

*बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम*
*रसूल अल्लाह हज़रत मोहम्मद मुस्तफ़ा स्वल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम के क़ौल ओ फ़रमान ए आलीशान के मुताबिक़ वो दो अज़ीम व ज़रूरी चीज़ें कौन सी हैं जो हुज़ूर पाक अलैहिस्सलाम ने अपने आखरी ख़ुतबे में बतौर वसीयत फ़रमाई हैं👉*
आईये हदीस के आईने में देखते हैं➡️
☪️ सहा सित्ता में से एक किताब सही मुस्लिम शरीफ़ में हदीस नम्बर 6225 में इस तरह ज़िक्र हुआ है कि➡️
*”ज़ैद बिन अरक़म रज़ियल्लाहु अन्हू फ़रमाते हैं कि रसूलअल्लाह ने एक दिन मक्का और मदीना के दरमियान वाक़ए मक़ामे “ख़ुम्” के पानी के मक़ाम पर ख़ुत्बा सुनाने को खड़े हुए, आप अलैहिस्सलाम ने अल्लाह की हम्द की और उसकी तारीफ़ को बयान किया और वाज़ ओ नसीहत की,फिर फ़रमाया के ए लोगों में आदमी हूँ क़रीब है कि मेरे रब्ब का भेजा हुआ मौत का फरिश्ता पैग़ाम ए अजल लाए और में क़ुबूल कर लूँ। में तुम मे दो बड़ी चीज़ें छोड़े जाता हूँ पहली तो अल्लाह की किताब है और उसमे हिदायत है और नूर है,फिर रसूलअल्लाह स्वल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम ने फ़रमाया के दूसरी अज़ीम चीज़ मेरे अहलेबैत हैं, में तुम्हे अपने अहलेबैत के बारे में अल्लाह तआला याद दिलाता हूँ, तीन बार यही फ़रमाया ।(मफ़हूम ए हदीस ए सकलैन)*
अब यहाँ एक बात तो अच्छे से वाज़ेह हो गई के अल्लाह के रसूल अलैहिस्सलाम जो दो अज़ीम चीज़ें छोड़ कर गए हैं उनमें से एक क़ुरआन है और दूसरी हुज़ूर के अहलेबैत हैं।इन्ही दोनों चीज़ों(क़ुरआन व अहलेबैत) से उम्मत को रसूलअल्लाह ने जुड़े रहने और हिदायत लेने की तालीम और वसीयत फ़रमाई है।अब यहाँ पर क़ुरआन के बारे में तो कोई इख़्तिलाफ़ नही है कि उसके बारे में सबको मालूम है कि ये अल्लाह की किताब है,लेकिन अब यहाँ अहलेबैत के बारे में जानना भी ज़रूरी है कि अहलेबैत में आख़िर कौनसी हस्तियाँ शामिल हैं जिनसे जुड़े रहने के लिए हुज़ूर को तीन बार बोलना पड़ा।
➡️एक दूसरी जगह फिर ये रिवायत आयी है जिसमे कुछ और बात साफ़ हो जाती है👉
Sahih Muslim Hadees # 6228
حَدَّثَنَا مُحَمَّدُ بْنُ بَكَّارِ بْنِ الرَّيَّانِ، حَدَّثَنَا حَسَّانُ يَعْنِي ابْنَ إِبْرَاهِيمَ، عَنْ سَعِيدٍ وَهُوَ ابْنُ مَسْرُوقٍ، عَنْ يَزِيدَ بْنِ حَيَّانَ، عَنْ زَيْدِ بْنِ أَرْقَمَ، قَالَ: دَخَلْنَا عَلَيْهِ فَقُلْنَا لَهُ: لَقَدْ رَأَيْتَ خَيْرًا، لَقَدْ صَاحَبْتَ رَسُولَ اللهِ صَلَّى اللهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ وَصَلَّيْتَ خَلْفَهُ، وَسَاقَ الْحَدِيثَ بِنَحْوِ حَدِيثِ أَبِي حَيَّانَ، غَيْرَ أَنَّهُ قَالَ: أَلَا وَإِنِّي تَارِكٌ فِيكُمْ ثَقَلَيْنِ: أَحَدُهُمَا كِتَابُ اللهِ عَزَّ وَجَلَّ، هُوَ حَبْلُ اللهِ، مَنِ اتَّبَعَهُ كَانَ عَلَى الْهُدَى، وَمَنْ تَرَكَهُ كَانَ عَلَى ضَلَالَةٍ وَفِيهِ فَقُلْنَا: مَنْ أَهْلُ بَيْتِهِ؟ نِسَاؤُهُ؟ قَالَ: لَا، وَايْمُ اللهِ إِنَّ الْمَرْأَةَ تَكُونُ مَعَ الرَّجُلِ الْعَصْرَ مِنَ الدَّهْرِ، ثُمَّ يُطَلِّقُهَا فَتَرْجِعُ إِلَى أَبِيهَا وَقَوْمِهَا أَهْلُ بَيْتِهِ أَصْلُهُ، وَعَصَبَتُهُ الَّذِينَ حُرِمُوا الصَّدَقَةَ بَعْدَهُ
Sahih Hadees
तर्जुमा–सईद बिन मसरूक़ ने बिन हैयान से उन्होंने ज़ैद बिन अरक़म रज़ियल्लाहू अन्हू से रिवायत की कहा हम उनके पास आये और उनसे अर्ज़ की:आप ने बहुत खैर देखी है, आप रसूल अल्लाह स्वल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम के साथ रहे हैं और आप अलैहिस्सलाम के पीछे नमाज़ें पढ़ीं हैं और फिर अबु हैयान की हदीस की तरह हदीस बयान की के रसूलअल्लाह ने फ़रमाया *”देखो में तुम्हारे दरमियान दो अज़ीम चीज़ें छोड़े जा रहा हूँ, एक अल्लाह की किताब है जिसने उसे थाम कर उसकी इत्तेबा किया वो सीधी राह पर रहेगा और जो उसे छोड़ देगा वो गुमराही पर होगा।और दूसरी चीज़ मेरे अहलेबैत हैं।हम ने आप से पूछा कि आप के अहलेबैत कौन हैं? सिर्फ़ आप की अज़वाज ?हुज़ूर ने फ़रमाया नही ,अल्लाह की क़सम ! औरत अपने मर्द के साथ ज़माने का बड़ा हिस्सा रहती है, फिर वो उसे तलाक़ दे देता है तो वो अपने बाप और अपनी क़ौम की तरफ़ वापस चली जाती है।आप स्वल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम के बाद आप के अहलेबैत वो हैं जो आप के खानदान से हैं आप के रिश्तेदार जिन पर सदक़ा हराम है।”*
*अहलेबैत से कौन मुराद हैं ?*➡️
Jam e Tirmazi Hadees # 3787
حَدَّثَنَا قُتَيْبَةُ بْنُ سَعِيدٍ، حَدَّثَنَا مُحَمَّدُ بْنُ سُلَيْمَانَ الْأَصْبَهَانِيُّ، عَنْ يَحْيَى بْنِ عُبَيْدٍ، عَنْ عَطَاءِ بْنِ أَبِي رَبَاحٍ، عَنْ عُمَرَ بْنِ أَبِي سَلَمَةَ رَبِيبِ النَّبِيِّ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ، قَالَ: نَزَلَتْ هَذِهِ الْآيَةُ عَلَى النَّبِيِّ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ إِنَّمَا يُرِيدُ اللَّهُ لِيُذْهِبَ عَنْكُمُ الرِّجْسَ أَهْلَ الْبَيْتِ وَيُطَهِّرَكُمْ تَطْهِيرًا سورة الأحزاب آية 33 فِي بَيْتِ أُمِّ سَلَمَةَ، فَدَعَا النَّبِيُّ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ فَاطِمَةَ، وَحَسَنًا، وَحُسَيْنًا فَجَلَّلَهُمْ بِكِسَاءٍ، وَعَلِيٌّ خَلْفَ ظَهْرِهِ فَجَلَّلَهُ بِكِسَاءٍ، ثُمَّ قَالَ: اللَّهُمَّ هَؤُلَاءِ أَهْلُ بَيْتِي فَأَذْهِبْ عَنْهُمُ الرِّجْسَ وَطَهِّرْهُمْ تَطْهِيرًا ، قَالَتْ أُمُّ سَلَمَةَ: وَأَنَا مَعَهُمْ يَا نَبِيَّ اللَّهِ ؟ قَالَ: أَنْتِ عَلَى مَكَانِكِ وَأَنْتِ إِلَى خَيْرٍ . قَالَ: وَفِي الْبَابِ عَنْ أُمِّ سَلَمَةَ، وَمَعْقِلِ بْنِ يَسَارٍ، وَأَبِي الْحَمْرَاءِ، وَأَنَسٍ، قَالَ: وَهَذَا غَرِيبٌ هَذَا الْوَجْهِ.
Sahih Hadees
*तर्जुमा–सहा सित्ता की मशहूर किताब तिरमिज़ी शरीफ़ की हदीस नम्बर 3787 में ज़िक्र आया है कि जब आयते करीमा*
*إِنَّمَا يُرِيدُ اللَّهُ لِيُذْهِبَ عَنكُمُ الرِّجْسَ أَهْلَ الْبَيْتِ وَيُطَهِّرَكُمْ تَطْهِيرًا*
*ऐ (पैग़म्बर के) अहले बैत खुदा तो बस ये चाहता है कि तुमको (हर तरह की) बुराई से दूर रखे और जो पाक व पाकीज़ा दिखने का हक़ है वैसा पाक व पाकीज़ा रखे* (अल अहज़ाब-33)
नबी करीम अलैहिस्सलाम पर जब ये👆आयत हज़रत उम्मे सलमा रज़ियल्लाहु अन्हू के घर मे उतरीं तो आप अलैहिस्सलाम ने हज़रत फ़ातिमा, हज़रत हसन व हज़रत हुसैन अलैहिस्सलाम को बुलाया और आपने उन्हें एक चादर में ढाँप लिया और अली अलैहिस्सलाम भी आपके पुश्त मुबारक के पीछे थे तो आप ने उन्हें भी चादर में छुपा लिया फिर यूँ फ़रमाया *”ए अल्लाह ये मेरे अहलेबैत हैं”* तू इनसे नापाकी को दूर रख और इन्हें अच्छी तरह से पाक रखना।उम्मे सलमा रज़ियल्लाहु अन्हू ने फरमाया :में भी इनके साथ हूँ? आप अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया तुम अपनी जगह पर रहो और तुम भी नेकी पर हो।
*👆इस हदीस पाक से हमें पता चल जाता है कि अहलेबैत में हुज़ूर के अलावा अमीरूल मोमेनीन हज़रत अली,हज़रत फ़ातिमा ज़हरा,हज़रत इमाम हसन और इमाम हुसैन शामिल हैं और हुज़ूर पाक ने तमाम उम्मत को क़ुरआन के साथ इन्ही हस्तियों से जुड़े रहने को फ़रमाया है।*
*Sahih Bukhari Hadees # 3751*
حَدَّثَنِي يَحْيَى بْنُ مَعِينٍ , وَصَدَقَةُ ، قَالَا : أَخْبَرَنَا مُحَمَّدُ بْنُ جَعْفَرٍ ، عَنْ شُعْبَةَ ، عَنْ وَاقِدِ بْنِ مُحَمَّدٍ ، عَنْ أَبِيهِ ، عَنْ ابْنِ عُمَرَ رَضِيَ اللَّهُ عَنْهُمَا ، قَالَ : قَالَ أَبُو بَكْرٍ : ارْقُبُوا مُحَمَّدًا صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ فِي أَهْلِ بَيْتِهِ .
Sahih Hadees
बुखारी शरीफ की हदीस नम्बर 3751 में *हज़रत अबूबकर रज़ियल्लाहु अन्हू ने फरमाया के नबी करीम स्वल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम की ख़ुशनूदी को आप के अहलेबैत के साथ मोहब्बत व ख़िदमत के ज़रिए तलाश करो।*(मतलब हुज़ूर पाक को खुश और राज़ी करना है तो हज़रत अली,हज़रत फ़ातिमा,इमाम हसन और इमाम हुसैन की मोहब्बत दिल मे होना ज़रूरी है और इन्ही हज़रात की ख़िदमत भी ज़रूरी है।)
*☪️Mishkat ul Masabeeh Hadees # 6183*
وَعَن
أبي ذرٍ أَنَّهُ قَالَ وَهُوَ آخِذٌ بِبَابِ الْكَعْبَةِ: سَمِعْتُ النَّبِيَّ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ يَقُولُ: «أَلَا إِنَّ مِثْلَ أَهْلِ بَيْتِي فِيكُمْ مِثْلُ سَفِينَةِ نُوحٍ مَنْ رَكِبَهَا نَجَا وَمَنْ تَخَلَّفَ عَنْهَا هلك» . رَوَاهُ أَحْمد
मिश्कात शरीफ़ की हदीस नम्बर 6183 में हज़रत अबुज़र गफ़्फ़री रज़ियल्लाहु अन्हू से रिवायत है कि उन्होनें कहा: *इस हाल मैं के वो काबे को पकड़े हुए थे, मैंने नबी करीम को फ़रमाते हुए सुना “सुनलो !तुममे मेरे अहलेबैत की मिसाल कश्तिये नूह अलैहिस्सलाम की तरह है, जो इसमें सवार हो गया वो निजात पा गया और जो इससे रह गया वो हलाक हो गया।”*
एक रिवायत और मुलाहिज़ा कीजिए👉
Mishkat ul Masabeeh Hadees # 6182
وَعَنْهُ
قَالَ: قَالَ رَسُولُ اللَّهِ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ: «أَحِبُّوا اللَّهَ لِمَا يَغْذُوكُمْ مِنْ نِعَمِهِ فَأَحِبُّونِي لِحُبِّ اللَّهِ وَأَحِبُّوا أَهْلَ بَيْتِي لحبِّي» . رَوَاهُ التِّرْمِذِيّ
Sahih Hadees
इब्ने अब्बास रज़ियल्लाहु अन्हू बयान करते हैं रसूलअल्लाह स्वल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम ने फ़रमाया: *”अल्लाह से मोहब्बत करो के उसने तुम्हें नेमतों से नवाज़ा है, और अल्लाह की मोहब्बत की ख़ातिर मुझसे मोहब्बत करो और मेरी मोहब्बत की ख़ातिर मेरे अहलेबैत से मोहब्बत करो”*
🙏❤️ऊपर मौजूद तमाम रिवायात से ये बात अच्छे से समझ आ जाती है कि हुज़ूर ने अपने ख़ुतबे में जिन दो अज़ीम और ज़रूरी चीज़ें अपने बाद छोड़ी हैं उनमें से एक क़ुरआन है और दूसरी हुज़ूर के अहलेबैत हैं, और क़ुरआन के साथ अहलेबैत को इसलिए जरूरी क़रार दिया क्योंकि क़ुरआन को समझने के लिए हुज़ूर अलैहिस्सलाम के बाद अहलेबैत ही ऐसी शख़्सियत हैं जो सही दीन व सुन्नत को अवाम तक पहुंचा सकते हैं।इसलिए अगर हुज़ूर के मुताबिक़ सही दीन व सुन्नत को हासिल करना है तो हमें क़ुरआन के साथ साथ अहलेबैत को भी अपनाना पड़ेगा।❤️🙏
🖋️ *अबु मोहम्मद


