क़र्बला के शहीद जनाब जॉन बिन हुवाई

#कर्बला_मै_जंग_नहीं_जुल्म_हुआ_था_धोखा_किया_गया_था_गद्दारी_की_गई_थीं❗क़र्बला के शहीद जनाब जॉन बिन हुवाई,
ये मौला अली के दोस्त जनाब अबुजर अल गफ्फारी के ग़ुलाम थे, तीसरे खलीफा उस्मान बिन अफफान ने जब अबुज़र गफ्फारी को शहर बदर किया तो अबुजर गफ्फारी ने जॉन से कहा जॉन मे तुम्हे आज़ाद करता हूँ क्योकि अब मे खुद बेघर हो चुका तो मे नही चाहता तुम भी दर बदर फिरो,तो जॉन ने रोकर कहा हज़रत अब मेरा क्या होगा मे किसके सहारे रहूंगा तो जनाबे गफ्फारी ने हज़रत जॉन को मौला अली के पास चले जाने कि ताकीद कि , फिर मौला अली कि शहादत के बाद आप इमाम हसन और इमाम हसन कि शहादत के बाद आप इमाम हुसैन के साथ रहने लगे,फिर वो वक़्त भी आया जब आप क़र्बला इमाम हुसैन के हमराह आये , क़र्बला मे कई शहादतों के बाद आप भी शहादत पाने को बेकरार हुए और इमाम हुसैन से हाथ जोड़कर अर्ज़ किया आक़ा अब इस् ग़ुलाम को भी जंग कि इजाज़त दे, इमाम हुसैन ने ये कहते हुए मना फरमाया ए जॉन आप तो मेरे बाबा के साथ रहे, मेरे भाई के साथ रहे , मे आपको जंग कि इजाज़त केसे दे दु आप चले जाओ, ये सुनकर जॉन उदास हुए और फरमाया ए हुसैन इब्ने अली मे समझ गया चुंकि मे हबशी ग़ुलाम हूँ मेरा रंग काला है मेरे जिस्म से बदबू आती है आप नही चाहते मेरा खून आपके खून से मिले, इसलिए मुझें शहादत कि इजाज़त नही देते और रोने लगे बस इतना सुनना था इमाम हुसैन भी रोये और गले लगाकर जंग कि इजाज़त दी , हज़रत जॉन मैदान मे गये यज़ीदियों से जंग कि और शही्द हुए , इमाम हुसैन ने जॉन का सर अपने जानू पा रखा और दुआ कि ए अल्लाह तु जॉन के बदन को पाक़ीज़ा फरमा इसके खून को खुशबू से मुआत्तर कर दे , जॉन शहीद हुए , तवारीख मे है जब शहीदों को दफनाया गया तो जॉन के बदन से अजीब खुशबु आ रही थी!
किसी शायर ने क्या खूब कहा ,
जॉन को हैरती नज़रो से ना देखो युसूफ,
दिल के बाजार मे क़ीमत नही देखी जाती!

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