रिफअते मुसतफा

नबीए करीम अलैहिस्सलाम ने इरशाद फरमाया मेरी मिसाल और नबियों की मिसाल उस महल की सी है जिसकी तामीर बहुत अच्छी की गई हो और एक इंट की जगह छोड़ दी गई हो देखने वाले उस महल के इर्द गिर्द फिरते हैं और खूबी तामीर से खुश होते हैं मगर उस एक इंट की खाली जगह से [हैरान रह जाते हैं] के ये खाली जगह क्यों है पस मैंने आकर उस खाली जगह को बन्द कर दिया है
ये महल मेरे वुजूद से पूरा कर दिया गया और रसूलों को मुझ से ख़तम कर दिया गया मैं उस इमारत की वह पहली इंट हूँ और मैं नबियों का ख़तम करने वाला हूँ
मिश्कात शरीफ,
नबी ने फरमाया हम आए सब से आखिर में और [जन्नत में दाखिल होते हुए होंगे] सब से आगे
मिश्कात शरीफ,
मुख़्तसर ये के आते हुए हम सबसे पीछे हैं मगर वापसी पर दखूले जन्नत के वक़्त हमारे आका व मौला सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम अपनी उम्मत को साथ लेकर सब से आगे होंगे
सर’वरे आलम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने शबे मेराज अल्लाह से अर्ज़ की के मौला तूने मेरी उम्मत को सब उम्मतों के बाद क्यों भेजा तो रब ने जवाब में इरशाद फरमाया के ताके तुम्हारी उम्मत को जियादह देर कब्रों में न रहना पड़े
बा हवाला : मुफीदुल वाएज़ीन सफहा 48,
इमामे नस्फी रज़ियल्लाहू तआला अन्हु ने फरमाया के मूसा अलैहिस्सलाम ने रब से पूछा के मौला मैं तेरा कलीम हूँ और मुहम्मद [सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम] तेरा हबीब है ये तो फरमा के कलीमो हबीब में किया फर्क है खुदा ने फरमाया के कलीम वह है जो अपने मौला की रज़ा से काम करे और हबीब वह है जिस की रज़ा से मौला काम करे
और कलीम वह है जो अल्लाह को चाहे हबीब वह है जिसको अल्लाह चाहे कलीम वह है जो खुद तूरे सीना पर आकर इल्तिजा करे और हबीब वह है जो अपने बिस्तर पर आराम फरमा हो और [बहुक्मे खुदा] जिब्रील खुद हाज़िर होकर उसे एक पल में वहाँ ले आए जहाँ कोई न पहुँचा हो
बा हवाला: मुफीदुल वाएज़ीन सफहा 19,

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