चौदह सितारे पार्ट 27

मुबाहेला

बख़रान यमन में एक मुक़ाम है वहां ईसाई रहते थे और वहां एक बड़ा कलीसा था। आं हज़रत (स .व.व.अ.) ने उन्हें भी दावते इस्लाम भेजी उन्होंने तहक़ीक़े हालात के लिये एक वफद ज़ेरे क़यादत अब्दुल मसीह आक़िब मदीना भेजा। वह वफ़द मस्जिदे नबवी के सहन में आ कर ठहरा। हज़रत से मुबाकाएल न हुए। हुक्मे ख़ुदा नाज़िल हुआ फ़कुल तआलो अन्दाअ अब्ना आना ऐ पैग़म्बर उनसे कह दो कि दोनों अपने बेटों अपनी औरतों और अपने नफ़सों को लाकर मुबाहेला करें। चुनान्चे फ़ैसला हो गया और 24 ज़िलहिज 10 हिजरी को पंजेतने पाक झूटों पर लानत करने के लिये निकले। नसारा के सरदारों ने जूँही इनकी शकले देखीं कापने लगे और मुबाहेले से बाज़ आय। ख़राज़ देना मन्जूर कर लिया। जज़िया दे कर आया बनाना क़ुबूल किया।

(मआरिज अल इरफ़ान पृष्ठ 135, तफ़सीर बैज़ावी पृष्ठ 74)

सरवरे काऐनात के के आख़री लम्हाते ज़िन्दगी

हुज्जतुल विदा से वापसी के बाद आपकी वह अलालत जो बारवाएते मिशक़ात ख़ैबर में दिये हुए ज़हर के करवट लेने से उभरा करती थी, मुस्तमिर हो गई। आप अकसर बीमार रहने लगे, बीमारी की ख़बर आम होते ही झूटे मुद्दई नबूवत पैदा होने लगे जिनमें मुसालमा कज़्ज़ाब असवद अनसी तलहा सुजाह ज़्यादा नुमाया थे लेकिन ख़ुदा ने उन्हें जलील किया। इसी दौरान में आपको इत्तेला मिली कि हुकूमते रोम मुसलमानों को तबाह करने को तबाह करने का मन्सूबा तैयार कर रही है। आपने इस ख़तरे के पेश नज़र कि कहीं वह हमला न कर दें। उसामा बिन ज़ैद की सर करदगी में एक लशकर भेजने का फ़ैसला किया और हुक्म दिया कि अली के अलावा अयाने महाजिर व अनसार में से कोई भी मदीने में न रहे और इसी
रवानगी पर इतना ज़ोर दिया कि यह तक फ़रमा दिया लाअनल्लाह मन

तखलफ़अनहा जो इस जंग में न जायेगा उस पर ख़ुदा की लानत होगी। इसके बाद आं हज़रत ( स.व.व.अ.) ने असामा को अपने हाथों से तैयार कर के रवाना किया। उन्होंने तीन मिल के फ़ासले पर मुक़ामे ज़रफ़ में कैम्प लगाया और अयाने सहाबा का इन्तेज़ार करने लगे, लेकिन वह लोग न आये। मदारिज अल नबूवत जिल्द 2 पृष्ठ 488 व तारीख़े कामिल जिल्द 2 पृष्ठ 120, तबरी जिल्द 3 पृष्ठ 188 में है कि न जाने वालों में हज़रत अबू बकर व हज़रत उमर भी थे। मदारिज अल नबूवत जिल्द 2 पृष्ठ 494 में है कि आखिर सफ़र में जब कि आपको शदीद दर्दे सर था। आप रात के वक़्त अहले बक़ी के लिये दुआ की ख़ातिर तशरीफ़ ले गए। हज़रत आएशा   तलाश के लिये निकलीं तो आपको बक़ीया में महवे दुआ पाया। इसी किताब के पृष्ठ 495 में है कि आं हज़रत ( स.व.व.अ.) की तीमार दारी आपके अहले बैत करते थे।