ऐहले शाम ने दौरे बनी उमय्या में माविया की फजीलत में झूठा हदीस गढ़ा
✍️इमाम तिर्मिज़ी ने अपने सुनन तिर्मिज़ी में ‘मुआविया बिन अबी सुफ़ियान के मनाक़िब नामी बाब में कुल दो हदीसों को जमा किया है जिसके मर्कज़ी रावी अब्दुर्रहमान बिन अबी उमैरह हैं कि इन्होने रिवायत किया है कि हज़रत मोहम्मद मुस्तफ़ा ﷺ ने मुआविया के बारे में कहा कि..
لِمُعَاوِيَةَ اللَّهُمَّ اجْعَلْهُ هَادِيًا مَهْدِيًّا وَاهْدِ بِهِ.
यानि ‘ऐ अल्लाह ! तू मुआविया को हिदायत दे और हिदायत याफ़ता बना दे और मुआविया के ज़रिए लोगों को हिदायत दे।’
यह हदीस कंजुल-उम्माल (हदीस नंबर 33654) में भी है।
इस हदीस के मर्कज़ी रावी अब्दुर्रहमान बिन उमैरह के बारे में इमाम इब्ने असीर जजरी ने ‘उसदुल गाबा फ़ि मारिफ़तुस्सहाबा’ में लिखते हैं कि ‘ऐहले शाम में इनका शुमार है और ना तो इनकी हदीसें पाया सबूत तक पहुंची है और ना ही इनका सहाबी होना साबित है।’ फ़िर इमाम इब्ने असीर जजरी ने अब्दुर्रहमान की इस हदीस को लिखकर इसे झूठा करार दिया है।
देखें सफ़ाह 435 पर👇
https://archive.org/details/UsdulGhabahFiMarifat-us-Sahabahr.aByShaykhIbnAthirUrduTranslation/UsdulGhabahFiMarifat-us-Sahabahr.a-volume2-ByShaykhIbnAthirUrduTranslationByShaykhMuhammadAbdushShakoorFarooqiLakhnavir.a/page/n435/mode/1up?view=theater
इन नासबियों को मुआविया की शान में झूठी हदीसें गढ़कर मोहम्मद ﷺ की ओर झूठी हदीस मन्सूब करना जहन्नमी होने का सबूत है क्योंकि बुखारी और मुस्लिम में सही हदीस है कि जिसने भी मोहम्मद ﷺ पर झूठ बात बांधा या झूठी हदीस मन्सूब की, उसका ठिकाना जहन्नम है।

