शाने हज़रत मौला अली

*शाने हज़रत मौला अली*
(रदीअल्लाहु तआला अन्हु)

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🕋     हज़रत हैदरे कर्रार मौला मुश्किल कुशा सैय्यदना मौला अली (रदीअल्लाहु अन्हु) की पैदाइश जुम्मा के दिन 13 रज्जब को *काबा शरीफ की चार दिवारी के अन्दर हुई।*


🔸     हज़रत अली (रदीअल्लाहु अन्हु) के वालिद अबू तालिब और वालिदा हज़रत फातिमा बिंते असद थीं। *इस लिहाज से आप हुज़ूर ﷺ के चचेरे भाई थे।*

🔸     पैदा होने के बाद हज़रत अली (रदीअल्लाहु अन्हु) ने सब से पहले *हुज़ूर ﷺ के चहेर-ए-अनवर की जियारत की।*

🔸     हुज़ूर ﷺ ने अपने हाथों में हज़रत अली को थामा और खुशी का इजहार फ़रमाया और *आप का नाम अली (यानी बुलंद हिम्मत वाला) रखा।*

🔸     हज़रत अली (रदीअल्लाहु अन्हु) ने 8 या 10 साल की उम्र में आप पर ईमान ले आए थे।  *बच्चों में सब से पहले आप ﷺ पर ईमान लाने वाले हज़रत अली हुवे।*

(📚 मदारिज जिल्द-2, सफा-917)


🔸     *मौला अली की शान में हुज़ूर ﷺ की सेंकड़ों हदीसे मुबारका मौजूद है,* जिस से आप का मकाम व मर्तबा जाहिर होता है। यहां सिर्फ दो  हदीसे मुबारक का जिक्र किया गया है। से


💢     *हदीस शरीफ़:*

🌴     मकामे गदीरे खूम पे हुज़ूर ﷺ ने हज़रत अली (रदीअल्लाहु अन्हु) के हाथों को अपने हाथ में लेकर बुलंद किया और फ़रमाया :

          *”जिसका मैं मौला (मददगार) हूं …… उसका अली मौला हैं।”*

          *”या अल्लाह ! जो अली से मोहब्बत रखें तू भी उससे मोहब्बत रख।”*

(📚 तारिखुल खुल्फा पेज-314)


⚜️     *हुज़ूर ﷺ ने फ़रमाया :*

          *”मैं इल्म का शहर हूं और अली उसका दरवाजा हैं।*”

(📚 तिरमिज़ी शरीफ़)


💢    *फरमाने हज़रत मौला अली (रदीअल्लाहु अन्हु):*

🏮     “मैं वो अली हूं जिसकी बातें अक्लो को हैरान और जहेनों को परेशान कर देती है।
          “अय लोगो ! मैंने आज तक अपनी हकीकत को तुम पर आश्कार नहीं किया।”

          “अगर मैं अपनी हकीकत और फजीलत से दुनिया वालों को आगाह कर दूं, *तो आधी दुनिया मेरी फजीलत की बुलंदी सून कर मर जाए…. और बाकी दीवानी हो जाए।*

          “मैंने अपने सिर्फ इतने फजाइल से पर्दा उठाया है (यानी बयान करता हूं), *जिनको हकिकी मोमिन का दिल बर्दाश्त कर सके।”*

(📚 किताब उल सफीन, पेज  71)


🏮     “कसम है उस जात की, जिसने दाना चीरा और जिसने जानदारो को पैदा किया ! हुज़ूर नबी ए अकरम ﷺ ने मुझसे अहद फ़रमाया था कि, *मुझसे सिर्फ मोमिन मुहब्बत रखेगा और सिर्फ मुनाफिक ही मुझसे बुग़ज़ रखेगा।”*

(📚 सही मुस्लिम, जिल्द : 01)


🏮     *”सून लो ! मेरे बारे में दो गिरोह हलाक होंगे !*

          “*एक (गिरोह) मेरी मुहब्बत में,* जो मेरी जात में ऐसी बाते शामिल करेंगे जिससे मेरा वास्ता नहीं।”

          “*दूसरा (गिरोह)* मेरी तरफ तोहमत लगा कर *मेरी दुश्मनी में हलाक होगा।”*

(📚 मुस्नदे अबी याला)


📖     आप के हक में अल्लाह रब्बुल इज्जत ने क़ुरआने करीम में आयते नाजिल फरमाई है।


⚔️     आप की शहादत 21 रमजानुल मुबारक सन 40 हिजरी को हुई।
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*मजहर -ए -जात -ए हबिबे किब्रिया बन गए…..*
*तंगदस्ती में, दस्ते ख़ुदा बन गए….*

*उम्र मुश्किल में रहेकर गुजारी मगर,*
*सारी दुनिया के मुश्किल कुशा बन गए*