
मवद्दत क्या होती है ???




: *1 ज़िल्हिज (यौम ए निकाह)*
*अक़्द ए सय्यदा फ़ातिमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा व सय्यदना अली ए मुर्तज़ा कर्रमअल्लाहो वजहुल करीम*
*ये मुबारक निकाह अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त ने अर्श पे करवाया और अल्लाह के रसूल ने फ़र्श पे करवाया*
*हज़रत अनस रदिअल्लाहो अंहों से मरवी है कि हुज़ूर नबी ए अकरम सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम मस्जिद में तशरीफ़ फ़रमा थे*
*हज़रत अली ए मुर्तज़ा कर्रमअल्लाहो वजहुल करीम से फ़रमाया : ये जिबरील हैं जो मुझे ख़बर दे रहे हैं के अल्लाह तआला ने सय्यदा फ़ातिमा से तुम्हारा निकाह कर दिया है और तुम्हारे निकाह पर मआला ए आला में 40,000 मुक़र्रब फ़रिश्तों को गवाह के तौर पर मजलिस ए निकाह में शरीक किया और शजरा ए तूबा से फ़रमाया इन पर मोती और याक़ूत बरसा, फिर दिलकश आंखों वाली हूरें उन मोतियों और याक़ूत से थाल भरने लगीं जिन्हें (तक़रीब ए निकाह में शिरकत करने वाले) फ़रिश्ते क़यामत तक एक दूसरे को बतौर तोहफ़ा देते रहेंगे*
*एक दूसरी रिवायत में हैं कि शजरे तूबा ने अल्लाह के हुक्म से उन 40,000 मुक़र्रब फ़रिश्तों पर अपने पत्तों की बारिश की थी उन पत्तों को फ़रिश्ते त-क़यामत तक एक दूसरे को दे कर इस मुबारक निकाह की मुबारकबाद देते रहेंगे और रोज़े महशर ये मुक़द्दस पत्ते फ़रिश्ते मुहिब्बाने अहलेबैत को दे देंगे ये मुक़द्दस पत्ते निजात का परवाना होंगे*
*📚 मुहिबुद्दीन तबरी रियाज़ उन नज़रा 3/146*
*📚 ज़ख़ीरूल उक़्बा फ़ी मनाक़िब ज़ाविल क़ुर्बा 72*

यौम ए अक़्द मौला ए कायनात अली इब्ने अबि तालिब (अलैहिस्सलाम) व खातून ए कायनात फातिमा बिन्ते मोहम्मद (सलाममुल्लाही अलैहा)
हज़रत अली رضي الله عنه से रिवायत है के आप फरमाते हैं कि रसुलुल्लाह ﷺ ने फरमाया के ऐक फरिश्ता मेरे पास आया और कहा के : “अय मुहम्मद ﷺ अल्लाह ﷻ आप को सलाम केहलवाया है और फरमाया है कि मैं ने आलमे-बाला में मुकर्रब फरिश्तों की मजलिस में आपकी बेटी फातिमा رضي الله عنها को अली رضي الله عنه की झैजीयत (निकह) में दे दिया है अब आप ज़मीन पर फातिमा رضي الله عنها को अली رضي الله عنه की झौजीयत मे दे दें|
📚किताब : ज़खाइरूल उक़बा फी मनाक़िबे-ज़विल-क़ुरबा सफा : 72
बाब : अल्लाह तआला का आलमे-बाला में मलाइका की हाज़री में फातिमा को अली की झौज़ीयत में देना.

हज़रते असमा बिन्ते अमिस رضي الله عنها फरमाती है: मैं रसूलल्लाह ﷺ की साहबज़ादी हज़रते फातिमा رضي الله عنها की शबे अरोसी के मोके पर उनके घर मौजूद थी, जब सुबह हुवी तोह नबीऐ अकरम ﷺ दरवाज़े पर तशरीफ़ लाऐ और फ़रमाया: ए उम्मे ऐमन मेरे भाई को मेरे पास बुलाओ – उन्होंने कहा : वो आपका भाई है? जब के आपने (अपनी बेटी के साथ) उसका निकाह किया है – आपने फ़रमाया: जी हां ऐ उम्मे ऐमन – उसी ईशना मे हज़रते अली رضي الله عنه भी आ गऐ ,नबीऐ अकरम ﷺ ने उनके जिसम पर पानी का छींटा मरते हुवे दुआए खैर दी और फ़रमाया: फातिमा رضي الله عنها को मेरे पास बुलाओ – उम्मे ऐमन फरमाती है: हज़रते फातिमा رضي الله عنها हया की वजह से झिज़कती हुवी आई, रसूलल्लाह ﷺ ने उनसे फ़रमाया : *तुम मुत्मइन रहो क्यूंकि मैंने तुम्हारा निकाह उस शख्स के साथ किया है जो पुरे खानदान मै मुझे सबसे जियादा अज़ीज़ है*|
अल मुस्तद्रक लिल हाकिम जिल्द: 4 हदीस नं: 4752

*Maula e Kaynat wa Sayyeda e Kaynat Ka Nikah*
Hazrat Anas Razi Allahu Tala Anhu Riwayat Karte Hain Ke Huzoor Nabi e Kareem ﷺ Masjid Me Tashrif Farma The Ke Hazrat Maula Ali Alahis Salam Se Farmaya :- Ye Jibrail Alahis Salam Hain Jo Mujhe Khabar De Rahe Hain Ke Allah Azzawajal Ne Fatima Se Tumhara Nikah Kar Diya Hain Aur Tumhare Nikah Par Ma’ala e Aala Me 40,000 Farishto Ko Gawah Ke Taur Par Majlis e Nikah Me Shareek Kiya Hain Aur Shajra Haa e Tauba Se Farmaya :- In Par Moti Aur Yaqoot Nichawar Karo Uske Bad Dilkash Aankho Wali Hoore’n Un Motiyon Aur Yaqooto’n Se Thaal Bharne Lagi, Jinhe Taqreeb e Nikah Me Shirkat Karne Wale Farishte Qayamat Tak Ek Dusre Ko Bataur e Taha’if Dete Rahenge.
📚 *Reference* 📚
*1.* Muhibuddin Tabari, Riyaz un Nazra, Jild 3, Safa 146.
*2.* Muhibuddin Tabari, Zakhaairul Uqba Fi Manaqib Zawil Qurba, Safa 72.
हुज़ूर ने फ़रमाया अली के दुश्मन का ज़मीन पर चलना और दुनिया से फ़ायदा उठाना हराम है
अब्दुल्लाह इब्ने अब्बास रदिअल्लाहो अन्हो रिवायत करते हैं
हुज़ूर नबी ए करीम सल्लल्लाहो अलैहे वा आलेही वा सल्लम ने इरशाद फ़रमाया ऐ अली अल्लाह ने तुम्हारा निकाह फ़ातिमा से किया है इस निकाह का महेर ज़मीन को क़रार दिया है चुनांचे जो तुमसे बुग्ज़ रखते हुए ज़मीन पर चले तो उसका इस (ज़मीन) पर चलना हराम है
हवाला 📚📚👇👇
*मुसनद अल फ़िरदोस 5/319*

Hazrat Saad Bin Taarik (Razi Allahu Anhu) Apne Walid Se Riwayat Karte Hain Ke Unhon Ne Nabi Akram (Sallallahu Alayhi Wa Aalihi Wa Sallam) Se Suna:
Ek Shakhs Aap Ki Khidmat Mein Haazir Hua Aur Usne Arz Kiya:
“Allah Ke Rasool! Main Jab Apne Rab Se Sawal Karun To Kya Kahun?”
Aap (Sallallahu Alayhi Wa Aalihi Wa Sallam) Ne Farmaya:
“Tum Yeh Kaho:
اللَّهُمَّ اغْفِرْ لِي وَارْحَمْنِي وَعَافِنِي وَارْزُقْنِي
‘Allahumma Ighfir Li, Warhamni, Wa ‘Aafini, Warzuqni’
(“Aey Allah! Mujhe Bakhsh De, Mujh Par Reham Farma, Mujhe ‘Aafiyat De Aur Mujhe Rizq Ata Farma”).
Aur Aap (Sallallahu Alayhi Wa Aalihi Wa Sallam) Ne Anguthay Ke Ilawa Chaaron Ungliyan Jama Kar Ke Farmaya:
“Yeh Chaaron Kalimat Tumhare Liye Deen Aur Duniya Dono Ko Ikattha Kar Denge.”
(Sunan Ibn Majah 3845)

