


यौम ए जहूर ए पुरनूर शहजादी ए रसूल, जिगरगोश ए रसूल, ज़ौजा ए अली, वालिदा ए हसनैन, उम्मे अबिहा सैयदा फातिमतुज जहरा (सलामुल्लाही अलैहा) बिलखुशस सादात ए इकराम और तमाम अहले बैत के चाहने वालों को बहोत बहोत मुबारक हो,, 🙏🏻 💛🌹💐🎂🎂
यह पैगाम जिंदा लोगों के लिऐ है सुममुन बुकमुन उमयुन
अंधे बहरे गूगों और मुर्दो के लिऐ नहीं है
अगर आप जिंदा है तो अपने जिंदा होने का सबूत देते हुऐ इसे पूरा पढ़ेगें और लब्बैक या सैयदा ज़हरा कहेंगें लिखेंगें
और मौला अली (अलैहिस्सलाम) वाले जिंदा हैं और जिंदा रहेगें बेशक इसमे नसीहत है उसके लिए जो दिल रखता है या कान लगाए और मुतावज्जा हो (सूरह क़ाफ़ 37)
अल्लाह तआला के हुक्म से अल्लाह के रसूल ﷺ हमारे आका ने अपनी उम्मत से अजरे रिसालत मे कुछ नही माँगा सिर्फ अपने क़ुराबत की यानी अपने अहले बैत ए अतहार और उनके आल पाक से मोहब्बत नहीं मोवददत करने का हुक्म फरमाया (अलशूरा 23)
माँ सैयदा बीबी फातमा ज़हरा (सलामुल्लाही अलैहा)
अल्लाह के रसूल रहमतललिल आलमीन ﷺ
लख़्त ए ज़िगर
उम्मुल मोमनीन
बीबी ख़दीज़ा निसाउल आलमीन (सलामुल्लाही अलैहा)
की शाहबज़ादी
दिल का सुकून
आँखों की ठंडक
मौला ए काएनात मौला अली इब्न.अबू तालिब (अलैहिस्सलाम) की शरीक ए हयात बीवी साहबा
जन्नत के नौजवानो के सरदार इमाम हसन (अलैहिस्सलाम)
इमाम हुसैन (अलैहिस्सलाम)
और
सानी ए ज़हरा सैयदा बीबी जैनब (सलामुल्लाही अलैहा) सैयदा बीबी कुलसूम (सलामुल्लाही अलैहा)
सैयदा बीबी रुकैया (सलामुल्लाही अलैहा) की अम्मी जान
जनाब अब्दुल मुत्तलिब (सलामुल्लाही अलैहा) और बीबी फातमा (सलामुल्लाही अलैहा) की पोती साहबा
जनाब इमरान इब्न अब्दुल मुत्तलिब (अलैहिस्सलाम) और सैयदा बीबी फातमा बिन्त असद (सलामुल्लाही अलैहा) के घर की ज़ीनत (यानी बहु साहबा)
ख़ातून ए क़्यामत (क़्यामत की मलका )
ख़ातून ए महशर
(महशर की मलका)
ख़ातून ए जन्नत
( जन्नत की मलका )
जिसका अक़्द
मौला ए काएनात के साथ अर्शे पर अल्लाह ने पढ़ाया और फर्श पर अल्लाह के रसूल ﷺ ने पढ़ाया
और
जिसकी रूह ए अज़ीम खुदा ने अपने दस्त ए कुदरत से जिस्म ए अतहर से निकाली
जो
मरकज़े पंजतन
महवरे पंजतन है
चादर ए किसा मे जब पाँच तन यानी अल्लाह के हबीब मोहम्मद मुस्तफा ﷺ
इमामो व तमाम वलीयों के सरदार
इमाम मौला अली (अलैहिस्सलाम)
जन्नत के सरदार
इमाम हसन (अलैहिस्सलाम)
इमाम हुसैन (अलैहिस्सलाम)
और इन सबके बीच मे बैठीं
महवर ए पंजतन सैयदा बीबी फातमा ज़हरा (सलामुल्लाही अलैहा)
उस वक्त अल्लाह तआला ने फरिश्तों के सरदार जिब्राईल (अलैहिस्सलाम). के जरीए आयत भेजी
इन्नमा युरीदुल्लाहो लेयुजहेबा अंकुमुर रिजसा
अहलल बैत ए व युतहहेराकुम ततहीरा०
तर्जूमा:- अल्लाह तआला ने अहले बैत से हर किस्म की निजासत आलूदगी गुमराही वगैरह को दूर नही किया बलके इनसे बहुत दूर रखा है और
इन्हे ऐसा तैयबो ताहिर पाक किया जो उसके पाक करने का हक है
चादर ए किसा का
हजरत जिब्राईल (अलैहिस्सलाम). ने ये नूरानी मंजर देखा तो अल्लाह की बारगाह मे अर्ज़ की के इस चादर के नीचे /अंदर कौन हैं जिनकी तहारत और पाकीज़गी के ऐलान की आयत नाज़िल हुई
(अल्लाह तआला ने इनका तआरुफ अपने रसूल ﷺ की बजाए सैयदा बीबी फातमा ज़हरा (सलामुल्लाही अलैहा) के ज़रीए से कराया )
अल्लाह तआला ने फरमाया ऐ जिब्राईल इस चादर मे बीबी फातमा ज़हरा हैं और इनके बाबा मोहम्मद मुस्तफा तमाम नबीयों के सरदार हैं और इनके शौहर अली इब्न अबू तालिब हैं तमाम वलीयों के सरदार और इनके बेटे इमाम हसन और इमाम हुसैन जन्नत के नौजवानों के सरदार है
आल ए नबी ﷺ
औलाद ए मौला अली (अलैहिस्सलाम)
जिगर गोसा ए बतूल (सलामुल्लाही अलैहा)
जान ए हसनैन करीमैन (अलैहिस्सलाम)
सुलतानुल अज़म सैयद ख़्वाजा मुईनुददीन हसन संजरी गरीब नवाज़ (रहमतुल्लाह ता,आला अलै)
जब आप सरजमीन ए हिन्द मे तसरीफ लाए और लोगों को दीन पेश किया और लोगों ने दीन कुबूल किया और गरीब नवाज़ र.अ. ने उन्हे रोज बरोज दीन और दीन के अरकान बतलाते और समझाते थे
कुछ लोग बाहर से आए उन्हे अपने वतन जाना था और कुछ लोगों की उमर काफी थी उन्हे सफर ए आखरत की तरफ जाने की फिक्र थी
उन लोगों ने अर्ज़ किया या पीरओ मुर्शिद
ख़्वाजा गरीब नवाज़ र.अ.
हम पर करम फरमाइए
हमारे पास वक्त कम है हमे वापसी का सफर करना है
हमें दीन का मजमुआ बता दें की दीन क्या है
ख़्वाजा गरीब (रहमतुल्लाह ता,आला अलै) ने
फरमाया
दीन अस्त हुसैन
(अस्त यानी है)
दीन आका मौला इमाम हुसैन हैं
जैसे जिसने
रसूल अल्लाह ﷺ को जाना पहचाना
समझा और माना
उसने अल्लाह को जाना पहचाना समझा और माना
ऐसे ही जिसने
इमाम हुसैन (अलैहिस्सलाम) को जाना पहचाना समझा और माना उसने दीन को जाना पहचाना समझा और माना
और ख्वाजा गरीब नवाज़ र.अ. ने फरमाया
दीन पनाह अस्त हुसैन
और दीन को बचाने और पनाह देने वाले भी मेरे जद इमाम हुसैन (अलैहिस्सलाम) हैं
और हर इंसान की दुनीयावी मालिक उसकी माँ होती है
(कुदरत ने उसे दूध बख्शने या ना बख्शने का अख्तियार दिया है)
मेरे जद आका मौला हुसैन (अलैहिस्सलाम) की मालिक सैयदा बीबी फातमा ज़हरा (सलामुल्लाही अलैहा). हैं
अल्लाह ने कुरआन में ऐलान किया
मालेके यौम अलदीन
छोटे काफ के नीचे ज़ेर लगा है जो मोअन्नस के लिए है
यानी ख्वाजा गरीब नवाज़ ने फरमाया
मेरे ज़द इमाम हुसैन दीन है
और उनकी वालदा सैयदा बीबी फातमा ज़हरा उनकी माँ मालेके यौम अल दीन
मैदान ए महशर मे
दीन की मालेका हैं
जिनकी ताज़ीम के लिऐ रसूल अल्लाह ﷺ.
खड़े हो जाते और अपनी काली कमली (चादर)बिछाकर उसमे उन्हें बिठाते और आप तब तक ना बैठते जब तक सैयदा बीबी अपने दस्ते मुबारक से आपका दस्त मुबारक पकड़ कर ना बैठालतीं
रसूल अल्लाह ﷺ ने अपनी लख्त ए ज़िगर सैयदा बीबी फातमा ज़हरा (सलामुल्लाही अलैहा) का हाथ मुबारक पकड़कर मस्जिद ए नबवी मे अपने जाँ निसार सहाबा इकराम (रजी अल्लाह अन्हों) से फरमाया मै इसकी ताज़ीम के लिऐ अल्लाह के हुक्म से खड़ा होता हूँ क्यों कि
फातमा माँ (उम्मे अबीहा) है
इस पर मैं कुरबान
मेरे माँ बाप कुरबान
ए लोगो इससे मवददत करो मोहब्बत करो और
इसके माँ बाप यानी मुझसे और
इसके शौहर से
इसकी औलाद से मवददत और मोहब्बत करो
और
इससे मोहब्बत करने वालों से मोहब्बत करो
इसका अदब व अहतेराम करो
क्यों की ये माँ
(उम्मे अबीहा) है
इसके कदमो के नीच नीचे जन्नत है
ऐ लोगो क्यामत के बाद मैदान ए महशर मे जब मेरी लख्त ए जिगर सैयदा बीबी फातमा ज़हरा (सलामुल्लाही अलैहा). की सवारी 70हजार जन्नत की हूरों की झुरमुट मे लाइ जाऐगी
जहाँ तमाम नबी
तमाम रसूल
और इमामुल आंबीया और आपकी आल पाक और
असहाबुल जन्नत
यानी जन्नती सहाबा और तमाम
वली अल्लाह व पूरी उम्मत होगी
तो निदा की जाऐगी कि
ऐ अहले महशर अपनी निगाहें निची करलो
शहजादी ए कौनैन
खातून ए महशर की सवारी आ रही है
और फिर सैयदा फातमा ज़हरा (सलामुल्लाही अलैहा) को नूर की कुरशी पर बैठाया जाएगा और जन्नत को इनके कदमो के नीचे लाकर सजाया जाएगा
(ये वो हदीस ए रसूल ﷺ. है के माँ के कदमों के नीचे जन्नत है )
अगर माँ सैयदा बीबी फातमा ज़हरा (सलामुल्लाही अलैहा) समझ मे आ जाए
जिसे रसूल अल्लाह ﷺ. ने अपनी उम्मत को समझाया है
के फातमा माँ हैं
अब जो भी सैयदा बीबी फातमा ज़हरा (सलामुल्लाही अलैहा) की निसबत से अपनी माँ से खुलूस दिल से मोहब्बत करेगा उनकी खिदमत करेगा उनकी फरमा बरदारी करेगा इसको दुनीया के सब रिश्तों से ऊपर रखेगा उनके नेक हुक्मो को मानेगा बुढ़ापे मे उनकी खिदमत करेगा और उनके किसी डांट डबट पर उफ भी ना करेगा
तो ऐसे लोगों के लिए उनके माँ के कदमों मे बा वसीला सैयदा फ़ातमा ज़हरा (सलामुल्लाही अलैहा). के जन्नत है
ये आखरत का सौदा है जो चाहे माँ सैयदा बीबी फातमा ज़हरा (सलामुल्लाही अलैहा). की निसबत कायम करके अपनी माँ के ज़रीए आखरत सवाँरकर जन्नत का हकदार बन सकता है
कुरआन की आयत कहती है (अल नज़्म) जो समझा वो समझा
कुरआन की आयत कहती है
, ला इकराहा फिददीन
दीन मे कोई जबरदस्ती नही है
और जिसे “मन “चाहता उसे अल्लाह तआला हिदायत अता फरमाता है और
जिसे “मन” चाहता है
अल्लाह तआला उसे
सिरात ए मुस्तकीम की तरफ चलाता है
और जिसे चाहता है
सिरात ए मुस्तकीम पर चलाता है
अल्लाहुमा सल्ले अल्ला सैयेदिना मोहम्मदीन वआला आले सैयेदिना मोहम्माद वबारिक वसल्लम

