
जंगे नहरवान
हकमैन के मोहमल और मक्काराना फ़ैसले को हज़रत अली (अ.स.) और उनके तरफ़दारों ने मुस्तरद कर दिया और दोबारा आला पैमाने पर फ़ौज कशी का फ़ैसला और तहय्या कर लिया। अभी इसकी नौबत न आने पाई थी कि ख़वारिज की बग़ावत की इत्तेला मिली और पता चला कि वह लोग जो सिफ़्फ़ीन में जंग रोकने के खिलाफ़ थे अब हज़रत के सख़्त मुख़ालिफ़ हो कर मक़ामे हरवरा में आ रहे हैं। फिर मालूम हुआ कि वह लोग बग़दाद से चार फ़रसख़ के फ़ासले पर बमुक़ाम नहरवान बतारीख़ 10 शव्वाल 37 हिजरी जा पहुँचे हैं और वहां मुसलमानों को सता रहे हैं। हज़रत ने मजबूरन उन पर चढ़ाई की। 12,000 ( बाहर हज़ार) में से कुछ कूफ़े और मदाएन चले गये और कुछ ने बैयत कर ली। चार हज़ार (4000) आमादए पैकार हुये। बिल आखिर लड़ाई हुई और नौ आदमियों के अलावा सब मारे गये। इसी जंग में मशहूर मुनाफिक़ व ख़ारजी ज़ुलसदिया भी मारा गया जिसका असली नाम मोज़ज था। इसके एक हाथ की जगह लम्बा सा पिस्तान बना हुआ था इसी लिये इसे ज़ुलसदिया कहा जाता था।
मौहम्मद इब्ने अबी बक्र की इबरत नाक मौत
मौहम्मद इब्ने अबी बक्र मिस्र के गवर्नर थे। माविया ने छः हज़ार ( 6,000) फ़ौज के साथ अमर इब्ने आस को मौहम्मद से मुक़ाबले के लिये मिस्र भेज दिया। मौहम्मद ने हज़रत अली (अ.स.) को वाकेए की इत्तेला दी। आपने फ़ौरन जनाबे मालिके अशर को उनकी मदद के लिऐ मिस्र रवाना कर दिया। माविया को जब मालिके अशतर की रवानगी का पता चला तो उसने मक़ामे अरीश या मुल्जिम के ज़मींदार को ख़ुफिया लिख कर भेजा कि मालिके अशतर मिस्र जा रहे हैं, अगर तुम उन्हें दावत वगैरह के ज़रिये से क़त्ल कर दो तो मैं तुम्हारा खिराज 20 साल
के लिये माफ़ कर दूंगा । उस शख़्स ने ऐसा ही किया। जब मालिके अशतर पहुँचे तो उसने दावत दी और आपके लिये इफ़तारे सोम का इन्तेजाम किया, और दूध में ज़हर मिला कर दे दिया। जनाबे मालिके अशतर शहीद हो गये । (तारीख़े कामिल जिल्द 3 सफ़ा 141 व तबरी जिल्द 6 सफ़ा 54 ) इधर मालिके अशतर शहीद हुए उधर उमरो आस ने जनाबे मौहम्मद इब्ने अबी बक्र पर मिस्र में हमला कर दिया। आपने पूरा पूरा मुक़ाबला किया लेकिन नतीजे पर गिरफ़तार हो गये। आपको माविया इब्ने ख़दीज ने माविया इब्ने अबू सुफियान के हुक्म से गधे की खाल में सीकर जिन्दा जला दिया। हज़रते आयशा को जब इस इबरत नाक मौत की ख़बर मिली तो आप बेहद रंजिदा हुईं और ता हयात माविया और उमरो आस के लिये हर नमाज़ के बाद बद दुआ करने को वतीरा बना लिया । ( तारीख़े कामिल जिल्द 3 सफ़ा 143, हयातुल हैवान वग़ैरा ) इस वाकिये से अमीरल मोमेनीन को बेहद रंज पहुँचा और माविया को ख़ुशी हुई। (तबरी इब्ने ख़ल्दून मसूदी) यह वाक़ेया सफ़र 38 हिजरी का है।
( तारीखे इस्लाम जिल्द 1 सफ़ा 216)
किताब निहायतुल अरब फ़ी मारेफ़त निसाबुल अरब मोअल्लिफ़ा अबुल अब्बास अहमद बिने अली बिन अहमद बिन अब्दुल्लाह, तअलक़शन्दी, अल मुतावफ्फा 821, हितरी मतबुआ बग़दाद 1908 ई0 में मुताबिक़ 299 के फ़ुट नोट में है कि मौहम्मद बिन अबी बक्र मक्के मदीने के दरमियान 10 हिजरी में पैदा हुए थे।
उनकी परवरिश हज़रते अली (अ.स.) के आग़ोशे करामत में हुई थी। वफ़ाते अबू बक्र के बाद उनकी मां असमा बिन्ते उमैस से हज़रत ने अक़्द कर लिया था। हज़रत उनको बे हद चाहते थे। यह जंगे जमल और सिफ़्फ़ीन में हज़रत अली (अ. स.) के साथ थे। सन् 37 में अमीरल मोमेनीन (अ.स.) ने उन्हें मिस्र का गवर्नर बना दिया। जब जंगे सिफ़्फ़ीन से अमीरल मोमेनीन बइरादा रवाना हो गये तो माविया ने एक बड़ा लशकर भेज कर मिस्र पर हमला करा दिया। काफ़ी जंग हुई बिल आखि़र मौहम्मद को शिकस्त हुई । अख़्तफ़ी मौहम्मद फ़ाअरफ़ माविया बिन ख़दीज मक़ाना क़ब्ज़ अलैहे व क़त्ला सुम हरक़ा मौहम्मद इब्ने अबी बक्र रूपोश हो गये लेकिन माविया ने उन्हें तलाश कर के गिरफ़्तार कर लिया फिर उन्हें क़त्ल कर के उन्हें जला दिया। बड़े ज़ाहिद थे। तारीखे आसम कूफ़ी के सफ़ा 338 में है कि उन्हें गधे की खाल में सी कर जलवा दिया था। हज़रत मौहम्मद बिन अबी बक्र की शहादत के नतीजे में हज़रते आयशा को भी कुएं में गिरा कर अमीरे माविया ने ख़त्म करा दिया था। (हबीब उस सैर वग़ैरा ) असकी क़दरे तफ़सील आइन्दा आयेगी ।
इमाम ज़ैनुल आबेदीन (अ.स.) की विलादत
इसी साल सन् 38 हिजरी के जमादियुस सानी की 15 तारीख़ को हज़रते इमाम ज़ैनुल आबेदीन (अ.स.) जनाबे शहर बानों बिन्ते यज़द जुरद इब्ने शहरयार इब्ने केसरा शाह ईरान के बत्न से पैदा हुये।

