
आपका नामे नामी
विलादत के बाद इस्मे गेरामी हम्ज़ा तजवीज़ हो रहा था लेकिन सरवरे कायनात ( स.व.व.अ.) ने बा हुक्मे खुदा मूसा (अ.स.) के वज़ीर हारून (अ.स.) के फ़रज़न्दों के शब्बीर व शब्बर नाम पर आपका नाम हसन और बाद में आपके भाई का नाम हुसैन रखा। बेहारूल अनवार में है कि इमाम हसन (अ.स.) की पैदाईश के बाद जिब्राईले अमीन ने सरवरे कायनात ( स.व.व.अ.) की खिदमत में एक सफ़ैद रेशमी रूमाल पेश किया जिस पर हसन, हुसैन लिखा हुआ था। माहिरे इल्म अल नसब अल्लामा अबुल हुसैन का कहना है कि ख़ुदा वन्दे आलम ने दोनो शाहज़ादों का नाम अन्ज़ारे आलम से पोशीदा रखा था यानी इनसे पहले हसन और हुसैन नाम से कोई मोसूम नहीं था। किताबे आलमे अलवरी के मुताबिक़ यह नाम भी लौहे महफूज़ में लिखा हुआ था ।
ज़बाने रिसालत दहने इमामत में अल्ल शराए में है कि जब इमाम हसन (अ. स.) की विलादत हुई और आप सरवरे कायनात ( स.व.व.अ.) की खिदमत में लाये गये तो रसूले करीम (स.व.व.अ.) बे इन्तेहा खुश हुये और उनके दहने मुबारक में अपनी ज़बाने अक़दस दे दी। बेहारूल अनवार में है कि आं हज़रत ने नौज़ायदा बच्चे को आगोश में ले कर प्यार किया और दाहिने कान में अज़ान और बांए में अक़ामत फ़रमाने के बाद अपनी ज़बान उनके मुंह में दे दी इमाम हसन (अ. स.) उसे चूसने लगे। इसके बाद आपने दुआ की ख़ुदाया इसको और इसकी औलाद को अपनी पनाह में रखना। बाज़ लोगों का कहना है कि इमाम हसन (अ.स.) को लोआबे दहने रसूल (स.व.व.अ.) कम और इमाम हुसैन (अ.स.) को ज़्यादा चूसने का मौका दस्तियाब हुआ था। इसी लिये इमामत नसले इमाम हुसैन (अ. स.) में मुस्तक़र हो गई।
आपका अक़ीक़ा
आपकी विलादत के सातवें दिन सरवरे कायनात ने खुद अपने दस्ते मुबारक से अक़ीक़ा फ़रमाया और बालों के मुंडवा कर उसके हम वज़न चांदी तसद्दुक़ की । (असद उल ग़ाबेता जिल्द 3 पृष्ठ 13 ) अल्लामा कमालुद्दीन का बयान है कि अक़ी के सिलसिले में दुम्बा ज़ब्हा किया गया था। (मतालेबुस सूऊल पृष्ठ 220) काफ़ी कुलैनी में है कि सरवरे कायनात ( स.व.व.अ.) ने अक़ीक़े के वक़्त जो दुआ पढ़ी थी उसमें यह इबारत भी थीः अल्लाह हुम्मा अज़महा बाअज़मा लहमहा, बिल हमा, महा बदमहा वशअरहा, बशराही, अल्लाहा हुम्मा अज अलहा वक़आ लम हमीदिन वालेही तरजुमाः
खुदाया इसकी हड्डी मौलूद की हड्डी के ऐवज़, इसका गोश्त उसके गोश्त के एवज़, इसका ख़ून उसके खून के ऐवज, इसका बाल उसके बाल के ऐवज़ क़रार दे और इसे मोहम्मद व आले मोहम्मद ( स.व.व.अ.) के लिये हर बला से नजात का ज़रिया बना दे। इमामे शाफ़ेई का कहना है कि आं हज़रत ( स.व.व.अ.) ने इमामे हसन (अ.स.) का अक़ीक़ा कर के इसके सुन्नत होने की दाएमी बुनियाद डाल दी । (मतालेबुस सूऊल पृष्ठ 220) बाज़ माआसेरीन ने लिखा है कि आं हज़रत ( स.व.व.अ.) ने आपका ख़त्ना भी कराया था लेकिन मेरे नज़दीक यह सही नहीं है क्यो कि इमामत की शान से मख़्तून पैदा होना भी है।
कुन्नियत व अलकाब
आपकी कुन्नियत सिर्फ़ अबू मोहम्मद थी और आपके अलक़ाब बहुत कसीर हैं जिनमें तय्यब, तक़ी, सिब्त व सय्यद ज़्यादा मशहूर हैं। (मोहम्मद बिन तला शाफ़ेई का बयान है कि आपका सय्यद लक़ब खुद सरवरे कायनात का अता करदा है। (मतालेबुस सूऊल पृष्ठ 221)
ज़्यारते आशूरा से मालूम होता है कि आपका लक़ब नासेह और अमीन भी था ।

