मरवान बिन अल-हकम कौन हैं?

*मरवान बिन अल-हकम बिन अबी अल-आस बिन उमय्या* पर लानत हो खुदा की

`जिसे पैगम्बर (स) ने  उसके पिता के साथ शहर बदर करके ताइफ़ भेज दिया था।` उसे तीसरे खलीफा, उसमान बिन अफ्फान ने फिर से मदीना वापस बुला लिया और अहम ओहदा दे दिया।
`मरवान जमल और सिफ़्फ़ीन की लड़ाई में , इमाम अली (अ) के खिलाफ़ था ।`

इमाम अली (अ) के ख़लीफ़ा बनने के बाद , मारवान ने उनके प्रति बयत नहीं की और मक्का भाग गया। जहां उसने तल्हा और अल-जुबैर को विद्रोह करने और सरकार बनाने के लिए उकसाया।

`जमल की लड़ाई में, मारवान को मूसा बिन तल्हा, और अम्र बिन सईद बिन अबी अल-आस के साथ बंदी बना लिया गया, लेकिन इमाम अली (अ) ने उसे माफ़ी दे दी और वह सीरिया भाग गया ।`

सिफिन की लड़ाई में , मरवान उमय्यद सेना में था और इमाम अली (अ) के खिलाफ था। इस लड़ाई में, मुआविया ने मरवान को मलिक अल-अश्तर के खिलाफ लड़ने के लिए कहा, लेकिन मरवान ने इनकार करते हुए बहाना किया।  सिफ़्फ़ीन की लड़ाई के बाद, इमाम अली (अ) ने उसे माफ़ी दे दी।

`इमाम हसन (अ) के दौर में मरवान ने इमाम अल-हसन (अ) के जनाज़े को उनके दादा, पैगम्बर (स) की कब्र के बगल में दफनाने का विरोध किया।`

_इमाम हुसैन (अ) के वक़्त में मरवान ने इमाम अल-हुसैन (अ) की मुख़ालिफ़त की यज़ीद की बयत के लिए दबाव डाला।_

`यज़ीद के बेटे मुआविया बिन यज़ीद के गद्दी से हटने के बाद , मरवान ने गद्दी संभाली जिसके दस महीने बाद उसकी मौत हो गई।`

_सन् 65 हिजरी 685 ईस्वी में मरवान की पत्नी ने उसे मार डाला ।_

`यजीद की मौत के बाद, मरवान ने उम्म खालिद बिन्ते हाशिम बिन उतबा  (यजीद की बीवीऔर खालिद बिन यजीद की मां) से शादी की। एक दिन, एक सभा में, उसने खालिद बिन यजीद की माँ को गाली दी जिससे वह नाराज़ हो गई। खालिद बिन यजीद की मां ने खालिद को चुप रहने के लिए कहा और वादा किया कि वह फिर कभी मरवान से कोई बुरी बात नहीं सुनेगा।`

इस घटना के बाद, उम्म खालिद ने मरवान को ज़हर देकर मार डाला।

एक रवायत ये भी है कि जब वह सो रहा था, तो उम्म खालिद ने तकिए से उसका दम घोंट दिया।

एक और रवायत के अनुसार, मारवान प्लेग की चपेट में आ गया और इससे उसकी मौत हो गई।

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