
🔥[1] माविया के गवर्नर मुगैरा इब्ने शैबा को हजरत कहने वाले तवज्जो दें….
✍️ शैख नसरुद्दीन अलबानी ने “सिलसिला अहादीस ए सहीहा” में लिखा है कि –
عَنْ زِيَادِ بن عِلاقَةَ، عَنْ عَمِّهِ، أَنَّ الْمُغِيرَةَ بن شُعْبَةَ، سَبَّ عَلَي بن أَبِي طَالِب فَقَامَ إِلَيْهِ زَيْدُ بن أَرْقَمَ ، فَقَالَ: يَا مُغِيرَة! أَلَمْ تَعْلَمْ أَنَّ رَسُولَ اللهِ صلی اللہ علیہ وآلہ وسلم نَهَى عَنْ سَبِّ الأَمْوَاتِ؟ فَلِمَ تَسُبّ عَلِيًّا وَقَدْ مَاتَ؟.
यानि “सय्यदना मुगैरा बिन शैबा ने सय्यदना अली बिन अबी तालिब अलै० को बुरा-भला कहा। जैद बिन साबित, मुगैरा के पास गये और कहा- ऐ मुगैरा ! क्या तू नहीं जानता कि रसूल-अल्लाह सल्ल० ने मुर्दों को गाली देने से मना फ़रमाया.? अब तू अली अलै० पर उनके फौत (इंतकाल) हो चुकने के बाद सब-ओ-सतम (गाली देना/बुरा भला कहना) क्युं करता है.??”
इसे pdf में भी देखें, सफा 424 पर रकम नंबर 3320 देखें 👇
https://archive.org/details/ahadees-sahiha-volume-1/Ahadees%20Sahiha%20-%20Volume%203/page/n424/mode/1up?view=theater
शैख नसरुद्दीन अलबानी ने इस हदीस को सही कहा है।
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पता चला कि जब हज़रत अली अलैहिस्सलाम शहीद हो गये तो इसके बाद भी माविया का गवर्नर मुगैरा बिन सैबा हमेशा अली अलैहिस्सलाम को बुरा भला कहता था जबकि तिरमिजी शरीफ की पहली जिल्द में खुद इसी मुगैरा बिन सैबा से सही सनद से रिवायत है कि
حَدَّثَنَا مَحْمُودُ بْنُ غَيْلَانَ حَدَّثَنَا أَبُو دَاوُدَ الْحَفَرِيُّ عَنْ سُفْيَانَ عَنْ زِيَادِ بْنِ عِلَاقَةَ قَال سَمِعْتُ الْمُغِيرَةَ بْنَ شُعْبَةَ يَقُولُ قَالَ رَسُولُ اللَّهِ صَلَّی اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ لَا تَسُبُّوا الْأَمْوَاتَ فَتُؤْذُوا الْأَحْيَائَ.
यानि “मुगैरा बिन सैबा कहता है कि नबी करीम सल्ल० ने फ़रमाया कि ‘मुर्दों को गाली देकर जिंदों को तकलीफ़ ना पहुंचाओ’।”
देखें सफा 1059 पर रकम नं 1982👇
https://archive.org/details/JamiaTirmaziMutarjamTehqiqWTakhreejShudaAudition1URDU/Jamia-Tirmazi-Mutarjam-%28-Tehqiq-w-Takhreej-Shuda-Audition-%29-1-URDU/page/n1063/mode/2up
… अफसोस है कि मुगैरा जैसा बदतमीज और मुनाफिक कौन होगा जो नबी करीम सल्ल० का हुक्म अपने कानों से सुने और खुद ही उस हुक्म की खिलाफवर्जी करे…
अगर बैअत-ए-रिजवान में शामिल होने से हर सहाबी जन्नती हो जाए तो इमाम जहबी ने सियर अलामिन नुबला के तीसरी जिल्द में लिखा है कि मुगैरा बिन सैबा बैअत-ए-रिजवान में भी शामिल था।
देखें सफा नं 21 पर👇
https://archive.org/details/siar_noblaa/03/page/n20/mode/1up?view=theater
इसका मतलब बैअत-ए-रिजवान में शामिल होना बड़ी बात नहीं है बल्कि बैअत-ए-रिजवान में नबी करीम सल्ल० के हाथों पर जिन जिन वादों और वफा करने पर बैअत हुआ था- अगर उस पर कायम रहा यानि बैअत पर कायम रहा तो अल्लाह उनसे राजी है ना कि बैअत तोड़ने या वादा खिलाफी करने वालो से क्योंकि बैअत-ए-रिजवान में हजरत उस्मान को शहीद करने वाले हजरत अब्दुर्रहमान बिन अदीस और हजरत अम्मार बिन यासर को शहीद करने वाले अबुल गादिया भी शामिल था…
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ये हदीस मुसनद अहमद बिन हंबल (सफा 649 पर हदीस नंबर 1629 , सफा 650 पर रकम नंबर 1631 फिर सफा 654 पर रकम नंबर 1644) में भी है कि मुगैरा बिन शैबा ने नफ्से-रसूल सल्ल० हजरत अली अलैहिस्सलाम को सबके सामने बुरा भला कहा।
देखें 👇
https://archive.org/details/musnad-imam-ahmad-bin-hambal-vol-10/MUSNAD_IMAM_AHMAD_BIN_HAMBAL_VOL_01/page/n648/mode/1up?view=theater
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सिलसिला अहादीस ए सहीहा की यह हदीस काई तुरुक से है इनमें कुछ रिवायतों में हज्जाज (حجاج بن مولی) नामी मजहूल रावी है मगर काई तुरुक में यह रावी नहीं है और सनद बिल्कुल सही है जैसे इमाम हाकिम निशापुरी ने मुस्तदरक अलस्-सहीऐन में रकम नंबर 1419 के तहत नक़ल किया है कि-
حَدَّثَنَا أَبُو بَكْرٍ مُحَمَّدُ بْنُ دَاوُدَ بْنِ سُلَيْمَانَ، ثنا عَبْدُ اللَّهِ بْنُ مُحَمَّدِ بْنِ نَاجِيَةَ، ثنا رَجَاءُ بْنُ مُحَمَّدٍ الْعُذْرِيُّ، ثنا عَمْرُو بْنُ مُحَمَّدِ بْنِ أَبِي رَزِينٍ، ثنا شُعْبَةُ، عَنْ مِسْعَرٍ، عَنْ زِيَادِ بْنِ عِلَاقَةَ، عَنْ عَمِّهِ، أَنَّ الْمُغِيرَةَ بْنَ شُعْبَةَ سَبَّ عَلِيَّ بْنَ أَبِي طَالِبٍ فَقَامَ إِلَيْهِ زَيْدُ بْنُ أَرْقَمَ، فَقَالَ: يَا مُغِيرَةُ، أَلَمْ تَعْلَمْ أَنَّ رَسُولَ اللَّهِ صَلَّى اللهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ «نَهَى عَنْ سَبِّ الْأَمْوَاتِ، فَلِمَ تَسُبُّ عَلِيًّا وَقَدْ مَاتَ؟»
هَذَا حَدِيثٌ صَحِيحٌ عَلَى شَرْطِ مُسْلِمٍ.
यानि ‘जियाद बिन इलाकह रजिअल्लाह अन्हु अपने चचा से रिवायत करते हैं कि मुगैरा बिन शोअबा ने हजरत अली अलैहिस्सलाम को बुरा भला कहा तो हजरत जैद बिन अरकम रजिअल्लाह अन्हु खड़े हुए और कहने लगे- ऐ मुगैरा, क्या तुम्हें मालूम नहीं है कि रसूल-अल्लाह सल्ल० ने मुर्दों को बुरा भला कहने से मना किया है ?” तू अली को बुरा भला क्युं कह रहे हो ? जबकि वो तो इंतकाल कर चुके हैं ?”
इमाम हाकिम कहते हैं कि – इसकी सनद सही है और मुस्लिम की शर्त पर है।
आनलाइन पीडीएफ में सफा 768 पर हदीस नं 1419 के तहत उर्दू तर्जुमा के साथ देखें 👇
https://archive.org/details/almustadrakimamhakimurdutranslationvolume6al-mustadrakalaas-saheehaynarabicormus/Al%20Mustadrak%20Imam%20Hakim%20%28Urdu%20Translation%29%20-%20Volume%20%201/page/n768/mode/1up?view=theater
इसके बाद मुस्तदरक अलस्-सहीऐन में जिल्द नं 1 में सफा नंबर 541पर हदीस नं 1419 पर इमाम जहबी की तल्खीस देखें कि इमाम जहबी ने भी इमाम हाकिम की ताईद की और इस हदीस की सनद को सही और मुस्लिम की शर्त पर बताया है।
लिंक 👇
https://archive.org/details/03_20210622_20210622_0759/01/page/n541/mode/1up?view=theater
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