सरकार आलम पनाह वारिस पाक का क़ौल

सरकार आलम पनाह वारिस पाक का क़ौल:

(१)सुना,सुना अगर आंख वाला है तो आंख से मुरीद किया जा सकता है।
(२)सिलसिला दीन का सिर्फ अहले बैत से है।
(३)सिजरा वगैरह एक रसमी चीज़ है।यहां दिल के सिजरे से काम है।
(४)सुना,सुना आंख बन्द करने से और सांस रोकने तथा हक़ हक़ करने से क्या होता है।मुहब्बत वहबी(जो अपने आप हो जाय)चीज है।जिस को चाहे खुदा पाक अपनी दौलत वहबी दे दे कसब का काम नही।
(५)सरमद रज़ा व तसलीम के बन्दे थे सर दे दिया मगर उफ न किया न फतवा देने वाले रहे न सल्तनत रही मगर एक सरमद की जगह हज़ार सरमद पैदा हो गये।
(६)तस्दीक हज़ारो मे किसी एक को होती है।
(७)हसद मे सिवा नुक्सान के फायदा नही।
(८)हाजी वह है जिस पर हक़ीकते हज जाहिर हो जाए।
(९)हमारी मन्जिल इश्क है और मन्जिले इश्क में खिलाफत और जानशीनी नही जो हमसे मुहब्बत करे वह हमारा है।
(१०)हमारे यहां यहूदी और ईसाई सब मजहब वाले बराबर है कोई फर्क नहीं।
(११)जिस मुरीद को अपने हर एतक़ाद से ज्यादा पीर से अक़ीदत होती है उसका पीर गैब मे उसका मुहाफिज होता है।
(१२)जिस तरह तस्लीम व रिज़ा का बहुत बड़ा मर्तबा है इसी तरह उस मैदान मे साबित कदम रहना बहुत मुश्किल है।
(१३)जिसको अपनी खबर है वह इश्क से बेखबर है।
(१४)जो जिसका आशिक होता है वह उसकी पूजा करता है।
(१५)जिसने हक़ को पकड़ा वह कामयाब और जिसने ख़ल्क पर भरोसा किया वह खराब है।
(१६)जो शख्स जिससे मुहब्बत करता है उसी के साथ उसका हशर होता है।जिसके तसव्वुर मे मरेगा उसी के साथ हशर होगा।
(१७)जिस सूरत का ख्याल पुख्ता हो जाएगा वहीं सूरत मरने के बाद भी क़ायम रहेगी।
(१८)जो पीर मुरीद से दूर है वह पीर नाकिस और जो मुरीद पीर को दूर समझे वह मुरीद नाक़िस है।
(१९)जब कोई किसी का आशिक होता है तो उसकी कोई सांस माशूक की याद से खाली नहीं होती।
(२०)जिसको माशूक चाहता है उसे इश्क की जन्जीर मे जकड़ देता है।
मौला वारिस

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