हज़रत उमरू बिन जमूह रज़ियल्लाहुतआला अन्हु

हज़रत उमरू बिन जमूह रज़ियल्लाहुतआला अन्हु

हज़रत उमरू बिन जमूह रज़ियल्लाहु तआला अन्हु पांव से लंगड़े थे। उनके चार बेटे थे। अक्सर हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की ख़िदमत में हाजिर होते और लड़ाईयों में भी शिरकत करते थे। गुज्वए उहुद में हज़रत उमरू बिन जमूह रज़ियल्लाहु तआला अन्हु को भी शौक पैदा हो गया कि मैं भी चलूं। लोगों ने कहा कि तुम मजबूर हो। लंगड़ेपन की वजह से चलना भी दुश्वार है। उन्होंने फरमाया कैसी बुरी बात है कि मेरे बेटे तो जन्नत में जायें और मैं रह जाऊं। बीवी ने भी उभारने के लिये ताने के तौर पर कहा कि मैं तुमको देख रही हूं कि तुम लड़ाई से भागकर आये हो । हज़रत उमरू बिन जमूह रज़ियल्लाहु तआला अन्हु ने यह सुनकर हथियार लिये और काबे

की तरफ मुंह करके दुआ की”ऐ अल्लाह! मुझे अपने अहल की तरफ न लौटाइयो।” इसके बाद हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की ख़िदमत में हाज़िर हुए और अपनी ख़्वाहिश और लोगों के मना करने का इज़हार किया। कहा मैं उम्मीद करता हूं कि मैं अपने लंगड़े पैर से जन्नत में चलूं फिरूं । हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया कि तुम माजूर हो तो न जाने में क्या हर्ज़ है? उन्होंने फिर ख़्वाहिश की तो आपने इजाज़त दे दी। अबू तलहा कहते हैं कि मैंने हज़रत उमरू को लड़ाई में देखा कि अकड़ते हुए जाते थे और कहते थे कि ख़ुदा की कसम! मैं जन्नत का मुशताक़ हूं। उनका एक बेटा भी इनके पीछे दौड़ा हुआ गया। दोनों लड़ते रहे। हत्ता कि दोनों शहीद हो गये। इनकी बीवी अपने खाविन्द और अपने बेटे की लाश को ऊंट पर लादकर दफ़न के लिये मदीना लाने लगीं तो वह ऊंट बैठ गया। बड़ी दिक्कत से उसको मारकर उठाया और मदीना लाने की कोशिश की मगर वह उहुद की तरफ ही मुंह करता था। बीवी ने हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से ज़िक्र किया तो आपने फ़रमाया ऊंट को यही हुक्म है। क्या उमरू चलते हुए कुछ कहकर गये थे। उन्होंने अर्ज़ किया कि किब्ले की तरफ मुंह करके यह दुआ की थी या अल्लाह मुझे अपने अहल की तरफ़ न लौटाना। आपने फ्रमाया कि इसी वजह से ऊंट तरफू नहीं जाता। (उस कुर्रतुल-उयून)

Leave a comment