अर-रहीकुल मख़्तूम पार्ट 38

मेराज

नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की दावत व तब्लीग़ (प्रचार-प्रसार) अभी सफलता और जुल्म व सितम के उस दर्मियानी मरहले से गुज़र रही थी और क्षितिज में दूर-दूर तक फैले तारों की झलक दिखाई पड़ना शुरू हो चुकी थी कि मेराज की घटना घटित हुई।

इब्ने कय्यिम लिखते हैं कि सही कथन के अनुसार अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को आपके मुबारक जिस्म के साथ बुराक़ पर सवार करके हज़रत जिबील अलैहिस्सलाम के साथ मस्जिदे हराम से बैतुल मक़िदस तक सैर कराई गई, फिर आप वहां उतरे और नबियों की इमामत करते हुए नमाज़ पढ़ाई और बुराक़ को मस्जिद के दरवाज़े के हलके से बांध दिया था।

इसके बाद उसी रात आपको बैतुल मक़िदस से आसमाने दुनिया तक ले जाया गया। जिब्रील अलैहिस्सलाम ने दरवाज़ा खुलवाया। आपके लिए दरवाज़ा खोला गया। आपने वहां इंसानों के बाप हज़रत आदम अलैहिस्सलाम को देखा और उन्हें सलाम किया। उन्होंने आपको मरहबा (अभिनन्दन) कहा, सलाम का जवाब दिया और आपकी नबूवत का इक़रार किया। अल्लाह ने आपको उनके दाहिनी ओर भाग्यवानों की आत्माएं और बाईं ओर भाग्यहीनों की आत्माएं दिखलाईं ।

फिर आपको दूसरे आसमान पर ले जाया गया और दरवाज़ा खुलवाया गया। आपने वहां हज़रत यह्या बिन जकरिया अलैहिस्सलाम और हज़रत ईसा बिन मरयम अलैहिस्सलाम को देखा। दोनों से मुलाक़ात की और सलाम किया। दोनों ने सलाम का जवाब दिया, मुबारकबाद दी और आपकी नबूवत का इक़रार किया।

फिर आपको तीसरे आसमान पर ले जाया गया। आपने वहां हज़रत यूसुफ़ अलैहिस्सलाम को देखा और सलाम किया। उन्होंने जवाब दिया, मुबारकबाद दी और आपकी नबूवत का इक़रार किया।

फिर चौथे आसमान पर ले जाया गया। वहां आपने हज़रत इदरीस अलैहिस्सलाम को देखा और उन्हें सलाम किया। उन्होंने जवाब दिया, मरहबा कहा और आपकी नबूवत का इक़रार किया।

फिर पांचवें आसमान पर ले जाया गया। वहां आपने हज़रत हारून बिन इम्रान अलैहिस्सलाम को देखा और उन्हें सलाम किया। उन्होंने जवाब दिया, मुबारकबाद दी और नबूवत का इक़रार किया।

फिर आपको छठे आसमान पर ले जाया गया। वहां आपकी मुलाक़ात हज़रत मूसा बिन इम्रान से हुई। आपने सलाम किया। उन्होंने मरहबा कहा और
फिर आपको छठे आसमान पर ले जाया गया। वहां आपकी मुलाक़ात हज़रत मूसा बिन इम्रान से हुई। आपने सलाम किया। उन्होंने मरहबा कहा और नुबूवत का इक़रार किया।

अलबत्ता जब आप वहां से आगे बढ़े, तो वह रोने लगे। उनसे कहा गया, आप क्यों रो रहे हैं?

उन्होंने कहा, मैं इसलिए रो रहा हूं कि एक नवजवान, मेरे बाद पैग़म्बर बनाकर भेजा गया, उसकी उम्मत के लोग मेरी उम्मत के लोगों से बहुत ज़्यादा तायदाद में जन्नत के अन्दर दाखिल होंगे।

इसके बाद आपको सातवें आसमान पर ले जाया गया। वहां आपकी मुलाक़ात हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम से हुई। आपने उन्हें सलाम किया। उन्होंने जवाब दिया, मुबारकबाद दी और आपकी नबूवत का इक़रार किया।

इसके बाद आपको सिदरतुलमुन्तहा तक ले जाया गया। इसके बेर (फल) हिज्र के ठलियों जैसे और उसके पत्ते हाथी के कान जैसे थे, फिर उस पर सोने के पतंगे, रोशनी और विभिन्न रंग छा गए और वह सियरा इस तरह बदल गया कि अल्लाह के पैदा किए हुए लोगों में से कोई उसके सौन्दर्य की प्रशंसा नहीं कर सकता। फिर आपके लिए बैते मामूर को ऊंचा किया गया। उसमें हर दिन सत्तर हज़ार फ़रिश्ते दाखिल होते थे जिनके दोबारा पलटने की नौबत नहीं आती थी। इसके बाद आपको जन्नत में दाखिल किया गया। उसमें मोती के गुम्बद थे और उसकी मिट्टी मुश्क थी। इसके बाद आपको और ऊपर ले जाया गया, यहां तक कि आप एक ऐसी बराबर जगह पर ज़ाहिर हुए जहां क़लमों की चरमराहट सुनी जा रही थी ।

फिर आपके लिए बैते मामूर को ज़ाहिर किया गया।

फिर अल्लाह के दरबार में पहुंचाया गया और आप अल्लाह के इतने क़रीब हुए कि दो कमानों के बराबर या उससे भी कम दूरी रह गई। उस वक़्त अल्लाह ने अपने बन्दे पर वह्य फ़रमाई जो कुछ कि वह्य फ़रमाई और पचास वक़्त की नमाजें फ़र्ज़ कीं ।

इसके बाद आप वापस हुए, यहां तक हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम के पास से गुज़रे, तो उन्होंने पूछा कि अल्लाह ने आपको किस चीज़ का हुक्म दिया है ? आपने फ़रमाया, पचास नमाज़ों का ।

उन्होंने कहा, आपकी उम्मत इसकी ताक़त नहीं रखती। अपने पालनहार के पास वापस जाइए और अपनी उम्मत के लिए इसके घटा देने की दरख्वास्त कीजिए।उन्होंने इशारा किया कि हां, अगर आप चाहें।

इसके बाद हज़रत जिब्रील आपको अल्लाह के हुजूर ले गये और वह अपनी जगह था। (कुछ रिवायतों में सहीह बुखारी के शब्द यही हैं) उसने दस नमाजें कम कर दीं और आप नीचे लाए गए।

जब मूसा अलैहिस्सलाम के पास से गुज़र हुआ तो उन्हें खबर दी।

उन्होंने कहा, आप अपने रब के पास वापस जाइए और कमी के लिए फिर कहिए। इस तरह हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम और अल्लाह के बीच आपका आना-जाना बराबर चलता रहा, यहां तक कि अल्लाह ने सिर्फ पांच नमाजें बाकी ने रखी। इसके बाद भी मूसा अलैहिस्सलाम ने आपको वापसी और कम करने की तलब का मश्विरा दिया, मगर आपने फ़रमाया, अब मुझे अपने रब से शर्म महसूस हो रही है। मैं इसी पर राज़ी हूं और इसे मान लेता हूँ।

ZECHARIAH (ZAKARIYA) AlaihisSalam

ZECHARIAH (ZAKARIYA)

Zechariah (Zakariya) was a prophet amongst Bani Israel and was the father of John the Baptist (Yahya). He was responsible for the rituals of worship as well as the upkeep of Bait-ill Muqqadas.

Fostering care of Mary

Mary (Maryam) was a niece of his wife. The mother of Mary had dedicated her unborn child to serve Bait-id Muqqadas. When she gave birth to a daughter, she did not retract from her vow of dedicating her child to the service of Bait-ul Muqqadas and gave her for foster care by her uncle, Zechariah.

When she grew up, he started to take her along to the great Mosque and taught her how to take care of all the sacred objects and how to conduct the rituals of worship. When she grew older, he alloted her a room inside the Mosque so that she could carry out her duties independently and at all times.

The Birth of John the Baptist

Zechariah had grown old and his wife was infertile. God revealed to him that he would have a son very soon who would be a great prophet and a leader. His conduct would be exemplary to all mankind. There had never been any one before him with the same name and that his name would be John the Baptist. He would affirm the innocence of Mary. Zechariah was struck with amazement over the possibility of having a child at his old age and through his wife who had been infertile all her life. God conveyed to him that there was nothing that was impossible for was not! Him to do. God gave Zechariah His sign for the prophecy, that he would be incapable of verbal communication with any one for a period of three days. So Zechariah was unable to talk for three days as the angel of God had forewarned him. Soon afterwards he had the son whom he named John, according to the Will of
God.

(Zakariya is known as Zechariah in the Torah)

References: The Qur’an: Sura Anbiya.

Ale Imran, An’am, Maryam and