
आल-ऐ-मोहम्मद ﷺ की एक दिन की मोहब्बत एक साल की इबादत से बेहतर है..
डॉ ताहिर उल कादरी ने अपनी किताब ‘अल इजाबा फ़ि मनाकिबल क़ुरबा’ के सफ़ाह नं 39 से 40 पर रक़म नंबर 18 के तहत लिखते हैं कि…
“हज़रत अब्दुल्लाह बिन मसूद رَضِىَ الـلّٰـهُ عَـنْهُ से रिवायत है कि हुज़ूर नबी अकरम ﷺ ने फ़रमाया कि-
حُبّ ال محمد يومًا خير من عبادة سنة ومن مات عليه دخل الجنة.
“ऐहलैबयत ऐ मुस्तफ़ा ﷺ की एक दिन मोहब्बत पूरे साल की इबादत से बेहतर है और जो इसी मोहब्बत पर फ़ौत हुआ वोह जन्नत में दाखिल होगा।”
– मुस्नद फ़िरदौस (इमाम देलमी),
जखाएरुल उक़बा (इमाम मुहिब्बुद्दीन
तबरी),
अल मवद्दतुल फ़िल कुरबा (सय्यद
हमदानी),
नूरुल अंबसार (इमाम सबलंजी),
फज़ायल ऐ ऐहलैबयत (इमाम जलालुद्दीन
सुयूती),
अल इजाबा फ़ि मनाकिबल क़ुरबा
(डॉ मोहम्मद ताहिर उल कादरी).
हज़रत अमीर ऐ कबीर सय्यद अली हमदानी रह० (मतवफ़्फ़ह 786 हिजरी) की “अल मवद्दतुल फ़िल कुरबा” के सफ़ाह 67 पर रक़म 16 देखें 👇
https://archive.org/details/AlmowadatFilQurbaByAmeerKabeerSyedAliHamadani/page/n67/mode/1up?view=theater
इमाम देलमी (मतवफ़्फ़ह 509 हिजरी) की अल फ़िरदौस की दूसरी जिल्द में सफ़ाह 142 पर रक़म नंबर 2721 देखें 👇
https://archive.org/details/al-firdoos/2_%D8%A7%D9%84%D9%81%D8%B1%D8%AF%D9%88%D8%B3_%D8%A8%D9%85%D8%A7%D8%AB%D9%88%D8%B1_%D8%A7%D9%84%D8%AE%D8%B7%D8%A7%D8%A8_%D9%85%D8%B3%D9%86%D8%AF_%D9%81%D8%B1%D8%AF%D9%88%D8%B3/page/n141/mode/1up?view=theater

