
अहले बैत से दूरी क्यों,अहले बैत से बुग्ज़ कैसा
आज दौरे हाज़िर में हर तरफ फ़ितनों की बाढ़ उठ रही है लेकिन मौजूदा हालात में एक बड़ी खराबी भी सामने आ गई वो है आक़ा करीम की अहले बैत का जिक्र न करना।भाइयो अहले बैत का मक़ाम तुम्हे समझना है तो जाओ क़ुरआन देखो,,बुख़ारी शरीफ, मुस्लिम शरीफ़ जैसी मोतबर हदीसो को पढ़ो और मशहूर ए ज़माना वली अल्लाह से पूछो।हर जगह अहले बैत की शान में आपको दलाएल मिल जाएंगे।और अहले बैत से इश्क़ के लिए फ़क़त इतनी दलील काफी है कि उनकी रगों में सैयदुल अम्बिया का खून गर्दिश कर रहा है और वो खून तमाम खून से अफ़ज़ल है इसमें सबका इज्मा है।आज हर तरफ है फिरके में बस अपने अपने को ऊपर किया जाता है जबकी अहले बैत के 12 इमामो का ज़िक्र तक नही किया जाता है,,हद तो ये है कि ख़ुद को सुन्नी कहने वाले हज़रात एम ज़्यादातर लोगो को उनके नाम तक नही पता हैं।।।एक और बात बता दूं कि सहाबा वो हैं जिनका अदब सबने किया है और अहले बैत वो हैं जिनका अदब ख़ुद सहाबा ने किया है।इसके अलावा तसव्वुफ के तमाम सिलसिला का इख़्तितताम भी अहले बैत के इमामो पर ही होता है।हर सूफिया अहले बैत का आशिक होता है।आज के दौर में अहले बैत के कांसेप्ट को हटाने की साजिश चल रही है जो भी शख्स अली अली करता दिखाई देता है तो उस पर फौरन राफ़ज़ी का इल्जाम लगाकर उसे गुमराह करार दे दिया जाता है।जबकि ऐसा हक़ीक़तन नही है बल्कि बुग्ज़ ए अहले बैत के लिए किया जाता है।आज हर तरफ बस अपने अपने को ही आला बताया जाता है जबकि रसूल ए ख़ुदा ने अपनी अहले बैत को जो कि महफूज़अनिल ख़ता के मर्तबा पर फ़ायज़ थे उनका कोई जिक्र नही होता।उनके नाम के नारे नही लगते।हर फिरके की यही बात है,,सब बस सहाबा पर बात करते हैं जबकी सहाबा ने ख़ुद अहले बैत से मोहब्बत की है जिस पर कई मोतबर हदीसें हैं हत्ता की खुद जन्नती जवानो की सरदारी भी अहले बैत के पास और जन्नती औरतो की सरदारी भी अहले बैत के पास।विलायत की इमामत भी अहले बैत के पास।बस आप लोग भी समझ जाओ,,अहले बैत उसी तरह ज़रूरी है जैसे कि सहाबा लेकिन एक को मानकर एक को छोड़ देना ये गलत है और में इस बात का कायल हूँ मै तो अहले बैत क़ ज़िक्र करता रहूंगा।क्योंकि यही वो घराना है जो क़ायनात में तमाम घरानों से अफ़ज़ाल है,पाक है,इबादत गुज़ार है।में तो हर मसले पर अहले बैत के साथ हूँ उनके मुक़ाबले में कोई भी आए एक पल में रिजेक्ट,,,है अली के मुकाबले में हम किसी को नही लाते,सैयदा के मुकाबले में हम किसी को नही लाते,हसनैन/करीमैन की मुक़ाबले हम किसी को नही लाते—सहाबा से इश्क़ लाज़िम है करो,लेकिन अहले बैत को हटाकर नही!उनके मेयार से खिलवाड़ करके नही क्योंकि उनकी रगों में रसूले अरबी का खून ए मुबारक है।इस बिना पर उनकी शान ए यगाना की कोई मिस्ल नही।हज़ारो औलिया अल्लाह ने अहले बैत की शान में अक़वाल बयान किये हैं लेकिन उन सभी को लिखना यहाँ मुमकिन नहीं और मेरा मक़सद किसी इख्तिलाफ का नही बल्कि आप ख़ुद लॉजिकली सोचिए कि जन्नत जाने के लिए तुम क्या से क्या नही करते और जन्नत के सरदार कौन हैं–?जवाब आएगा अहले बैत–यानी हसनैन-करीमैन।हर तरफ उन्ही का राज है हर तरफ उन्ही का एहसान है जिसको बताने की ज़रूरत नही है जाओ देखो किताबे वो भी बड़े बड़े उलेमा ए ज़माना की।आइम्मा ए मुज़तहिदीन की,,आइम्मा ए हदीस की किताबो को पढ़िए अहले बैत क़ मक़ाम समझ मे आएगा वरना फिर अंजाम ख़ुद देख लेना उनको छोड़कर किसी को आजतक क्या मिला है–?
बेदम यही तो पांच हैं मक़सूदे क़ायनात,
खेरुन्निसा,हुसैन ओ हसन मुस्तफ़ा अली।

