जन्नत का सेब


एक मर्तबा हज़रत इमाम हसन और इमाम हुसैन रज़ियल्लाहु तआला अन्हुम ने बचपन में दो तख़्तियों पर कुछ लिखा और एक दूसरे से कहने लगे कि मेरा ख़त अच्छा है। चुनांचे दोनों इस बात पर फैसला कराने के लिये हज़रत अली रज़ियल्लाहु तआला अन्हु के पास पहुंचे। मौला अली ने यह फ़ैसला हज़रत फ़ातिमा रज़ियल्लाहु अन्हा के पास पहुंचा दिया। हज़रत फ़ातिमा रज़ियल्लाहु तआला अन्हा ने फ़रमाया बेटो! इस बात का फ़ैसला तुम अपने नाना जान हुजूर (मुहम्मदुर्ररसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) से कराओ। चुनांचे दोनों भाई हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की ख़िदमत में हाज़िर हुए। हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ्रमायातुम्हारा फ़ैसला जिब्रईल करेंगे। जिब्रईल अमीन हाज़िर हुए और कहने लगेः या रसूलल्लाह! खुदा तआला यह फैसला खुद फ़रमायेगा। चुनांचे खुदा तआला का जिब्रईल को हुक्म हुआ कि जिब्रईल जन्नत से सेब ले जाओ। वह सेब उन दोनों की तख्तियों पर डाल दो सेब जिसकी तख्ती पर ठहर जाये वही ख़त अच्छा है। चुनांचे जिब्रईल ने जन्नत का एक सेब लाकर उन तख़्तियों पर गिरा दिया तो खुदा के हुक्म से उस सेब के दो टुकड़े हो गये। एक टुकड़ा तो हज़रत हसन रज़ियल्लाहु अन्हु की तख़्ती पर और दूसरा हज़रत हुसैन की तख़्ती पर जा पड़ा और फैसला हुआ कि दोनों का ही अच्छा ख़त है। ( नुज़हतुल मजालिस जिल्द २, सफा ३६१ ) सबक : हज़रत इमाम हसन और हज़रत इमाम हुसैन रज़ियल्लाहु

अन्हुम को ख़ुदा तआला से एक ख़ास निसबत थी। खुदा तआला अपने महबूब के इन शहज़ादों की दिल शिकनी नहीं चाहता। फिर जो शख़्स इन शहजादों की किसी किस्म की तौहीन करे तो वह किस कद्र ज़ालिम है।

Leave a comment