DAVID (DA’UD) Alahissalam

DAVID (DA’UD)

David (Da’ud) was the ninth generation descendant of Yahudah (one of the twelve sons of Jacob, known as Judah in Torah). Bani Israel were at war with the Eimaliques and no one was able to subdue their gigantic king called Goliath (Jalut). David was still a young lad when he used his sling to kill giant king Goliath (Jalut). He was appointed prophet and king by God while Samuel was still alive.

The boundaries of his kingdom expanded during his rule and he spread the religion of God to other territories. He laid the foundations of the Holy Mosque (Bait-ul Muqaddas). God gave him the book Psalms (Zubur) that has poetical rhyme and prophetic wisdom in its words. He lived long and ruled his people wisely and in accordance with the laws of Torah.

References: The Qur’an: Sura Baqarah, Nisaa’, Maidah, An’am. Bani Israel, Anbiya’. Nahl, Saba’b and Jinn.

सादात को बरोज़ क़यामतहुज़ूर की निस्बत काम आएगी


सादात को बरोज़ क़यामत
हुज़ूर की निस्बत काम आएगी

इस बारे में नबी अकरम की बहुत सारी सहीह अहादीस हैं कि एहले बैत किराम / सादात किराम की आपके साथ निस्बत (नस्बी व हस्बी) उनके लिए दुनिया और आखिरत में नफा बख़्शने वाली और मुफीद व मोस्सिर है। उनमें से एक वह रिवायत है जिसे इमाम अहमद और हाकिम ने बयान किया है कि नबी अकरम ने फ़रमायाः

(1) फातिमा मेरे जिगर का टुकड़ा है, जो चीज़ उसे नागवार करती है वह मुझे भी नागवार करती है और जो चीज़ उसे मुसर्रत व फरहत बख़्शाती है वह मुझे भी खुशगवार करती है, कयामत के दिन सारे रिश्ते ख़त्म हो जाऐंगे, सिवाए मेरी कराबत ( रिश्तेदारी) और मेरे खान्दान वास्ते और मेरे दोनों ऐतराफ के सुस्राली रिश्तों के (सबबी निस्बत से मुराद उन गुलामों का तअल्लुक है जो आपके आज़ाद कर्दा थे) ।

(2) हुज़ूरे अकरम के साथ खान्दानी निस्बत दुनिया व आखिरत में नफा बख़्श है, उनमें से एक आपका यह कौल है, जिसे इब्ने असाकर ने हज़रत उमर फारूक आज़म से रिवायत किया है। फ़रमायाः कयामत के दिन तमाम आबाई निस्बतें और सुसराली रिश्ते ख़त्म हो जाऐंगे, सिवाए मेरे खान्दानी और सुसराली रिश्ते के ।

(3) तिबरानी और दूसरे मुहद्दिसीन ने एक लंबी रिवायत बयान की है कि नबी करीम ने फ़रमायाः
उस क़ौम का अंजाम क्या होगा जो यह समझती है कि मेरी कुराबत कोई नफा नहीं पहुंचा सकती, बेशक कयामत के दिन तमाम सबबी रिश्ते ( आज़ाद कर्दा गुलामों के रिश्ते) और नस्बी (खान्दानी)रिश्ते ख़त्म हो जाऐंगे सिवाए मेरे नसबी और सबबी रिश्तों के और इसमें कोई शक नहीं है कि मेरे साथ खान्दानी तअल्लुक की निस्बत दुनिया और आख़िरत में लाज़वाल और गैर मुनकता है उसे कोई भी ख़त्म नहीं कर सकता। “

(4) इमाम अहमद, हाकिम और बैहकी ने हज़रत अब्दुल्लाह बिन मसऊद से रिवायत किया है कि उन्होंने फरमायाः
मैंने रसूल को मिंबर पर फरमाते हुए सुना कि इस कौम का अंजाम क्या होगा जो कहते हैं कि रसूलुल्लाह से कुराबत उनकी कौम को क़यामत में कोई फायदा नहीं पहुंचाएगी, हाँ अल्लाह की कसम ! मेरी कुराबत दुनिया और आखिरत में जिंदा और मौजूद रहेगी। जो कभी नहीं कट सकती और ऐ लोगो ! मैं हौज़ कौसर पर तुम्हारे लिए तोशा आखिरत बन कर इंतिज़ार करूंगा। (5) हुज़ूरे अकरम ने फ़रमायाः
मेरे नसब के अलावा तमाम खान्दानी रिश्ते क़यामत के दिन ख़त्म हो जाऐंगे।
(मुस्नद अहमदुल मुस्तदरक लिलहाकिम जि. 3, स. 158, इतहाफुल साईल स. 63 इमाम अब्दुल रऊफु मनादी)