अहले-बैत से बुग्ज़

इमाम इब्ने हज़र मक़्की رضي الله عنه ने सवायके-मुहर्रिका में सफा 412 पर लिखा है कि-
अगर कोई आदमी रुक्न ए यामिनी और मकाम ए इब्राहीम के दरमियान अपने पांव को इकट्ठा करे और नमाज़ पढ़े और रोज़े रखे फिर वह अहले-बैत से बुग्ज़ रखते हुए अल्लाह ﷻ से मिले तो वह आग में दाखिल होगा।

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