
*रसूल अल्लाह saws की वफात पर हज़रत अबु बकर ने मर्सिया(गम की मजलिस) पढ़ा*➡️
*अहलेसुन्नत किताब Musnad Ahmed Hadees # 11041*
۔ (۱۱۰۴۱)۔ عَنْ عَائِشَۃَ، أَنَّ أَبَا بَکْرٍ دَخَلَ عَلَی النَّبِیِّ صلی اللہ علیہ وآلہ وسلم بَعْدَ وَفَاتِہِ فَوَضَعَ فَمَہُ بَیْنَ عَیْنَیْہِ، وَوَضَعَ یَدَیْہِ عَلَی صُدْغَیْہِ، وَقَالَ وَا نَبِیَّاہْ، وَا خَلِیلَاہْ، وَا صَفِیَّاہْ۔ (مسند احمد: ۲۴۵۳۰)
सय्यदा आयशा रज़ियल्लाहु अन्हू से मरवी है कि नबी करीम स्वल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम की वफ़ात के बाद हज़रत अबूबकर रज़ियल्लाहु अन्हू आप अलैहिस्सलाम के पास आए और अपना मुँह आप अलैहिस्सलाम की दोनों आँखों के दरमियान और अपने हाथ आप अलैहिस्सलाम की कनपटियों पर रखे और कहा: *हाय मेरे नबी ! हाय मेरे ख़लील !हाय अल्लाह के मुन्तख़ब नबी!😭*
👆इस रिवायत में रसूलअल्लाह स्वल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम की वफ़ात का ज़िक्र है कि जब आप की वफ़ात की ख़बर हज़रत अबूबकर को पहुँची तो हज़रत अबूबकर हुज़ूर पाक के जिस्म मुबारक के पास आये और अपने हाथों से *हुज़ूर के चेहरा ए मुबारक को पकड़ कर जिस तरह से मय्यत के करीबी लोग हाय हाय बोल कर गम मनाते हुए मरने वाले की बातें याद कर कर के मर्सिया पढ़ते हैं उस ही अंदाज़ में बोलने लगे के हाय मेरे ख़लील ! हाय मेरे नबी ! हाय अल्लाह के मुन्तख़ब नबी।वगैरह।*
अब अगर मरसिए पर और मय्यत के गम में रोने पर किसी को फतवा देना है तो सबसे पहले हज़रत अबुबकर का अमल भी ध्यान में रखना 🙏

