
फ़रिश्ते की ड्यूटी
एक मर्तबा हज़रत इमाम हसन और इमाम हुसैन रज़ियल्लाहु अन्हुम बचपन में घर से बाहर कहीं तशरीफ ले गये तो हजरत फातिमा रज़ियल्लाहु अन्हा कुछ परेशान सी हुई कि शहज़ादे कहां चले गये? इतने में हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम तशरीफ ले आये तो हज़रत फ़ातिमा रज़ियल्लाहु अन्हा ने अर्ज़ किया या रसूलल्लाह! हसन और हुसैन आज कहीं खो गये। मुझे मालूम नहीं कहां चले गये? इतने में जिब्रईल अमीन हाज़िर हुए और अर्ज़ किया कि या रसूलल्लाह! आपके दोनों शहज़ादे फलां जगह हैं। आप परेशान न हों। ख़ुदा ने उनकी हिफाज़त के लिये एक फरिश्ता मुतएय्यन कर रखा है। यह सुनकर हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम उस जगह तशरीफ ले गये। क्या देखते हैं कि दोनों शाहजादे तो पड़े सो रहे हैं और एक फरिश्ता एक बाजू तो उनके नीचे बिछाये हुए है और दूसरे से साया किये हुए बैठा है। हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने दोनों का मुंह चूम लिया और उठाकर घर ले आये। ( नुजहतुल मजालिस जिल्द २ सफा ३६२)
सबक : हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के यह दोनों शहज़ादे रिश्तों के भी नखदूम हैं। फिर इंसानों के लिये भी क्यों लाज़िम न होगा नक्शे कदम
कि वह इन शहज़ादों की मुहब्बत अपने दिल में रखें औरउनके पर चलकर उनको अपना पेशवा और मख़दूम जानें । हिकायत- ३०१

