चौदह सितारे हज़रत इमाम अबुल हसन हज़रत इमाम अली नक़ी(अ.स) पार्ट- 4

इमाम अली नक़ी (अ.स.) और मुतावक्किल की तख़्त नशीनी

यह मानी हुई बात है कि मौहम्मद स. व आले मौहम्मद स. उन तमाम उमूर से वाकि़फ़ होते हैं जिनसे अवाम उस वक़्त तक ब खबर नहीं होते जब तक वह मन्ज़रे आम पर न आजायें। इमाम शिबलन्जी लिखते हैं कि वासिक़ का एक मुहं चढ़ा रफ़ीक़ अस्बाती एक दिन ईराक़ से मदीना मुनव्वरा पहुचां और वहां जा कर इमाम अली नक़ी (अ.स.) से मिला। आपने ख़ैर ख़ैरियत दरयाफ़त करने के बाद फ़रमाया कि वासिक़ बिल्लाह ख़लीफ़ा ए वक़्त का क्या हाल है ? उसने कहा मैनें उसे ब सलामत छोड़ा और वह बिल्कुल बख़ैरियत है , मैं उसका भेजा हुआ यहां आया हूं। आपने फ़रमाया लोग कहते हैं कि वह फ़ौत हो गया है। यह सुन कर अस्बाती ने सुकूत इख़्तेयार किया और समझा कि यह जो आपने फ़रमाया है , बइल्मे इमामत फ़रमाया है कि हो सकता है कि दुरूस्त हो। फिर आपने कहा अच्छा यह बताओ कि इब्ने अज़यात किस हाल में है ? उसने अर्ज़ कि वह वह भी अच्छा ख़ासा है। बिल्कुल ख़ैरियत से है। इस वक़्त उसी का तूती बोलती है और इसी का हुक्म चलता है। आपने इरशाद फ़रमायाः ऐ अस्बाती सुनों हुक्में ख़ुदा को कोई नहीं टाल सकता और क़लमे क़ुदरत को कोई नहीं रोक सकता। वासिक़ का इन्तेक़ाल हो गया है और मुतावक्किल तख़्त नशीने खि़लाफ़त हो गया है और इब्ने अज़यात क़त्ल कर दिया गया है। अस्बाती ने चौंक कर पूछाः या हज़रत यह सब कैसे हो गया है ? मैं तो सबको ख़ैरियत व आफि़यत में छोड़ कर आया हूं। आपने फ़रमाया तुम्हारे ईराक़ से निकलने के छः दिन बाद यह इन्क़ेलाब आया है। इसके बाद अस्बाती आप से रूख़सत हो कर शहर में किसी मुक़ाम पर जा ठहरा। चन्द दिनों के बाद मुतावक्किल का नामा बर मदीना पहुंचा तो बिल्कुल उन्हीं हालात का इन्केशाफ़ हुआ जिनकी ख़बर इमामे ज़माना दे चुके थे। नुरूल अबसार सफ़ा 149, प्रकाशित मिस्र मुवर्रिख़ अलवर्दी लिखते हैं कि यह वाकि़या 232 हिजरी का है तारीख़े इस्लाम मिस्टर ज़ाकिर हुसैन में है कि इब्ने अलज़्यारत वज़ीर था उसके क़त्ल होते ही मोतावक्किल ने अपना वज़ीर फतेह इब्ने ख़क़ान को बनाया जो बहुत ज़ेहीन व ज़की था।

(फ़ेहरिस्त इब्ने नदीम सफ़ा 175 )


हज़रत इमाम अली नक़ी (अ.स.) और सहीफ़ा ए कामेला की एक दुआ

हज़रत इमाम अली नक़ी (अ.स.) के एक सहाबी सबा बिन हमज़तुल क़ुम्मी ने एक को तहरीर किया कि मौला मुझे ख़लीफ़ा मोतासिम वज़ीर से बहुत दुख पहुंच रहा है , मुझे इसका भी अन्देशा है कि कहीं वह मेरी जान न ले ले। हज़रत ने इसके जवाब में तहरीर फ़रमाया कि घबराओ नही और दुआ ए सहीफ़ा ए कामेला यामन तहलो बेहा अक़दा अलमकाराहा अलख़ , पढ़ो मुसीबत से नजात पाओगे। यसआ बिन हमज़ा का बयान है कि मैनें इमाम के हस्बे अल हुक्म नमाज़ सुब्हा के बाद इस दुआ की तिलावत की जिसका पहले ही दिन यह नतीजा निकला कि वज़ीर ख़ुद मेरे पास आया मुझे अपने हमराह ले गया और लिबासे फ़ख़रा पहना कर मुझे बादशाह के पहलू में बिठा दिया।

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