खड़े होकर एहले बैत का इस्तकबाल करें

खड़े होकर एहले बैत का इस्तकबाल करें

(1) हज़रत उम्मे सलमा से रिवायत है कि एक बार सरकार मदीना मेरे यहाँ तशरीफ़ फ़रमा थे कि खादिमा ने हज़रत अली और सय्यदे आलम ( खातूने जन्नत) के आने की ख़बर दी तो आप ने इर्शाद फ़रमायाः

“खड़े होकर मेरे एहले बैत का इस्तकबाल करो । ‘ जब हज़रत अली और सैयदा फ़ातिमा ज़ोहरा अपने दोनों शहज़ादों हसन व हुसैन के साथ आ चुके थे तो आपने दोनों बच्चों को गोद में ले लिया और एक हाथ से हज़रत अली और दूसरे से फ़ातिमा को पकड़ कर चूमा। Jhanjil shathima) (مسند احمد اتحاف السائل بما لفاطمة من المناقب والفضائل صفحه (۷۳ अनस से रिवायत की उन्होंने कहा

(2) इब्ने असाकर हज़रत कि रसूले अकरम ने फ़रमायाः

“कोई शख्स अपनी जगह से न खड़ा होगा मगर इमाम हसन या इमाम हुसैन या इन दोनों की औलाद के लिए। ” ( ख़साइस कुबरा जि. 2, स. 566)

(3) नबी करीम ने फ़रमायाः

“हर शख्स अपने भाई के लिए अपनी जगह से ( एहतरामन ) उठता है मगर बनी हाशिम किसी के लिए नहीं खड़े होंगे।” (ख़साइस कुबरा जि. 2, स. 566 )

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