम पज़ीर था। उसकी एक जोजा और चंद बेटियाँ थीं, कज़ा इलाही से वह शख़्स (अलवी) फौत हो गया, उनकी बीवी कहती हैं कि मैं शमातत आदा के ख़ौफ़ से समरकंदी चली गई, मैं वहाँ सख़्त सर्दी में पहुंची, मैंने अपनी बेटियों को मस्जिद में दाखिल किया और खुद खुराक की तलाश में चल दी, मैंने देखा कि लोग एक शख़्स के गिर्द जमा हैं, मैंने उसके बारे में मालूम किया तो लोगों ने कहा यह रईसे शहर है, मैं उसके पास पहुंची और अपना हाल जार बयान किया उसने कहा अपने अलवी होने पर गवाह पेश करो, उसने मेरी तरफ कोई तवज्जह नहीं दी मैं वापस मस्जिद की तरफ चल दी. मैंने रास्ते में एक बूढ़ा बुलंद जगह बैठा हुआ देखा जिसके गिर्द कुछ लोग जमा थे मैंने पूछा यह कौन है? लोगों ने कहा यह मुहाफिज़े शहर है और मजूसी है, मैंने सोचा मुमकिन है उससे कुछ फायदा हासिल हो जाए चुनान्चे मैं उसके पास पहुंची, अपनी सरगुज़िश्त बयान की और रईसे शहर के साथ जो वाकिआ पेश आया था बयान किया और उसे यह भी बताया कि मेरी बच्चियाँ मस्जिद में हैं, और उनके खाने पीने के लिए कोई चीज़ नहीं है।

* * इस (मजूसी मुहाफिज़े शहर) ने अपने खादिम को बुलाया और कहा अपनी आका (यानी मेरी बीवी) को कह कि वह कपड़े पहन कर और तैयार होकर आए, चुनान्चे वह आई और उसके साथ चंद कनीजें भी थीं, बूढ़े ने उसे कहा उस औरत के साथ फलाँ मस्जिद में जा और उसकी बेटियों को अपने घर ले, वह मेरे साथ गई और बच्चियों को अपने घर ले आई, शैख़ ने अपने घर में हमारे लिए अलग रिहाईशगाह का इंतिज़ाम किया, हमें बेहतरीन कपड़े पहनाए, हमारे गुस्ल का इंतिज़ाम किया और हमें तरह तरह के खाने खिलाए, आधी रात के वक्त रईस शहर ने ख़्वाब में देखा कि कृयामत कायम हो गई है और लवाउल हम्द नबी करीमकेसर अनवर पर लहरा रहा है, आपने इस रईस से ऐराज़ फरमाया (यानी रईस से रुखे अनवर फैर लिया और उसकी तरफ इल्तिफात न फरमाया, उसने अर्ज़ किया हुज़ूर आप मुझसे ऐराज़ फरमा रहे हैं हालांकि मैं मुसलमान हूँ, नबी करीम ने फरमाया अपने मुसलमान होने पर गवाह पेश करो, वह शख्स हैरत जुदा रह गया, रसूलुल्लाह ने फ़रमाया: “तूने इस अल्वी औरत को जो कुछ कहा था भूल गया? यह महल इस शैख़ का है जिसके घर में इस वक्त वह।” (अलवी) औरत (बलख की शहज़ादी है) रईस बैदार हुआ तो रो रहा था (अपनी हरमाँ नसीबी पर )

और अपने मुंह पर तमांचे मार रहा था। उसने अपने गुलामों को इस औरत की तलाश में भेजा और खुद भी तलाश में निकला, उसे बताया गया कि वह (अलवी) औरत मजूसी के घर में क़याम पज़ीर है, यह रईस इस मजूसी के पास गया और कहा “वह अलवी औरत कहाँ है?” उसने कहा: “मेरे घर में है।” रईस ने कहाः उसे मेरे हाँ भेज दो।” शैख ने कहाः “यह नहीं हो सकता।” रईस ने कहा: “मुझ से यह हज़ार दीनार ले लो और उसे मेरे यहाँ भेज दो।” उस शैख़ ने कहा: “बखुदा ऐसा नहीं हो सकता अगर्चे तुम लाख दीनार भी दो। ” जब रईस ने ज़्यादा इसरार किया तो शैख ने उसे कहा: “जो ख़्वाब तुम ने देखा है मैंने भी देखा है और जो महल तुम ने देखा है वह वाकई मेरा है, तुम इसलिए मुझ पर फख़र कर रहे हो कि तुम मुसलमान हो, बखुदा वह अलवी ( बरकतों वाली) खातून जैसे ही हमारे घर में तशरीफ़ लाईं तो हम सब उनके हाथ पर मुसलमान हो चुके हैं, और उनकी बरकतें हमें हासिल हो चुकी हैं, मैंने रसूलुल्लाह की ख़्वाब में जियारत की तो आपने मुझे फ़रमाया, चूंकि तुमने इस अलवी ख़ातून (मेरी बेटी) की ताज़ीम व तकरीम की है इसलिए यह महल तुम्हारे लिए और तुम्हारे घर वालों के लिए है और तुम जन्नती हो।” (अल् शर्फुल मोबद मुतर्जम स. 366, 267)

Zikr e Syedna Imam Ali Naqi (A.S) 3 rajab yaum e Shahadat

*_3 Rajab ul Murajjab_*
_💔 Yaume Shahadat 💔_

*_Aaimma e Ahlebait ع Ke 10we Imaam Tajdare Imamat Wa Wilayat Shahzada e Aliعo Batoolس Dilband e Hasnain Karimainع Farzand e Imaam Taqiع Aaqa Syedna Maula Imaam Ali Naqi Al Hadiع_*

_Aapki Wiladat 5 Rajab ul Marjab 214 Hijri Mutabik 8 September 829 Esvi Me Madina Paak, Saudia Arabia Me Hui, Aapki Shahadat 3 Rajab ul Marjab 254 Hijri Mutabik 21 June 868 Esvi Me Hui, Aap Aaqa Syedna Maula Imaam Ali Razaع Ke Pote Aaqa Syedna Maula Imam Muhammad Taqi Jawwad Alahissalam Ke Shahzade Aur Aaqa Syedna Maula Imam Hasan Askari Alaihissalam Ke Walid e Majid Hai, Aap Aaimma e Ahlebaitع Ke 10we Imaam Hain, Aapka Mazar Mubarak Samarra Sharif, Iraq Me Marjai Khaliak Hai…_

😭यौम_ए _शहादत अबुल हसन 💔 हुज्जत ए खुदा नवासा ए रसूलﷺ शहजादा अली۴ ओ सैय्यदा बतूलس दिल बंद ए हसनैन۴ ए करीमैन आईमा ए अहलेबैत۴ के 10 वे शहंशाह ए विलायत फरजंद ए इमाम तकी۴ सय्यदुस सादात अबूल हसन मौला इमाम अली नकी अल हादी۴ कि आज शहादत का दिन है 💔 आपकी शहादत 3 रज़ब उल मुरज्जब 254 हिजरी उम्र शरीफ़ 40 28जून 668ईश्वी मे हुई आप सय्यदना मौला इमाम अली रज़ा۴ के पोते हैं सय्यदना मौला इमाम मुहम्मद तकी जव्वाद۴ समानाس के शहजादे है और सय्यदना मौला इमाम हसन अल अस्करीعके वालिद ए माजिद है आपका मजार मुबारक सामरा मुल्क इराक में मौजूद हैं बिलखुशुस मुहम्मदﷺ वा आल ए मुहममद۴ की बारग़ाह मे और इमाम ए जमाना۴की बारग़ाह दुरुद ओ सलाम के नज़राने ओर पूरशा पेश करते हैं😭