
हज़रत वब इब्ने क़ाबूस रज़ियल्लाहु तआला अन्हु मदीना मुनव्वरा के क़रीब किसी गांव में रहते थे। बकरियां चराया करते थे। एक दिन अपने भतीजे के साथ बकरियां रस्सी से बांधे हुए मदीना मुनव्वरा पहुंचे। हुजूर सल्लल्लाह अलैहि वसल्लम का पता पूछा तो पता चला कि मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम उहुद की लड़ाई में गये हुए हैं। बकरियों को वहीं छोड़कर हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के पास पहुंच गये। इतने में एक जमाअत कुफ़्फ़ार की हमला करती हुई आयी । हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमायाः जो इनको मुन्तशिर कर दे, वह जन्नत में मेरा साथी है। हज़रत वह्ब इब्ने क़ाबूस रज़ियल्लाहु तआला अन्हु ने यह एलान सुनकर ज़ोर से तलवार चलाना शुरू की और सबको हटा दिया। दूसरी मर्तबा फिर वही सूरत पेश आयी और हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फिर वही इरशाद फ़रमाया: वहब इब्ने क़ाबूस रज़ियल्लाहु तआला अन्हु ने फिर उन्हें हटा दिया। तीसरी मर्तबा फिर वही सूरत पेश आयी और हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फिर वही एलान फ़रमाया । हज़रत वब इब्ने काबूस रज़ियल्लाहु तआला अन्हु तलवार पकड़कर कुफ़्फ़ार के जमघट में घुस गये। बहुत-सों को फिन्नार करके शहीद हो गये। हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के वायदे के हक़दार बन गये । हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने उनके सरहाने खड़े होकर फ़रमाया: ऐ वह्ब ! अल्लाह तुमसे राज़ी हो, मैं तुमसे राज़ी हूं। फिर हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने खुद अपने दस्ते मुबारक से आपको दफन फ़रमाया । (इसाबा व हिकायतुस-सहाबा सफा ७१ )

