अर-रहीकुल मख़्तूम  पार्ट 63


ग़ज़वा बहरान

यह एक बड़ी फ़ौजी मुहिम थी जिसकी तायदाद तीन सौ थी। इस सेना को लेकर अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम रबीउल आखर सन् ०३ हि० में बहरान नामी एक इलाक़े की ओर तशरीफ़ ले गए थे। (यह हिजाज़ के बाहरी हिस्से में एक खनिज पदार्थों से भरी जगह है और रबीउल आखर और जुमादल ऊला के दो महीने वहीं ठहरे रहे। इसके बाद मदीना वापस तशरीफ़ लाए। किसी क़िस्म की लड़ाई से साबक़ा पेश न आया।

सरीया ज़ैद बिन हारिसा

उहुद की लड़ाई से पहले मुसलमानों की यह आखिरी और सबसे कामियाब मुहिम थी, जो जुमादल उखरा सन् 03 हि० में पेश आई।

घटना इस प्रकार है कि कुरैश बद्र की लड़ाई के बाद से बेचैनी के शिकार तो थे ही, पर जब गर्मी का मौसम आ गया और शाम देश की व्यापारिक यात्रा का समय आ गया, तो उन्हें एक और चिन्ता ने आ घेरा

इसका स्पष्टीकरण इससे होता है कि सफ़वान बिन उमैया ने, जिसे कुरैश की ओर से इस साल शाम देश जाने वाले व्यापारिक क़ाफ़िले का मुखिया बनाया था, कुरैश से कहा-

‘मुहम्मद और उनके साथियों ने हमारा व्यापारिक राजमार्ग हमारे लिए बड़ा कठिन बना दिया है। समझ में नहीं आता कि हम उसके साथियों से कैसे निमटें। वे तट छोड़कर हटते ही नहीं और तट पर बसने वालों ने उनसे समझौता कर लिया है। आम लोग भी उन्हीं के साथ हो गये हैं। अब समझ में नहीं आता कि हम कौन-सा रास्ता अपनाएं ? और अगर हम घरों ही में बैठे रहें तो अपनी मूल पूंजी भी खा जाएंगे, कुछ बाक़ी न बचेगा, क्योंकि मक्का में हमारी ज़िंदगी का आश्रय इस पर है कि गर्मी में शाम और जाड़े में हब्शा से व्यापार करें ।’

1. इब्ने हिशाम 2/50-51, ज़ादुल मआद 2/91। इस ग़ज़वे की वजहें तै करने के अलग-अलग स्रोत हैं। कहा जाता है कि मदीना में यह खबर पहुंची कि बनू सुलैम मदीना और मदीना के आस-पास के इलाक़ों पर हमला करने के लिए बड़े पैमाने पर जंगी तैयारियां कर रहे हैं और कहा जाता है कि आप कुरैश के किसी क़ाफ़िले की खोज में निकले थे। इब्ने हिशाम ने सही वजह लिखी है और इब्ने क़ैयिम ने भी इसी को अपनाया है। चुनांचे पहली वजह का सिरे से उल्लेख ही नहीं किया है।

सफ़वान के इस सवाल पर इस विषय पर विचार-विमर्श शुरू हो गया। आखिर अस्वद बिन अब्दुल मुत्तलिब ने सफ़वान से कहा, तुम तट का रास्ता छोड़कर इराक़ के रास्ते आया करो।

स्पष्ट रहे कि यह रास्ता बहुत लम्बा है, नज्द से होकर शाम जाता है और मदीने के पूरब में खासी दूरी से गुज़रता है। कुरैश इस रास्ते को बिल्कुल नहीं जानते थे, इसलिए अस्वद बिन अब्दुल मुत्तलिब ने सफ़वान को मश्विरा दिया कि वह फ़रात बिन हय्यान को, जो क़बीला बिक्र बिन वाइल से ताल्लुक रखता था, रास्ता बताने के लिए गाइड रख ले। वह इस सफ़र में उसकी रहनुमाई कर देगा।

इस व्यवस्था के बाद कुरैश का कारवां सफ़वान बिन उमैया के नेतृत्व में नए रास्ते से रवाना हुआ, मगर इस कारवां और इसके सफ़र की पूरी योजना की ख़बर मदीना पहुंच गई।

हुआ यह कि सुलैत बिन नोमान जो मुसलमान हो चुके थे, नईम बिन मस्ऊद के साथ जो अभी मुसलमान नहीं हुए थे, शराब पीने-पिलाने की एक सभा में जमा हुए। (यह शराब के हराम किए जाने से पहले की घटना है) जब नईम पर नशे का ग़लबा हुआ तो उन्होंने क़ाफ़िले और उसके सफ़र की पूरी योजना का विवरण बता डाला। सुलैत पूरी तेजी से नबी सल्ल० की सेवा में हाज़िर हुए और सारा विवरण कह सुनाया।

अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने तुरन्त हमले की तैयारी शुरू की और सौ सवारों का एक दस्ता हज़रत ज़ैद बिन हारिसा कलबी रज़ियल्लाहु अन्हु की कमान में देकर रवाना कर दिया।

हज़रत जैद रज़ि० ने बड़ी तेज़ी से रास्ता तै किया और अभी कुरैश का क़ाफ़िला बिल्कुल बेखबरी की हालत में क़र्व: नामी एक सोते पर पड़ाव डालने के लिए उतर रहा था कि उसे जा लिया और अचानक धावा बोलकर पूरे कारवां पर क़ब्ज़ा कर लिया।

सफ़वान बिन उमैया और कारवां के दूसरे सुरक्षाकर्मियों को भागने के अलावा कोई रास्ता नज़र न आया।

मुसलमानों ने कारवां के गाइड फ़रात बिन हय्यान को, और कहा जाता है कि और दो आदमियों को गिरफ़्तार कर लिया। बर्तन और चांदी की बहुत बड़ी मात्रा जो कारवां के पास थी, और जिसका अन्दाज़ा, एक लाख दिरहम था, ग़नीमत के तौर पर हाथ आई ।

अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने पांचवां हिस्सा निकाल

कर ग़नीमत का माल जत्थे के लोगों में बांट दिया और फ़रात बिन हय्यान ने नवी सल्ल० के मुबारक हाथ पर इस्लाम कुबूल कर लिया। 1

बद्र के बाद कुरैश के लिए यह सबसे दुखद बात थी, जिससे उनका दुख और बढ़ गया। अब उनके सामने दो ही रास्ते थे, या तो अपना दंभ व अभिमान छोड़कर मुसलमानों से समझौता कर लें या भरपूर लड़ाई लड़कर अपने पुराने आदर और प्रतिष्ठा को वापस लाएं और मुसलमानों की ताक़त को इस तरह तोड़ दें कि वे दोबारा सर न उठा सकें।

मक्का ने इसी दूसरे रास्ते को चुना। चुनांचे इस घटना के बाद कुरैश के बदले की भावना कुछ और बढ़ गई और उसने मुसलमानों से टक्कर लेने और उनके घर में घुसकर उन पर हमला करने के लिए भरपूर तैयारी शुरू कर दी। इस तरह पिछली घटनाओं के अलावा यह घटना भी उहुद की लड़ाई की ख़ास वजह बन गई है।

इब्ने हिशाम 2/50-51, रहमतुललिल आलमीन 2/219


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