
हदीस सहीह में है जैसा कि बहुत से एहले सुनन ने बयान किया है:
जब (हुज़ूर पाक के चचा) अबु लहब (जिसके कुफ्र में पूरी सूर: नाज़िल हुई) की बेटी हिजरत करके मदीना तैयबा तश्रीफ लाई तो उन से कहा गया कि तुम्हारी हिजरत तुम्हें बेनियाज़ नहीं करेगी, तुम तो जहन्नम के ईंधन की बेटी हो । उन्होंने यह बात ‘नबी अकरम से अर्ज़ की तो आप सख्त नाराज हुए और बरसरे मिंबर फरमाया: का क्या हाल है जो मुझे मेरे नसब और रिश्तेदारों
इन लोगों के बारे में अज़ियत देते हैं! ख़बरदार ! जिसने मेरे नसब और रिश्तेदारों को अज़ियत दी हैं उसने मुझे अज़ियत दी और जिसने मुझे अज़ियतदी उसने अल्लाह को अज़ियत दी । ” ( बरकात आले रसूलुल्लाह स. 257 )

