अहले बैत से महब्बत करो

*अहले बैत से महब्बत करो*

بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ
اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

     फरमाने आखरी नबी ﷺ अल्लाह पाक से महब्बत करो क्यूं कि वोह तुम्हें अपनी नेमत से रोज़ी देता है, और अल्लाह पाक की महब्बत (हासिल करने) के लिये मुझ महब्बत करो, और मेरी महब्बत (पाने) के लिये मेरे अहले बैत से महब्बत करो।
`ترمذی، خ ۵، حدیث:٤١٨٣`

*मोमिने कामिल कौन ?*
     फरमाने मुस्तफा ﷺ उस वक्त तक कोई (कामिल) मोमिन नहीं हो सकता जब तक मैं उस को उस की जान से ज़ियादा प्यारा न हो जाऊं और मेरी औलाद उस को अपनी औलाद से ज़ियादा प्यारी न हो जाए।
`شعب الایمان، خ۲، حدیث:٥٠٥١`

*मुहिब्बे अहले बैत शफाअत पाएगा*
      आक़ा ﷺ ने फरमाया हमारे अहले बैत की महब्बत को लाज़िम पकड़ लो क्यूं कि जो अल्लाह पाक से इस हाल में मिला कि वोह हम से महब्बत करता है, तो अल्लाह पाक उसे मेरी शफाअत के सबब जन्नत में दाखिल फरमाएगा और उस की क़सम जिस के क़ब्ज़ए कुदरत में मेरी जान है ! किसी बन्दे को उस का अमल उसी सूरत में फाएदा देगा जब कि वोह हमारा (या’नी मेरा और मेरे अहले बैत का) हक़ पहचाने।
`مخمع الزوائد، خ۸، حدیث:٧٢٨٣١`
     तुम में बेहतर आदमी वोह है जो मेरे बाद मेरे अहले बैत के लिये बेहतर होगा।
`फ़ैज़ाने अहले बैत, स.25`

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