
आपके अहदे हयात और बादशहाने वक़्त
आपकी विलादत 232 हिजरी में उस वक़्त हुई जब कि वासिक़ बिल्लाह बिन मोतसिम बादशाहे वक्त़ था जो 227 हिजरी में ख़लीफ़ा बना था।(तारीख़ अबूल फ़िदा) फिर 233 हिजरी में मुतावक्किल ख़लीफ़ा बना(तारीख़ इब्नुल वरा) जो हज़रत अली (अ.स.) और उनकी औलाद से सख़्त बुग़़्ज़ व कीना रखता था और उनकी मनक़स्त किया करता था।(हयातुल हैवान व तारीख़े कामिल) इसी ने 236 हिजरी में इमाम हुसैन (अ.स.) की ज़्यारत को जुर्म क़रार दी और उनके मज़ार को ख़त्म करने की सई की।(तारीख़े कामिल) और इसी ने इमाम अली नक़ी (अ.स.) को जबरन मदीने से सरमन राय तलब करा लिया।(सवाएक़े मोहर्रेक़ा) और आपको गिरफ़्तार करा के आपके मकान की तलाशी कराई।(दफ़अतिल अयान) फिर 247 हिजरी में मुन्तसर बिन मुतावक्किल ख़लीफ़ा ए वक़्त हुआ।(तारीख़े अबुल फ़िदा) फिर 248 हिजरी में मोतस्तईन ख़लीफ़ा बना।(अबूल फ़िदा) फिर 252 हिजरी में मुमताज़ बिल्ला ख़लीफ़ा हुआ।(अबुल फ़िदा) इसी ज़माने में अली नक़ी (अ.स.) को ज़हर से शहीद कर दिया गया।(नूरूल अबसार) फिर 255 हिजरी में मेंहदी बिल्लाह ख़लीफ़ा बना।(तारीख़ इब्ने अल वर्दी) फिर 256 हिजरी में मोतमिद बिल्ला ख़लीफ़ा हुआ।(तारीख़ अबुल फ़िदा) इसी ज़माने में 260 हिजरी में इमाम हसन असकरी (अ.स.) ज़हर से शहीद हुए।(तारीख़े कामिल) इन तमाम खुल्फ़ा ने आपके साथ वही बरताव किया जो आले मोहम्मद (स अ व व ) के साथ बरताव किए जाने का दस्तूर चला आ रहा था।
चार माह की उम्र में मनसबे इमामत
हज़रत इमाम हसन असकरी (अ.स.) कि उम्र जब चार माह के क़रीब हुई तो आपके वालिद अली नक़ी (अ.स.) ने अपने बाद के लिये मन्सबे इमामत की वसीअत की और फ़रमाया कि मेरे बाद यही मेरे जां नशीन होंगे और इस पर बहुत से लोगों को गवाह भी कर दिया।(इरशाद मुफ़ीद पृष्ठ 502 व दमए साकेबा जिल्द 3 पृष्ठ 193 बहवाला ए उसूले काफ़ी)
अल्लामा इब्ने हजर मक्की का कहना है कि इमाम हसन असकरी (अ.स.) इमाम अली नक़ी (अ.स.) की औलाद में सब से ज़्यादा अज़िल अरफ़ा अला व अफ़ज़ल थे।
चार साल की उम्र में आपका सफ़रे ईराक़
मुतावक्किल अब्बासी जो आले मोहम्मद (स अ व व ) का हमेशा से दुश्मन था उसने इमाम हसन असकरी (अ.स.) के वालिदे बुज़ुर्गवार इमाम अली नक़ी (अ.स.) को जबरन 239 हिजरी में मदीने से ‘‘ सरमन राय ’’ बुला लिया। आप ही के हमराह इमाम हसन असकरी (अ.स.) को भी जाना पड़ा। इस वक़्त आपकी उम्र चार साल चन्द माह की थी।(दमए साकेबा जिल्द 3 पृष्ठ 162 )
यूसुफ़े आले मोहम्मद(स. अ.) कुएं में
हज़रत इमाम हसन असकरी (अ.स.) न जाने किस तरह अपने घर के कुएं में गिर गए। आपके गिरने से औरतों में कोहरामे अज़ीम बरपा हो गया। सब चीख़ने और चिल्लाने लगीं मगर हज़रत इमाम अली नक़ी (अ.स.) जो महवे नमाज़ थे मुतलक़ मुताअस्सिर न हुए और इतमिनान से नमाज़ का एख़तेताम किया। उसके बाद आपने फ़रमाया कि घबराओ नहीं हुज्जते ख़ुदा को कोई गज़न्द न पहुँचेगी। इसी दौरान में देखा कि पानी बलन्द हो रहा है और इमाम हसन असकरी (अ.स.) पानी में खेल रहे हैं।(दमए साकेबा जिल्द 3 पृष्ठ 179 )

