
Masla e bage fadak kya hai | ( part 1 ) Faheem Abbas.




अल्लाह के रसूल सल्ल० के आस-पास ख़ूनी लड़ाई *
ठीक उस वक़्त जबकि इस्लामी फ़ौज घेरे में आकर मुश्किों की चक्की के दो पाटों में पिस रही थी, अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के आस-पास भी खूनी लड़ाई चल रही थी। हम बता चुके हैं कि मुश्किों ने घेराव की कार्रवाई शुरू की तो अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के साथ सिर्फ़ नौ आदमी थे और जब आपने मुसलमानों को यह कहकर पुकारा कि आओ, मेरी ओर आओ, मैं अल्लाह का रसूल हूं, तो आपकी आवाज़ मुश्किों ने सुन ली और आपको पहचान लिया। (क्योंकि उस वक़्त वे मुसलमानों से भी ज़्यादा आपके क़रीब थे) चुनांचे उन्होंने झपट कर आप पर हमला कर दिया और किसी मुसलमान के आने से पहले-पहले अपना पूरा बोझ डाल दिया ।
इस फ़ौरी हमले के नतीजे में इन मुश्किों और वहां पर मौजूद नौ सहाबा के बीच बड़ी घमासान की लड़ाई शुरू हो गई, जिसमें मुहब्बत, फ़िदाकारी और वीरता की बड़ी अनोखी घटनाएं घटीं।
सहीह मुस्लिम में हज़रत अनस रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि उहुद के दिन अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सललम सात अंसार और दो कुरैश
ीसाथियों के साथ अलग-थलग रह गए थे। जब हमलावर आपके बिल्कुल क़रीब पहुंच गए, तो आपने फ़रमाया, ‘कौन है जो इन्हें हम से दूर करे ? ऐसे व्यक्ति के लिए जन्नत है।’ या (यह फ़रमाया कि) ‘वह जन्नत में मेरा साथी होगा।’
इसके बाद एक अंसारी सहाबी आगे बढ़े और लड़ते-लड़ते शहीद हो गए। इसके बाद फिर मुश्कि आपके बिल्कुल क़रीब आ गए और फिर यही हुआ। इस तरह बारी-बारी सातों अंसारी सहाबी शहीद हो गए। इस पर अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने अपने दो बाक़ी साथियों यानी कुरैशियों से फ़रमाया, हमने अपने साथियों से इंसाफ़ नहीं किया।
इन सातों में से आखिरी सहाबी हज़रत अम्मारा बिन यज़ीद बिन वह लड़ते रहे, लड़ते रहे, यहां तक कि घावों से चूर होकर गिर पड़े। 2 सुक्न थे । इब्ने सुक्न के गिरने के बाद अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के साथ सिर्फ़ दोनों कुरैशी सहाबी रह गए थे।
चुनांचे बुखारी- मुस्लिम दोनों में अबू उस्मान रज़ियल्लाहु अन्हु का बयान रिवायत किया गया है कि जिन दिनों में आपने लड़ाइयां लड़ी हैं, उनमें से एक लड़ाई में आपके साथ तलहा बिन उबैदुल्लाह और साद बिन वक़्क़ास के सिवा कोई न रह गया था। 3
यह क्षण अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के जीवन का बड़ा ही नाजुक क्षण था, जबकि मुश्किों के लिए बड़ा ही सुनहरा मौक़ा था और यह भी सच है कि मुश्किों ने इस मौक़े से फ़ायदा उठाने में कोई कोताही नहीं की । उन्होंने अपना ताबड़ तोड़ हमला नबी सल्ल० पर बनाए रखा और चाहा कि आपका काम तमाम कर दें।
इसी हमले में उत्बा बिन अबी वक़्क़ास ने आपको पत्थर मारा, जिससे आप
1. सहीह मुस्लिम, बाब ग़ज़वा उहुद 2/107
2. थोड़ी देर बाद अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के पास सहाबा किराम की एक टीम आ गई। उन्होंने कुफ़्फ़ार को हज़रत अम्मारा से पीछे धकेला और उन्हें अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के क़रीब ले गए। आपने उन्हें अपने पांवों पर टेक लिया और उन्होंने इस हालत में दम तोड़ दिया कि उनका गाल अल्लाह के रसूल सल्ल० के पांव पर था। (इब्ने हिशाम 2/81) गोया यह आरज़ू हक़ीक़त बन गई कि
निकल जाए दम तेरे क़दमों के ‘ऊपर’
यही दिल की हसरत, यही आरज़ू है।
3. सहीह बुखारी 1/527, 2/581
पहलू के बल गिर गए। आपका दाहिना निचला रुबाई दांत टूट गया और आपका निचला होंठ ज़ख्मी हो गया।
अब्दुल्लाह बिन शिहाब ज़ोहरी ने आगे बढ़कर आपकी पेशानी (माथा) घायल कर दिया। एक और अड़ियल सवार अब्दुल्लाह बिन कुम्मा ने लपक कर आपके कंधे पर ऐसी जोरदार तलवार मारी कि एक महीने से ज़्यादा दिनों तक उसकी तक्लीफ़ महसूस करते रहे। अलबत्ता आपका दोहरा कवच न कट सका ।
इसके बाद उसने पहले की तरह फिर एक जोरदार तलवार मारी, जो आंख से नीचे की उभरी हुई हड्डी पर लगी और उसकी वजह से खुद की दो कड़ियां चेहरे के अन्दर धंस गईं। साथ ही उसने कहा, ‘मैं कुम्मा (तोड़ने वाले) का बेटा हूं।’
अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम नं चेहरे से फ़रमाया, अल्लाह तुझे तोड़ डाले । 3 खून पोंछते हुए
सहीह बुखारी में रिवायत है कि आपका रुबाई दांत तोड़ दिया गया और सर चोटीला कर दिया गया। उस वक़्त आप अपने चेहरे से खून पोंछते जा रहे थे और कहते जा रहे थे, वह क़ौम कैसे कामियाब हो सकती है, जिसने अपने नबी के चेहरे को घायल कर दिया और उसका दांत तोड़ दिया, हालाकि वह उन्हें अल्लाह की ओर दावत दे रहा था। इस पर अल्लाह ने यह आयत उतारी-
‘आपको कोई अख्तियार नहीं, अल्लाह चाहे तो इन्हें तौफ़ीक़ दे और चाहे तो अज़ाब दे कि वे ज़ालिम हैं। 4
तबरानी की रिवायत है कि आपने उस दिन फ़रमाया-
‘उस क़ौम पर अल्लाह का सख्त अज़ाब हो, जिसने अपने पैग़म्बर का चेहरा खून से भर दिया, फिर थोड़ी देर रुक कर फ़रमाया, ‘ऐ अल्लाह ! मेरी क़ौम को बख्श दे। वह नहीं जानती। 1
सहीह मुस्लिम की रिवायत में भी यही है कि आप बार-बार कह रहे थे—
‘ऐ पालनहार ! मेरी क़ौम को बख्श दे, वह नहीं जानती। 2
क़ाज़ी अयाज़ की शिफ़ा में ये शब्द हैं–
‘ऐ अल्लाह ! मेरी क़ौम को हिदायत दे, वह नहीं जानती । 3
इसमें सन्देह नहीं कि मुश्कि आपका काम तमाम कर देना चाहते थे, मगर दोनों कुरैशी सहाबा यानी हज़रत साद बिन अबी वक़्क़ास और तलहा बिन उबैदुल्लाह रज़ियल्लाहु अन्हुमा ने बेमिसाल जांबाज़ी और अपूर्व वीरता से काम लेकर सिर्फ़ दो होते हुए भी मुश्किों की कामियाबी नामुम्किन बना दी। ये दोनों अरब के सबसे माहिर तीरंदाज़ थे। उन्होंने तीर मार-मारकर मुश्कि हमलावरों को अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से परे रखा।
जहां तक साद बिन अबी वक़्क़ास रज़ियल्लाहु अन्हु का ताल्लुक़ है तो अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने अपने तीरकश के सारे तीर इनके लिए बिखेर दिए और फ़रमाया-
‘चलाओ, तुम पर मेरे मां-बाप फ़िदा हों। 4
उनकी योग्यताओं का अन्दाज़ा इससे लगाया जा सकता है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने उनके सिवा किसी और के लिए मां-बाप के फिदा होने की बात नहीं कही ।
और जहां तक हज़रत तलहा रज़ियल्लाहु अन्हु का ताल्लुक़ है, तो उनके कारनामे का अन्दाज़ा नसई की एक रिवायत से लगाया जा सकता है, जिसमें हज़रत जाबिर रज़ियल्लाहु अन्हु ने अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर मुश्किों के उस वक़्त के हमले का उल्लेख किया है, जब आप
1. फत्हुल बारी 7/373 2. सहीह मस्लिम, बाब ग़ज़वा उहुद 2/108 3. किताबुश-शिफ़ा ब-तारीफ़े हुकूकुल मुस्तफ़ा 1/81 4. सहीह बुखारी 1/407, 2/580, 581 5. सहीह बुखारी 1/407, 2/580, 581
अन्सार की थोड़ी-सी नफ़री के साथ तशरीफ़ रखते थे।
हज़रत जाबिर रजि० का बयान है कि मुश्किों ने अल्लाह के रसूल सल्ल० को जा लिया तो आपने फ़रमाया, कौन है जो इनसे निमटे ? हज़रत तलहा रजि० ने कहा, मैं।
इसके बाद हज़रत जाबिर रज़ि० ने अंसार के आगे बढ़ने और एक-एक करके शहीद होने का वह विवरण दिया है जिसे हम सहीह मुस्लिम के हवाले से बयान कर चके हैं। हज़रत जाबिर रजि० फ़रमाते हैं कि जब ये सब शहीद हो गए तो हज़रत तलहा आगे बढ़े और ग्यारह आदमियों के बराबर तंहा लड़ाई की, यहां तक कि उनके हाथ पर तलवार की एक ऐसी चोट लगी जिससे उनकी उंगलियां कट गईं। इस पर उनके मुंह से आवाज़ निकली ‘हिस’ (सी)
अल्लाह के रसूल सल्ल० ने फ़रमाया, अगर तुम बिस्मिल्लाह कहते तो तुम्हें फ़रिश्ते उठा लेते और लोग देखते।
हज़रत जाबिर रजि० का बयान है कि फिर अल्लाह ने मुश्रिकों को पलटा ने दिया।
अक्लील में हाकिम की रिवायत है कि उन्हें उहुद के दिन 39 या 35 घाव आए और उनकी बिचली और शहादत की उंगलियां शल हो गईं। 2
इमाम बुखारी ने क़ैस बिन अवी हाज़िम से रिवायत की है कि उन्होंने कहा, मैंने हज़रत तलहा का हाथ देखा कि वह शल था। उससे उहुद के दिन उन्होंने नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को बचाया था।
तिर्मिज़ी की रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने उनके बारे में उस दिन फ़रमाया, जो व्यक्ति किसी शहीद को धरती पर चलता हुआ देखना चाहे, वह तलहा बिन उबैदुल्लाह को देख ले 14
और अबू दाऊद त्यालसी ने हज़रत आइशा रज़ियल्लाहु अन्हा से रिवायत की है कि अबूबक्र रज़ियल्लाहु अन्हु जब उहुद की लड़ाई का उल्लेख करते तो कहते कि यह लड़ाई पूरी की पूरी तलहा के लिए थी। (यानी इसमें नबी सल्ल० की सुरक्षा का असल कारनामा उन्हीं ने अंजाम दिया था ।)
1. फ़हुल बारी 7/361, सुनने नसई 2/52-53
2. फत्हुल बारी 7/361
3. सहीह बुखारी 1/527, 581
4. तिर्मिर्ज़ी: मनाकिब, हदीस न० 3740, इब्ने माजा, मुक़दमा हदीस न० 125 5. फ्रत्हुल बारी 7/361
हज़रत अबू बक्र रजि० ने उनके बारे में यह भी कहा-
‘ऐ तलहा बिन उबैदुल्लाह ! तुम्हारे लिए जन्नतें वाजिब हो गई और तुमने अपने यहां बड़ी-बड़ी आंखों वाली हूर का ठिकाना बना लिया । “
ऐसे ही सबसे नाजुक और सबसे कठिन क्षण में अल्लाह ने ग़ैब से अपनी मदद फ़रमाई। चुनांचे मुस्लिम व बुखारी में हज़रत साद रज़ियल्लाहु अन्हु का बयान है कि मैंने अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को उहुद के दिन देखा, आपके साथ दो आदमी थे, सफ़ेद कपड़े पहने हुए। ये दोनों आपकी ओर से बड़ी जोरदार लड़ाई लड़ रहे थे। मैंने इससे पहले और इसके बाद इन दोनों को कभी नहीं देखा।
एक और रिवायत में है कि ये दोनों हज़रत जिबील और हज़रत मीकाईल थे

अल्लाह के रसूल सल्ल० के आस-पास ख़ूनी लड़ाई *
ठीक उस वक़्त जबकि इस्लामी फ़ौज घेरे में आकर मुश्किों की चक्की के दो पाटों में पिस रही थी, अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के आस-पास भी खूनी लड़ाई चल रही थी। हम बता चुके हैं कि मुश्किों ने घेराव की कार्रवाई शुरू की तो अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के साथ सिर्फ़ नौ आदमी थे और जब आपने मुसलमानों को यह कहकर पुकारा कि आओ, मेरी ओर आओ, मैं अल्लाह का रसूल हूं, तो आपकी आवाज़ मुश्किों ने सुन ली और आपको पहचान लिया। (क्योंकि उस वक़्त वे मुसलमानों से भी ज़्यादा आपके क़रीब थे) चुनांचे उन्होंने झपट कर आप पर हमला कर दिया और किसी मुसलमान के आने से पहले-पहले अपना पूरा बोझ डाल दिया ।
इस फ़ौरी हमले के नतीजे में इन मुश्किों और वहां पर मौजूद नौ सहाबा के बीच बड़ी घमासान की लड़ाई शुरू हो गई, जिसमें मुहब्बत, फ़िदाकारी और वीरता की बड़ी अनोखी घटनाएं घटीं।
सहीह मुस्लिम में हज़रत अनस रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि उहुद के दिन अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सललम सात अंसार और दो कुरैश
ीसाथियों के साथ अलग-थलग रह गए थे। जब हमलावर आपके बिल्कुल क़रीब पहुंच गए, तो आपने फ़रमाया, ‘कौन है जो इन्हें हम से दूर करे ? ऐसे व्यक्ति के लिए जन्नत है।’ या (यह फ़रमाया कि) ‘वह जन्नत में मेरा साथी होगा।’
इसके बाद एक अंसारी सहाबी आगे बढ़े और लड़ते-लड़ते शहीद हो गए। इसके बाद फिर मुश्कि आपके बिल्कुल क़रीब आ गए और फिर यही हुआ। इस तरह बारी-बारी सातों अंसारी सहाबी शहीद हो गए। इस पर अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने अपने दो बाक़ी साथियों यानी कुरैशियों से फ़रमाया, हमने अपने साथियों से इंसाफ़ नहीं किया।
इन सातों में से आखिरी सहाबी हज़रत अम्मारा बिन यज़ीद बिन वह लड़ते रहे, लड़ते रहे, यहां तक कि घावों से चूर होकर गिर पड़े। 2 सुक्न थे । इब्ने सुक्न के गिरने के बाद अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के साथ सिर्फ़ दोनों कुरैशी सहाबी रह गए थे।
चुनांचे बुखारी- मुस्लिम दोनों में अबू उस्मान रज़ियल्लाहु अन्हु का बयान रिवायत किया गया है कि जिन दिनों में आपने लड़ाइयां लड़ी हैं, उनमें से एक लड़ाई में आपके साथ तलहा बिन उबैदुल्लाह और साद बिन वक़्क़ास के सिवा कोई न रह गया था। 3
यह क्षण अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के जीवन का बड़ा ही नाजुक क्षण था, जबकि मुश्किों के लिए बड़ा ही सुनहरा मौक़ा था और यह भी सच है कि मुश्किों ने इस मौक़े से फ़ायदा उठाने में कोई कोताही नहीं की । उन्होंने अपना ताबड़ तोड़ हमला नबी सल्ल० पर बनाए रखा और चाहा कि आपका काम तमाम कर दें।
इसी हमले में उत्बा बिन अबी वक़्क़ास ने आपको पत्थर मारा, जिससे आप
1. सहीह मुस्लिम, बाब ग़ज़वा उहुद 2/107
2. थोड़ी देर बाद अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के पास सहाबा किराम की एक टीम आ गई। उन्होंने कुफ़्फ़ार को हज़रत अम्मारा से पीछे धकेला और उन्हें अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के क़रीब ले गए। आपने उन्हें अपने पांवों पर टेक लिया और उन्होंने इस हालत में दम तोड़ दिया कि उनका गाल अल्लाह के रसूल सल्ल० के पांव पर था। (इब्ने हिशाम 2/81) गोया यह आरज़ू हक़ीक़त बन गई कि
निकल जाए दम तेरे क़दमों के ‘ऊपर’
यही दिल की हसरत, यही आरज़ू है।
3. सहीह बुखारी 1/527, 2/581
पहलू के बल गिर गए। आपका दाहिना निचला रुबाई दांत टूट गया और आपका निचला होंठ ज़ख्मी हो गया।
अब्दुल्लाह बिन शिहाब ज़ोहरी ने आगे बढ़कर आपकी पेशानी (माथा) घायल कर दिया। एक और अड़ियल सवार अब्दुल्लाह बिन कुम्मा ने लपक कर आपके कंधे पर ऐसी जोरदार तलवार मारी कि एक महीने से ज़्यादा दिनों तक उसकी तक्लीफ़ महसूस करते रहे। अलबत्ता आपका दोहरा कवच न कट सका ।
इसके बाद उसने पहले की तरह फिर एक जोरदार तलवार मारी, जो आंख से नीचे की उभरी हुई हड्डी पर लगी और उसकी वजह से खुद की दो कड़ियां चेहरे के अन्दर धंस गईं। साथ ही उसने कहा, ‘मैं कुम्मा (तोड़ने वाले) का बेटा हूं।’
अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम नं चेहरे से फ़रमाया, अल्लाह तुझे तोड़ डाले । 3 खून पोंछते हुए
सहीह बुखारी में रिवायत है कि आपका रुबाई दांत तोड़ दिया गया और सर चोटीला कर दिया गया। उस वक़्त आप अपने चेहरे से खून पोंछते जा रहे थे और कहते जा रहे थे, वह क़ौम कैसे कामियाब हो सकती है, जिसने अपने नबी के चेहरे को घायल कर दिया और उसका दांत तोड़ दिया, हालाकि वह उन्हें अल्लाह की ओर दावत दे रहा था। इस पर अल्लाह ने यह आयत उतारी-
‘आपको कोई अख्तियार नहीं, अल्लाह चाहे तो इन्हें तौफ़ीक़ दे और चाहे तो अज़ाब दे कि वे ज़ालिम हैं। 4
तबरानी की रिवायत है कि आपने उस दिन फ़रमाया-
‘उस क़ौम पर अल्लाह का सख्त अज़ाब हो, जिसने अपने पैग़म्बर का चेहरा खून से भर दिया, फिर थोड़ी देर रुक कर फ़रमाया, ‘ऐ अल्लाह ! मेरी क़ौम को बख्श दे। वह नहीं जानती। 1
सहीह मुस्लिम की रिवायत में भी यही है कि आप बार-बार कह रहे थे—
‘ऐ पालनहार ! मेरी क़ौम को बख्श दे, वह नहीं जानती। 2
क़ाज़ी अयाज़ की शिफ़ा में ये शब्द हैं–
‘ऐ अल्लाह ! मेरी क़ौम को हिदायत दे, वह नहीं जानती । 3
इसमें सन्देह नहीं कि मुश्कि आपका काम तमाम कर देना चाहते थे, मगर दोनों कुरैशी सहाबा यानी हज़रत साद बिन अबी वक़्क़ास और तलहा बिन उबैदुल्लाह रज़ियल्लाहु अन्हुमा ने बेमिसाल जांबाज़ी और अपूर्व वीरता से काम लेकर सिर्फ़ दो होते हुए भी मुश्किों की कामियाबी नामुम्किन बना दी। ये दोनों अरब के सबसे माहिर तीरंदाज़ थे। उन्होंने तीर मार-मारकर मुश्कि हमलावरों को अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से परे रखा।
जहां तक साद बिन अबी वक़्क़ास रज़ियल्लाहु अन्हु का ताल्लुक़ है तो अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने अपने तीरकश के सारे तीर इनके लिए बिखेर दिए और फ़रमाया-
‘चलाओ, तुम पर मेरे मां-बाप फ़िदा हों। 4
उनकी योग्यताओं का अन्दाज़ा इससे लगाया जा सकता है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने उनके सिवा किसी और के लिए मां-बाप के फिदा होने की बात नहीं कही ।
और जहां तक हज़रत तलहा रज़ियल्लाहु अन्हु का ताल्लुक़ है, तो उनके कारनामे का अन्दाज़ा नसई की एक रिवायत से लगाया जा सकता है, जिसमें हज़रत जाबिर रज़ियल्लाहु अन्हु ने अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर मुश्किों के उस वक़्त के हमले का उल्लेख किया है, जब आप
1. फत्हुल बारी 7/373 2. सहीह मस्लिम, बाब ग़ज़वा उहुद 2/108 3. किताबुश-शिफ़ा ब-तारीफ़े हुकूकुल मुस्तफ़ा 1/81 4. सहीह बुखारी 1/407, 2/580, 581 5. सहीह बुखारी 1/407, 2/580, 581
अन्सार की थोड़ी-सी नफ़री के साथ तशरीफ़ रखते थे।
हज़रत जाबिर रजि० का बयान है कि मुश्किों ने अल्लाह के रसूल सल्ल० को जा लिया तो आपने फ़रमाया, कौन है जो इनसे निमटे ? हज़रत तलहा रजि० ने कहा, मैं।
इसके बाद हज़रत जाबिर रज़ि० ने अंसार के आगे बढ़ने और एक-एक करके शहीद होने का वह विवरण दिया है जिसे हम सहीह मुस्लिम के हवाले से बयान कर चके हैं। हज़रत जाबिर रजि० फ़रमाते हैं कि जब ये सब शहीद हो गए तो हज़रत तलहा आगे बढ़े और ग्यारह आदमियों के बराबर तंहा लड़ाई की, यहां तक कि उनके हाथ पर तलवार की एक ऐसी चोट लगी जिससे उनकी उंगलियां कट गईं। इस पर उनके मुंह से आवाज़ निकली ‘हिस’ (सी)
अल्लाह के रसूल सल्ल० ने फ़रमाया, अगर तुम बिस्मिल्लाह कहते तो तुम्हें फ़रिश्ते उठा लेते और लोग देखते।
हज़रत जाबिर रजि० का बयान है कि फिर अल्लाह ने मुश्रिकों को पलटा ने दिया।
अक्लील में हाकिम की रिवायत है कि उन्हें उहुद के दिन 39 या 35 घाव आए और उनकी बिचली और शहादत की उंगलियां शल हो गईं। 2
इमाम बुखारी ने क़ैस बिन अवी हाज़िम से रिवायत की है कि उन्होंने कहा, मैंने हज़रत तलहा का हाथ देखा कि वह शल था। उससे उहुद के दिन उन्होंने नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को बचाया था।
तिर्मिज़ी की रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने उनके बारे में उस दिन फ़रमाया, जो व्यक्ति किसी शहीद को धरती पर चलता हुआ देखना चाहे, वह तलहा बिन उबैदुल्लाह को देख ले 14
और अबू दाऊद त्यालसी ने हज़रत आइशा रज़ियल्लाहु अन्हा से रिवायत की है कि अबूबक्र रज़ियल्लाहु अन्हु जब उहुद की लड़ाई का उल्लेख करते तो कहते कि यह लड़ाई पूरी की पूरी तलहा के लिए थी। (यानी इसमें नबी सल्ल० की सुरक्षा का असल कारनामा उन्हीं ने अंजाम दिया था ।)
1. फ़हुल बारी 7/361, सुनने नसई 2/52-53
2. फत्हुल बारी 7/361
3. सहीह बुखारी 1/527, 581
4. तिर्मिर्ज़ी: मनाकिब, हदीस न० 3740, इब्ने माजा, मुक़दमा हदीस न० 125 5. फ्रत्हुल बारी 7/361
हज़रत अबू बक्र रजि० ने उनके बारे में यह भी कहा-
‘ऐ तलहा बिन उबैदुल्लाह ! तुम्हारे लिए जन्नतें वाजिब हो गई और तुमने अपने यहां बड़ी-बड़ी आंखों वाली हूर का ठिकाना बना लिया । “
ऐसे ही सबसे नाजुक और सबसे कठिन क्षण में अल्लाह ने ग़ैब से अपनी मदद फ़रमाई। चुनांचे मुस्लिम व बुखारी में हज़रत साद रज़ियल्लाहु अन्हु का बयान है कि मैंने अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को उहुद के दिन देखा, आपके साथ दो आदमी थे, सफ़ेद कपड़े पहने हुए। ये दोनों आपकी ओर से बड़ी जोरदार लड़ाई लड़ रहे थे। मैंने इससे पहले और इसके बाद इन दोनों को कभी नहीं देखा।
एक और रिवायत में है कि ये दोनों हज़रत जिबील और हज़रत मीकाईल थे
