
🌼हज़रत अली से शदीद मुहब्बत क्यों ? 🌼
तकरीबन 1400 साल पेहले एक शख्स ने येही सवाल हज़रत सलमाने फारसी (रिदवानुल्लाह अलैहि) से किया था ,
जिसको इमाम हाकिम नैशापुरी (रह) ने सहीह सनद से बयान किया हैं,
(1) अखबरनी अहमद बिन उष्मान बिन यह्या अल मूकरी बे-बगदाद,
(2) हद्दषना अबुबक्र बिन अबिल अव्वाम अल रियाही,
(3) हद्दषना अबु ज़ैद सईद बिन औस अल अन्सारी,
(4) हद्दषना औफ (अल एअराबी),
(5) अन अबी उष्मान अल नहदी काल :
काल रजूलुन ले-सलमान मा अशद्द हूब्बक ले-अलीय्यिन, काल : समिअतू रसुलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि व आलिही) यकुलू (( मन अहब्ब अलिय्यन फकद अहब्बनी व मन अब-गद अलिय्यन फकद अब-गदनी )).
अबी उष्मान अल नहदी (रह) बयान करते हैं कि एक शख्स ने हज़रत सलमाने फारसी (रिदवानुल्लाह अलैहि) से पुछा के आप हज़रत अली से इतनी शदीद मुहब्बत क्यों करते हो !! तो हज़रत सलमाने फारसी (रिदवानुल्लाह अलैहि) ने फरमाया के मैं ने रसुलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि व आलिही) को येह फरमाते हुए सुना के (( जिसने अली से मुहब्बत की उसने मुझ से मुहब्बत की और जिसने अली से बुगज़ रखा उसने मुझ से बुगज़ रखा )).
इमाम हाकिम नैशापुरी (रह) ने इस रिवायत को शयखैन की शर्त पर सहीह कहा.
और हाफिज ज़हबी (रह) ने भी मुवाफेकत की.
“अल मूस्तदरिक”/ जि:3/ ह. नं : 4648.
मुसन्निफ इमाम अबी अब्दिल्लाह मुहम्मद बिन अब्दिल्लाह हाकिम नैशापुरी (रह).
वफात हि.स.-405.
👉 इस रिवायत के रावीयों का बयान.
(1) पेहला रावी :
अहमद बिन उष्मान बिन यह्या अल-मुकरी है.
इमाम खतीब बग़दादी (रह) ने कहा षिकह (काबिले-एतेमाद) और इनकी हदीष बेहतरीन थीं.
हाफिज अबुबक्र अल बरक़ानी (रह) ने कहा में इनके हाल से वाकिफ़ नहीं हुं मगर येह शख्स षिकह (काबिले-एतेमाद) है.
👉”तारीखे बगदाद” जि:5/ रि. नं – 2389.
इमाम खतीब बग़दादी (रह) वफात हि.स.463.
👉 “सीयरुन आलाम” जि:15/ रि.नं-341.
हाफिज ज़हबी (रह) वफात हि.स.-748.
(2) दुसरा रावी :
अबुबक्र बिन अल अव्वाम अल रियाही
इमाम दारे-क़ूत्नी (रह) ने कहा सदुक़ (सच्चे) हैं
इमाम अहमद के बेटे अब्दुल्लाह (रह) ने कहा सदुक़ (सच्चे) हैं मैं इन के अंदर खैर के अलावा और कुछ नहीं जानता.
👉”तारीखे-बगदाद” जि:1/रि.नं-323.
इमाम हाकिम नैशापुरी (रह) ने इमाम दारे-क़ूत्नी (रह) से अबुबक्र बिन अल अव्वाम अल रियाही के बारे में सवाल किया तो फरमाया के वोह सदुक़ (सच्चा) है.
👉”सुआलाते हाकिम ले-दारे-क़ूत्नी” रि.नं-527.
(3) तीसरा रावी :
सईद बिन औस बिन साबित अबु ज़ैद अल अनसारी षिकह हैं पुख्ता हैं बसरा के रेहनेवाले हैं बगदाद मे आए थे.
👉” तारीखे-बगदाद ” जि:9/ रि.नं – 4660.
सईद बिन औस बिन साबित अल अनसारी
इमाम यह्या इब्न मईन ने कहा सच्चे हैं.
इमाम अबी हातिम ने कहा सच्चे हैं.
सालेह बिन मुहम्मद बगदादी ने कहा षिकह हैं.
👉”तहज़ीबूल-कमाल ” रि.नं – 2239.
(4) चौथे रावी :
औफ बिन अबी जमीला अल एराबी बसरी.
इमाम अहमद (रह) ने कहा षिकह और सालेहूल हदीष हैं.
इमाम यह्या इब्न मईन ने कहा षिकह हैं.
इमाम निसाई ने कहा षिकह हैं पुख्ता हैं.
इमाम अबु हातिम ने कहा सच्चे हैं.
👉”तहज़ीबूल-कमाल ” रि.नं – 4545.
(5) पांचवे रावी :
अबु उष्मान अल नहदी अब्दुर्रहमान बिन मल अल कुफी अल बसरी.
इमाम अली इब्न मदीनी ने कहा षिकह हैं.
इमाम अबु हातिम ने कहा षिकह हैं.
इमाम अबु ज़ूरआ ने कहा षिकह हैं.
👉”तहज़ीबूल-कमाल ” रि. नं – 3968.
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🔥मारुफ सलफी (अहले-हदीष) आलिम अबु अब्दिर्रहमान मुक़बिल बिन हादी अल वादई अपनी किताब “अल सहीहूल मुस्नद” में इस रिवायत को बयान करने के बाद फरमाते हैं के
“अबु ज़ैद अल अनसारी से शयखैन ने रिवायत नहीं ली मगर यह हदीष ” सहीह” है”.
👉”अल सहीहूल मुस्नद ” जि:1/ह.नं-442.
अल्लामह मूकबिल बिन हादी अल वादई.





