Bughz e Ahle Baith e Pak Ka Anjaam

*Bughz e Ahle Baith e Pak Ka Anjaam*

Huzoor Nabi e Kareem ﷺ Farmate Hain :- Agar Koi Shaks Baitullah Sharif (Kabah Sharif) Ke Ek Kaune Aur Maqaam e Ibrahim Ke Darmiyan Jayen Aur Namaze Padhe Aur Roze Rakhe Aur Phir Ahle Baith Ki Dushmani Me Mar Jayen To Wo Jahannum Me Jayega.

📚 *Reference* 📚
Al Mustadrak, Jild 4, Safa 129, 130, Hadees No 4766.

Haqeqi Ilm kya hai.

बेशक अल्लाह के नज़दीक़ सबसे बेहतरीन और कुबूल किए जाने वाला दीन इस्लाम है लेकिन वो कौन सा इस्लाम है जो अल्लाह को पसंद है?, अल्लाह का दिया हुआ हकीकी दीन या हमारा बनाया हुआ तख़्लीकी दीन?, हक़ दीन हमें तब ही मिल सकता है जब हमारे पास वो दो वजनदार चीज़ हों, जिन्हें थामने का हुक्म, अल्लाह और अल्लाह के रसूल सल्लललाहु अलैहे व आली व सल्लम ने दिया है यानी कुरआन पाक और अहलेबैत अलैहिस्सलाम । जब तक सही किताब और किताब के सही आलिमों को नहीं थामा जाएगा तब तक हक़ दीन समझ नहीं आ सकेगा।

एक मर्तबा एक शख्स मौला अली अलैहिस्सलाम के पास आया, आने वाला ये देखना चाहता था की मौला अली अलैहिस्सलाम ही हक़ इल्म के वारिस हैं या नहीं। सवाल करने लगा, “या अली! मेरे पास बकरियों का एक झुंड है जिसकी निगरानी के लिए मैंने एक कुत्ता रखा हुआ उन्हें बिखरने से बचाता है, लेकिन अब मुझे एक परेशानी है, मेरी बकरियों में से एक बकरी ने ऐसे बच्चा दिया है जो समझ नहीं आता की कुत्ता है या बकरी मतलब उसमें कुत्ते और बकरी दोनों की सिफात हैं, अगर बकरी है तो पाक है और उसको खाना जायज़ है और अगर कुत्ता है तो नाजिस है और उसको खाना भी हराम है।”, मौला अली अलैहिस्सलाम ने फरमाया, “ऐ शख़्स! इसकी बोली को सुनो, अगर कुत्ते की तरह मुँह उठाकर रोए तो कुत्ता और अगर बकरी की तरह मिमयाए तो बकरी है।”, कहने लगा, “या अली! मैं ये करके देख चुका हूँ, कभी वो कुत्ते की तरह रोने लगता है तो कभी बकरी की तरह बोलने लगता है, मौला अली अलैहिस्सलाम ने फरमाया, “फिर उसे पानी पीते हुए देख, अगर कुत्ते की तरह जुबान से चाटकर पानी पीता है तो कुत्ता है और अगर बकरी की तरह आगे के पाँव पर बैठकर घूँट लेते हुए पानी पिए तो बकरी है।”, कहने लगा, “या अमीरुल मोमिनीन! मैं ये कर के भी देख चुका, कभी कुत्ते की तरह जीभ से पानी पीता है तो कभी बकरी की तरह पीता है।”, मौला अली अलैहिस्सलाम ने फरमाया, “ऐसा करो, उसे बकरियों के झुंड के साथ लेकर चल, अगर झुंड में घुसकर या झुंड के साथ चले तो समझ जाना बकरी है और अगर निगरानी वाले कुत्ते की तरह, झुंड के बाजू में चले तो समझ जाना कुत्ता है।”, कहने लगा, “या अमीरु मोमिनीन! ये भी करके देख चुका हूँ, कभी तो झुंड के बीच में बकरी की तरह चलता है तो कभी निगरानी वाले कुत्ते की तरह बाजू में किनारे-किनारे चलने लगता है।”, अमीरुल मोमिनीन अली अलैहिस्सलाम ने फरमाया, “उसके सामने गोश्त का टुकड़ा डालकर देख, अगर गोश्त को सूँघकर खाता है तो कुत्ता है और अगर सूँघकर मुँह फेर ले तो समझ लेना की बकरी है । “, कहने लगा, “या अमीरुल मोमिनीन ! मैं ये भी करके देख चुका, कभी तो गोश्त को सूँघ खाने लगता है तो कभी, मुँह फेर लेता है।”, मौला अली अलैहिस्सलाम ने फरमाया, “फिर ऐसा कर की इसे ज़िब्ह करके देख अगर इसके अंदर से एक आँत निकले जैसे की कुत्ते में होती तो समझ जाना कुत्ता है और अगर इसके अंदर कई आँत निकलें, जैसे की बकरी में होती हैं तो समझ जाना बकरी है ।”, ये सुनते ही वो शख्स मौला अली अलैहिस्सलाम के कदमों में गिरकर कहने लगा, “या अमीरुल मोमिनीन मैंने सब झूठ कहा, ना तो मेरे पास बकरियों का झुंड है, ना ही कुत्ता है और ना ही ऐसा कोई वाक्या ही पेश आया है, मैं तो आपका इम्तिहान लेने की नियत से सवाल किया लेकिन आपने तो जवाब में इल्म का दरिया बहा दिया।

लोगों क्या ये वाक्या सुनकर भी तुम्हारे दिल वारिस ए इल्म ए नबी के लिए गवाही नहीं देते?, अहलेबैत अलैहिस्सलाम पाक हैं फिर भी उन्हें, कुत्ते जैसी नाजिस चीज़ का भी इतना बारिकी से इल्म है। पूछने वाले ने सोचा की इन्हें क्या पता होगा इस बारे में लेकिन वो ये भूल बैठा की जिसे खुद अल्लाह ने इल्म आम करने के लिए चुना हो, उसे हर छोटी-बड़ी, हलालहराम, जाहिर बातिन का इल्म सबसे ज्यादा दिया होगा। आज के दौर में देखता हूँ की सैंकड़ों लोग खुद आलम बताते फिरते हैं जबकि हकीक़त में तो इंसानों की सिर्फ़ तीन किस्म ही मौजूद हैं, आलिम, तालिब ए इल्म और ख़स ओ खाशाक।

आलिम सिर्फ़ मुहम्मद ओ आल ए मुहम्मद हैं यानी रसूलुल्लाह सल्लललाहु अलैहे व आलिही व सल्लम, उनकी बेटी फातिमा सलामुल्लाह अलैहा और बारह इमाम अलैहिस्सलाम हैं। तालिब ए इल्म वो हैं जिन्होंने तौहीद ओ रिसालत के बाद, इमामत ओ विलायत की गवाही दी, कुरआन ओ अहलेबैत अलैहिस्सलाम को थामा और इनके ज़रिए इल्म हासिल करने की कोशिशें कीं। इसके अलावा बाकि सारे लोग ख़स ओ खाशाक में शामिल हैं, जिनकी इल्म की दुनिया में कोई गिनती ही नहीं । अल्लाह से डरने वाले बनें, अपने रसूल के हुक्म को मानें और कुरआन व मुहम्मद ओ आल ए मुहम्मद को थाम लें, बेशक ये ही सच्ची और सीधी राह है जिसकी मंज़िल खुदा है।

माहे सफर, माहे इमाम हसन है,,

माहे सफर, माहे इमाम हसन है,,

हुजूर ए अकरम नूर ए मुजस्सिम सरवर ए दोआलम
इमाम ऊल अम्बिया मोहम्मद ए मुस्तुफा (सल,अल्लाहो अलयहे व आलेेही व सल्लाम)
ने इमामे हसन (अलयहीस सलाम) को पकड़ते और
अपने सीने से लगा लेते और फरमाते

ए अल्लाह बेशक ये मेरा बेटा है तू इससे मोहब्बत फरमा
और उससे भी मोहब्बत फरमा जो इससे मोहब्बत करे
और ये मेरी हेब्बत व सरदारी का वारिस है
ये और इमाम हुसैन तमाम जन्नती जवानों के सरदार है
ये मेरी अहले बैत है और इनकी मोहब्बत हर मोमिन पर वाजिब है,,🙏🏻

हवाला
सही बुखारी: /5545,,
जमे तिरमिजी: /3205
तबरानी (मु,झम अल कबीर: 2545/1641
फजाइले साहब (इमाम अहमद) 1387/1353
मुसनद अहमद:/7392

माहे सफर माहे हसन (अलैहिस्सलाम) है

हजरत अबू हुरैरा (राजी अल्लाह अन्हो) फरमाते है: में जिस दिन से रसूल अल्लाह (सलअल्लाहो अलैहे वआलेही वसल्लम) का उस शख्स के साथ शफकत भरा रवय्या देखा है, उससे मोहब्बत करने लग गया हूं, मैने एक मरतबा देखा के हजरत हसन (राजी अल्लाह अन्हो) रसूल अल्लाह (सलअल्लाहो अलैहे वआलेही वसल्लम) की गोद मुबारक मै बैठे हुवे थे और बार बार आप (सलअल्लाहो अलैहे वआलेही वसल्लम) की दाढ़ी मुबारक मै उंगलियां डाल रहे थे और नबी अकरम (सलअल्लाहो अलैहे वआलेही वसल्लम) उनके मुंह मै अपनी जबान डालते थे फिर आप (सलअल्लाहो अलैहे वआलेही वसल्लम) ने दुआ मांगी : ए अल्लाह ! मैं इनसे मोहब्बत करता हुं, तु भी इनसे मोहब्बत कर,,

अल मुस्तद्रक हाकिम जिल्द:4 हदीस नं: 4791

✍🏻,,तालिब ए दुआ सोयब वारसी,,

माहे सफर माहे हसन (अलैहिस्सलाम) है

हजरत सलमान (रजि अल्लाह अन्हो) फरमाते है: रसूल अल्लाह (सलअल्लाहो अलैहे वआलेही वसल्लम) ने इरशाद फरमाया: *हसन और हुसैन मेरे बेटे है*  जिसने इनसे मोहब्बत की, उसने मुझसे मोहब्बत की और जिसने इनसे बूग्ज(हसद) रखा, *अल्लाह ताआला उसको जहन्नम मे दाखिल फरमाएगा*

अल मुस्तद्रक हाकिम जिल्द:4 हदीस नं: 4776

*Farmane Mustafa ﷺ Mera Ye Beta Sardar Hai* 👇

Hazrat Said Bin Abi Said Al Maqburi Ne Bayan Kiya Ke Hum Hazrat Abu Hurairah Razi Allahu Tala Anhu Ke Saath The Ke Hazrat Imaam Hasan Mujtuba Alaihis Salam Hamare Paas Tashreef Laye Unhone Aate Hi Salam Kiya Humne Unke Salam Ka Jawab Diya Hazrat Abu Hurairah Ko Unke Aane Ka Ilm Na Hua Humne Unko Bataya Ke Hasan ibn Ali Alaihis Salam Salam Keh Rahe Hain Chunache *Hazrat Abu Hurairah Unse Mile Aur Unko Salam Ka Yu Jawab Diya “Walaikumassalam Mere Aaqa”* Fir Hazrat Abu Hurairah Ne Humse Kaha Mene Inke Baare Me Rasoolullah ﷺ Ko Farmate Hue Suna Hai :- Ke Mera Ye Beta Sardar Hai Ya’ani Imaam Hasan Mujtuba Alahis Salam

📚 *Reference* 📚
Al Mustadrak, Hadees No 4792.