
Isa vs Dajjal: The Final War | Documentary



इस्लामिक तारीख के मुताबिक 25 मोहर्रम यौम ए शहादत इमाम ए चारुम सैयद ए सज्जाद अली बिन हुसैन अल मारूफ ज़ैनुल आबेदीन (अलैहिस्सलाम),,
नाम: इमाम अली
वालिद: शहीद ए करबला इमाम हुसैन
वालिदा: हजरत सेहरबानो
कुन्नियत: अबू मोहम्मद ’’अबुल हसन
लकब: ज़ैनुल आबेदीन, सय्यदुस साजेदीन, जुल शफ़नात, सज्जाद व आबिद ज़्यादा
विलादात: 5 शाबान 38 हिजरी, बा मुकाम मदीना ए मुनव्वरा
शहादत: 25 मोहर्रम 95 हिजरी, मदफन जन्नतुल बकी
आपके अल्का़ब बेशुमार थे जिनमें ज़ैनुल आबेदीन, सय्यदुस साजेदीन, जुल शफ़नात, सज्जाद व आबिद ज़्यादा मशहूर हैं।
लक़ब ज़ैनुल आबेदीन की तौज़ीह:
अल्लामा शिब्लन्जी का बयान है कि इमाम मालिक का कहना है कि आपको ज़ैनुल आबेदीन कसरते इबादत की वजह से कहा जाता है। नूरूल अबसार सफ़ा 126
उलेमाए फ़रीक़ैन का इरशाद है कि हज़रत ज़ैनुल आबेदीन (अ.स.) एक शब नमाज़े तहज्जुद में मशग़ूल थे कि शैतान अज़दहे की शक्ल में आपके क़रीब आ गया और आपके पाए मुबारक के अंगूठे को मुंह में ले कर काटना शुरू किया, इमाम जो अमातन मशग़ूले इबादत थे और आपका रूजहाने कामिल बारगाहे ईज़दी की तरफ़ था। वह ज़रा भी उसके अमल से मुताअस्सिर न हुए और बदस्तूर नमाज़ में मुन्हमिक व मसरूफ़ व मशग़ूल रहे बिल आखि़र वह आजिज़ आ गया और इमाम ने अपनी नमाज़ भी तमाम कर ली। उसके बाद आपने शैतान मलऊन को तमाचा मार कर दूर हटा दिया। उस वक़्त हातिफ़े गै़बी ने अनतः ज़ैनुल आबेदीन की तीन बार आवाज़ दी और कहा बे शक तुम इबादत गुज़रों की जी़नत हो। उसी वक़्त से आपका यह लक़ब हो गया।
एक रवायत में इसकी वजह यह भी बयान कि गई है कि क़यामत में आपको (ज़ैनुल आबेदीन) इसी नाम से पुकारा जायेगा।
बहुत से उलमा ने लिखा है कि अब्दुल मलक बिन मरवान ने हुक्म दे दिया था कि अली इब्ने हुसैन (अ.स.) को गिरफ़्तार कर के शाम पहुँचा दिया जाए। चुनांचे आप को जंजीरों में जकड़ कर मदीने से बाहर एक ख़ेमें में ठहरा दिया गया।
ज़हरी का बयान है कि मैं उन्हें रूख़सत करने के लिये उनकी खि़दमत में हाज़िर हुआ। जब मेरी नज़र हथकड़ी और बेड़ियों पर पड़ी तो मेरी आंखों से आंसू निकल पड़े और मैं अर्ज़ परदाज़ हुआ कि काश आपके बजाए लोहे के ज़ेवरात मैं पहन लेता और आप इससे बरी हो जाते। आपने फ़रमाया ज़हरी तुम मेरी हथकड़ियां, बेड़ी और मेरे तौक़े गरां बार को देख कर घबरा रहे हो सुनों ! मुझे इसकी कोई परवाह नहीं है।
फरजंद ए रसूल, वारिस ए रसूल, चश्मों चिराग ए अली ओ बतुल
इमाम हसन के दुल्हारे, इमाम हुसैन के दिल का चैन
हुज्जत उल इस्लाम, इमाम उल मुत्तकीन, सैयद ओ सजेदिन
आका ओ मौला, सैयेदुना इमाम अली बिन हुसैन (अलायिहस्सलाम) का पुरषा सभी सादात ए इक्राम को पेस करता हुं,

मुक़ाम-ए-इमाम ज़ैन अल आबिदीन बा ज़ुबान-ए-हबीब-ए-रब्बुल आलमीन
सल्लल्लाहु अलैहि व आलिहि वा सल्लम
“अबू ज़ुबैर से रिवायत है के हम हज़रत जाबिर बिन अब्दुल्लाह रदीअल्लाहु अन्हुमा के पास हाज़िर वे जबके (बुधापे के बाइस) आपकी नज़र और दांत कमज़ोर होचुके वे। इस दौरन इमाम अली इब्ने हुसैन “ज़ैनुल आबिदीन” अलैहि-मुस्सलाम अपने छोटे बेटे मुहम्मद अल-बाकिर (अलैहिस्सलाम) के हमराह तशरीफ लाये। उनको आकर आपका सलाम किया और तशरीफ फरमा होकर अपने बेटे मुहम्मद अल बाकिर से कहा के अपने चाचा के पास जाओ और झुक कर उनके सर का बोसा लो, बच्चे (इमाम मुहम्मद अल बाकिर अलैहिस्सलाम) ने ऐसा किया अल आबिदीन ने फरमाया: मेरा बेटा मुहम्मद है। ये सुन ना था के हज़रत जाबिर रदीअल्लाहु अन्हु ने बच्चे को सीने से लगाया और रो दिए फिर उनसे मुखातिब होकर फरमाया:’ऐ मुहम्मद! हुज़ूर नबी-ए-अकरम सल्लल्लाहु अलैहि व आलिहि व सल्लम ने आपके लिए सलाम भेजा है।’
उनके किसी साथी ने पूछा के माजरा क्या है? आप रदीअल्लाहु अन्हु ने फरमाया:
‘माई हुज़ूर नबी-ए-अकरम सल्लल्लाहु अलैहि व आलिही व सल्लम की खिदमत-ए-अकदस में हाज़िर थे कि उस दौरन आप के पास हुसैन इब्ने अली (अलैहि-मुस्सलाम) तशरीफ लाए तो आप ने उन्हें अपने सीना-ए-मुबारका से लगा लिया और उनका बोसा लेकर उन्हें अपना पहलू मुबारक मुझे बिठा लिया. फ़िर आप सल्लल्लाहु अलैहि व आलिहि व सल्लम ने फरमाया: मेरे बेटे के हाँ एक लड़का पैदा होगा जिसका नाम अली होगा। जब कयामत का दिन होगा तो एक निदा देने वाला अर्श की पहचान से निदा देगा के सैय्यदुल आबिदीन (सारे आबिदों के सरदार) खड़ा होजाये, तो वो लड़का (जैनुल आबिदीन अली इब्ने हुसैन अलैहि-मुस्सलाम) खड़ा हो जायेगा। उसके (इमाम ज़ैनुल आबिदीन अलैहिस्सलाम) ने एक लड़का मुहम्मद पैदा होगा। ऐ जाबिर! जब तुम उसे देखो तो उसे मेरी तरफ से सलाम कहना और जान लेना के उस दिन के बाद तुम्हारी जिंदगी कम रह जायेगी।”
चुनांचे हज़रत जाबिर रदीअल्लाहु अन्हु उस दिन के बाद 10 से कुछ दिन ऊपर हयात रहकर विसाल फरमा गए।”
इब्ने असाकिर, तारिख मदीना अद-दमिश्क, 54:276
इब्ने जौज़ी, तज़किरातुल खवास, 303,
इब्ने तैमिया, मिन्हाज उस सुन्ना अल-नबाविया, 4:11
इब्ने हजर मक्की, अस सवा अक़ल महराक़ा, 2:586
शबलानजी, नूर अल अबसार शुल्क मनाकिब आले बयतीन नबी अल-मुख्तार: 288
डॉ. ताहिर-उल-कादरी की किताब से लिया गया: ‘सहाबा-ए-किराम रदीअल्लाहु अन्हुम और अइम्मा-ए-अहले बैत
अलैहिमुस्सलाम से इमाम-ए-आज़म रदीअल्लाहु अन्हु का अख़ज़े फ़ैज़’ पेज, 82,83

Hazrat Sayyed Imam Ali Awsat (Imam
Zainul Abedin ع ) ka Farmaan Hai ke ::
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Ham Ahlebait e Rasool ص ke Saath,
Jo Allah ke liye Muhabbat karta hai,
Tou Allah Qayamat Ke Din Usey Apne
Saaya_e_Rehmat Me Jagah Ata Farmayega…
_
Ham Ahlebait e Rasool ص ke Saath,
Jo Isliye Muhabbat karta hai ke,
Allah ! Aakhirat Me Badla Ata Farmaye,
Tou Allah ! Usey Jannat Ata Farmayega…
_
Ham Ahlebait e Rasool ص ke Saath,
Jo Kisi Duniyavi Garaz Ke Liye Muhabbat
Karta Hai, Tou Allah ! Duniya Me Uska
Rizq Waseeh Farmayega…
_
Reference ::
“Noor ul Absar, Hazrat Allama Momin Shiblinji ر”
“Imam Zainul Aabideen ع , Safa 5, Hazrat

Hazrat Zaid bin Arqam Se Riwayat Karte Hain Ke RasoolAllah (SallAllahu Alaihi wa Aalaehi wa Sallam) Ne irshad Farmaya:
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“Mere is Bete (Hussain) Ke Haan Ek Ladka Paida Hoga Jiska Naam ALI Hoga. Jab Qayamat Ka Din Hoga To Ek Nida Dene Wala Arsh Ki Pehnaayiyo Se Nida Dega Ke Sayyid ul Aabideen (Saare Aabid’on Ke Sardar) Khada Hojaye, Toh Woh Ladka Khada Hojayega.”
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Subhan Allah Allahu Akbar
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As Salaam Ya Sayyid us Sajideen
As Salaam Ya Imam Zain ul Abideen
As Salaam Ya Ali ibn Hussain ibn Ali ibn Abi Talib
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References :
Ibne Asakir, Taarikh Madina ad-Damishq, 54:276
Ibne Jauzi, Tazkiratul Khawaas, 303,
Ibne Taimiya, Minhaj us Sunna al-Nabawiyyah, 4:11
Ibne Hajar Makki, As sawa aqal mahraqah, 2:586
Shablanji, Noor al Absar fee Manaqib Aale Baytin Nabi al-Mukhtar: 288
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Jinke Saqde Se Aaj India o Pakistan Mein Islam Hai, Wo Sayyid Hasan Khwaja Gareeb Nawaz Moinuddin Chishti Ke Jadde Amjad Hai Imam Zain ul Abideen Alaihis Salaam
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اَللّٰھُمَّ صَلِّ عَلَی سَیِّدِنَا مُحَمَّدٍ وَ عَلَی اٰلِ سَیِّدِنَا م