
नास्बियो की चाल से ख़ुदको बचाएं 👇
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इमामे अहले सुन्नत शैख़ुल मुहक़्क़िक़ीन हज़रत अश्शाह अब्दुल हक़ मुहद्दिस ए देहलवी रहमतुल्लाह अलैह ( अल मुतवफ़्फ़ा 1052 हिजरी ) फ़रमाते हैं “
अल्लाह ने आशूरा के दिन जिबराईल अलैहिस्सलाम को पैदा फ़रमाया
आशूरा के दिन फ़रिश्तों को पैदा फ़रमाया
यौमे आशूरा हज़रत आदम अलैहिस्सलाम को पैदा किया
आशूरा के दिन हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम को पैदा किया इसी दिन आपको आग से निजात मिली
इसी दिल इस्माईल अलैहिस्सलाम को फ़िदया आया
और आशूरा के दिन ही फ़िरऔन ग़र्क हुआ
आशूरा के दिन इदरीस अलैहिस्सलाम को उठाया
और यौमे आशूरा को हज़रत आदम अलैहिस्सलाम की तौबा क़ुबूल हुई
और आशूरा को अल्लाह अर्श पर मुस्तवी हुआ
और यौमे आशूरा को ही क़यामत क़ायम होगी !
ये सब ( अहादीस ) मौज़ूअ़ हैं यानि मनघडंत रिवायात में से हैं
इसे इब्ने जौज़ी ने हज़रत इब्ने अब्बास रदीअल्लाहू अन्हू से ज़िक्र किया चूंकि इस सनद में हबीब इब्ने हबीब है जो फ़ितना परवाज़ था !
( अब्दुल हक़ मुहद्दिस ए देहलवी फ़ी ‘मा सबुत बिस्सुन्नाह फ़ी अय्यामिस्सन्ना, : 19/22 )
इमाम ए आली मुक़ाम की शहादत के दिन दूसरी रिवायात को गढ़कर आवाम में मशहूर करना ख़ारजी और नास्बियों की चाल है ताकि इमाम ए आली मुक़ाम इमाम हुसैन ए पाक अलैहिस्सलाम की शहादत का ज़िक्र मुन्तशिर किया जाए
लाअनत हो बुग़ज़िये अहलेबैत पर !
ज़िक्रे इमाम ए आली मुक़ाम न रुका है न कभी रुकेगा इन्शा’अल्लाह
लब्बैक या हुसैन “!!
लब्बैक या इमाम”!!
अलैहिस्सलाम

