खानदाने नक्शबंदीयह आलियाह जमालीयह रिद्वानुल्लाही तआलाअलय्हिम अजमईन
अय खुदा अपनी तू ज़ाते किब्रिया के वास्ते
साहिबे लौलाक अर्शे मुत्तुका के वास्ते
क़ल्ब रोशन कर मेरा ओर सिद्क़ की तोफीक़ दे
यारे ग़ारे हल-अता शम्सुद्दुहा के वास्ते
दे मुझे सोज़े जिगर ओर इश्क़े कामिल कर अता
हज़रते सलमाने बा-हिल्मो हया के वास्ते
बे-खुदो सर-मस्त कर ऐसी पिला इरफां की मै
हज़रते क़ासिम फ़क़ीह साहिब सबआ के वास्ते
नूरे बातिन कर अता बेहरे तरीक़त नक्शबंद
जाफ़रे सादिक़ इमामुल अवलिया के वास्ते
रख मुझे साबित क़दम ओर ज़ोह्दो तक़वा कर अता
इत्तिक़ाए बायज़ीदे बाख़ुदा के वास्ते
मिन-अरिफ की रम्ज़ से यारब मुझे आगाह कर
बुल-हसन खर्क़ानी ख़ुत्बुल गोसियह के वास्ते
चश्मे बीना कर अता ओर दे सफाई क़ल्ब में
ख़्वाजा-ए तोसी अली-ए बासफा के वास्ते
भरदे रग-रग में मेरी या रब तो नूरे मअरिफत
युसुफ हमदानी आरिफे पारसा के वास्ते
मोरिदे फैज़े इलाही वाकिफे इसरारे हक़
अब्दुल-ख़ालिक़ ग़ज्दे वानी मुक़तदा के वास्ते
दिल से ज़ुल्मत दूर कर ओर खोल दे बाबे हिजाब
हज़रते आरिफ मुहम्मद पारसा के वास्ते
दे मुझे तोफीक़ या रब अपने जिक्रो शुग्ल की
हज़रते महमूद ज़ाकिर रहनुमा के वास्ते
ख़ल्क़ की ख़िदमत का या रब दे मुझे इज़्ज़ो शरफ
हज़रते रामेतनी ख़ुत्बुल-उला के वास्ते
जाम इरफां का पिला ओर खोल दे राज़े ख़फी
ख़्वाजा बाबा शनास हक़ आश्ना के वास्ते
हुब्बे दुनिया दूर कर ओर अपनी उल्फत दे मुझे
हज़रते सैयद कुलाले बा-सफा के वास्ते
रेहरवे राहे शरीअत ओर तरीक़त पर मुझे
रखना शाहे नक्शबंद एहले तुक़ा के वास्ते
रख मुअत्तर या इलाही बूए वेहदत से दिमाग़
हज़रते अत्तार बा-सिद्क़ो सफा के वास्ते
उकदह ला-हल को हल कर अपने लुत्फो आम से
ख़्वाजा-ए याकूबे चरखी हक़-नुमा के वास्ते
आफ़ताबे दीने मिल्लत माह्ताबे हैरियत
शाह उबैदुल्लाह क़ुत्बुल अवलिया के वास्ते
माअसियत से दे अमां ओर खातिमा बिल-ख़ैर कर
हज़रते ख़्वाजा हसन सैयद अता के वास्ते
हाफ़िज़े हुज्जाज कअबा बन्दरे बाबुल हरम
शाह जमालुद्दीन दाना रहनुमा के वास्ते
रास्ता दिखला मुझे सब्रो रज़ा का या ख़ुदा
ख़्वाजा सैयद अबुल-हसन सिद्क़ो सफा के वास्ते
नज़अ में मुझ को बचाना या ख़ुदा शैतान से
ख़्वाजा-ए सैयद मुहम्मद मुक़तदा के वास्ते
क़ब्र रोशन कर मेरी यारब तुफैले ख़्वाजगान
ख़्वाजा-ए नूरुल-हसन नूरे ख़ुदा के वास्ते
मम्बए जूदो अता दरयाए फैज़े सरमदी
ख़्वाजा-ए फैज़ुल-हसन काने सखा के वास्ते
गव्हरे दरयाए वेहदत मअदने इसरारे हक़
ख़्वाजा हज़रत सैयदे नूरुल-उला के वास्ते
गुलशने सज्जाद्गाने मसनदे ख़्वाजा जमाल
ता-अबद फूले-फले ख़ैरुलवरा के वास्त
सुन ख़ुदा फ़रियाद अब इस उम्मते महबूब की
अज़-पए पीराने शजरह अवलिया के वास्ते
बरकतो रेहमत के या रब खोल दरवाज़े तमाम
ख़्वाजगाने नक्शबंद ओर अम्बिया के वास्ते
दीनो दुनिया में इलाही आबरू रखना मेरी
असफिया व अज़किया व अत्किया के वास्ते
गव्हरे मक़सूद से भर दामने वासिफ ख़ुदा
अज़ बराए पंजतन आले-अबा के वास्ते
Hadrat Shaykh Sayyid Jamal ad-Din Dana Naqshbandi Ahrari was a renowned Sufi master of Gujarat, India.
He was born in the Middle East, possibly in Turkey. His father Sayyid Badshah Parda-Posh was of Husaini lineage of sayyids, and was martyred fighting with the Safavi Shia regime.
He was a disciple and deputy of Khwaja Muhammad Islam Juybari. His spiritual chain is following:
- Shaykh Jamal ad-Din Dana (d.1016 AH), deputy of
- Khwaja Muhammad Islam Juybari (d.971 AH)
- Makhdum-e-Azam Khwaja Ahmad Kasani
- Mawlana Muhammad Qazi
- Khwaja Ubaydullah Ahrar (d.895 AH)
Shaykh Jamal ad-Din migrated to Gujarat, India to propagate Islam and the Naqshbandi Sufi Order.
He died on 5 Muharram 1016 AH (1607 A.D). He had two sons:
- Khwaja Muhammad Hashim (or Qasim)