
हजरत अम्मार बिन यासिर (रजिअल्लाहअन्हु)बयान करते हैं कि मैंने हुजूरे नबी ए करीम सल्लल्लाहू अलेही व आलेही वसल्लम को हजरत अली के लिए फरमाते हुए सुना: ऐय अली मुबारकबाद हो उसे जो तुझे से मोहब्बत करता है और तेरी तस्दीक करता है, और हलाकत हो उसके लिए जो तुझसे बुग्ज़ रखता है और तुझे झूठलाता है”
(Imaam Hakim, IrfanusSunnah, Safa;332)





